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CG News: CIMS Medical College: 20 दिन की बच्ची के लिए सिम्स के डॉक्टर बने भगवान: जन्मजात जुड़ी पलकों का सफल ऑपरेशन, अंधेपन से मिली निजात

CG News: CIMS Medical College: 20 दिन की बच्ची की पलकें आपस में चिपकी हुईं थीं। बच्ची एंकी लोब्लेफेरॉन नामक अत्यंत दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी। सिम्स में इस जटिल बीमारी का पहला आपरेशन सफलता पूर्वक कर बच्ची को पूर्ण अंधत्व के खतरे से बचाया गया।

CG News: CIMS Medical College: 20 दिन की बच्ची के लिए सिम्स के डॉक्टर बने भगवान: जन्मजात जुड़ी पलकों का सफल ऑपरेशन, अंधेपन से मिली निजात
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By Radhakishan Sharma

CIMS Medical College: बिलासपुर। चिकित्सा जगत में सरकारी मेडिकल कॉलेज सिम्स की सफलता में एक और नया अध्याय जुड़ गया है। सरगांव (मुंगेली) निवासी साहू परिवार की 20 दिन की बच्ची जन्मजात जुड़ी पलक (Ankyloblepharon – एंकी-लोब्लेफेरॉन) नामक अत्यंत दुर्लभ अवस्था से पीड़ित थी। इस स्थिति में नवजात शिशु की दोनों पलकें किनारों से आपस में चिपकी थी, जिससे आँखें पूरी तरह खुल नहीं पातीं और प्रकाश आंखों तक नहीं पहुंच पाता।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि इस स्थिति का उचित समय पर ऑपरेशन न किया जाए, तो बच्चे की आंखों का विकास रुक सकता है और पूर्ण अंधत्व का खतरा बना रहता है। सिम्स केविशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस बीमारी का पहीली पहला ऑपरेशनकिया है।

सिम्स नेत्र विभाग की बड़ी उपलब्धि:

सिम्स नेत्र विभाग की सर्जन डॉ. प्रभा सोनवानी, डॉ. आरुषि एवं डॉ. श्रद्धा की टीम ने इस जटिल एवं अत्यंत सावधानीपूर्ण शल्यक्रिया को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। ऑपरेशन के पश्चात बच्ची की पलकें सामान्य रूप से खुलने लगी हैं और आँखों में प्रकाश का प्रवेश पुनः प्रारम्भ हो गया है, जिससे उसकी दृष्टि का प्राकृतिक विकास अब संभव हो सकेगा।

इस प्रक्रिया में नर्सिंग स्टाफ संदीप कौर, सुनीति चंचल एवं लक्ष्मी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। शल्यक्रिया नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सुचिता सिंह के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई।

विशेषज्ञ चिकित्सकों का ये कहना

अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने कहा, जन्मजात जुड़ी पलक का ऑपरेशन अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। हमारी नेत्र टीम ने उच्च दक्षता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करते हुए बच्ची की दृष्टि बचाने में सफलता प्राप्त की है। यह उपलब्धि सिम्स के लिए गौरव का विषय है।”

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने कहा, सिम्स चिकित्सालय में हमारी टीमें निरंतर जटिल व संवेदनशील शल्यक्रियाएँ सफलतापूर्वक कर रही हैं। इस नवजात बच्ची के दुर्लभ ऑपरेशन में जिस विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया गया, वह संस्थान की क्षमता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मरीजों के उत्तम उपचार हेतु आवश्यक संसाधन व सुविधाएँ लगातार उपलब्ध कराई जा रही हैं। नेत्र विभाग की टीम को इस महत्वपूर्ण सफलता के लिए हार्दिक बधाई।

प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. अर्चना सिंह ने कहा “Ankyloblepharon जैसी जन्मजात विकृति का समय पर उपचार न मिलने पर बच्चा जीवनभर दृष्टिबाधित हो सकता है। सिम्स में उपलब्ध उन्नत सुविधाएँ और प्रशिक्षित टीम ऐसे मामलों में शीघ्र एवं सुरक्षित उपचार सुनिश्चित करती है। टीम ने अत्यंत सराहनीय कार्य किया है।”

विभागाध्यक्ष डॉ. सुचिता सिंह ने कहा:–“बच्ची की पलकों का आपस में जुड़ा होना उसकी दृष्टि के विकास में बाधा बन रहा था। समय पर की गई शल्यक्रिया के बाद अब उसकी आँखों में प्रकाश सामान्य रूप से पहुँच रहा है। यह ऑपरेशन बच्ची की दृष्टि बचाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।”

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