Begin typing your search above and press return to search.

CG News: छत्तीसगढ़ में भूमाफियाओं पर अब ऐसे लगेगा अंकुश, डिजिटल रिकार्ड से होगी निगरानी

CG News: बिलासपुर संभाग के आठ जिलों में राजस्व संबंधित फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए निस्तार पत्रकों,अधिकार अभिलेखों को स्कैन कर डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाएगा।

CG News
X

CG News

By Radhakishan Sharma

CG News: बिलासपुर। राजस्व रिकॉर्ड में हो रही हेराफेरी और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों पर लगाम लगाने के लिए बिलासपुर संभाग में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अब निस्तार पत्रकों को पूरी तरह ऑनलाइन किया जाएगा और अधिकार अभिलेखों (पंचसाला) को स्कैन कर डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इससे न केवल राजस्व दस्तावेज़ सुरक्षित रहेंगे, बल्कि फर्जी प्रमाणपत्र और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर हो रही धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी।

बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन ने बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, सक्ती, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और सारंगढ़-बिलाईगढ़ के कलेक्टरों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि अपने-अपने जिलों के सभी राजस्व कार्यालयों में निस्तार पत्रकों की ऑनलाइन एंट्री और पंचसाला अभिलेखों की स्कैनिंग कार्यवाही तत्काल प्रारंभ की जाए।

क्या होता है निस्तार पत्रक और अधिकार अभिलेख

निस्तार पत्रक में सरकारी और सार्वजनिक उपयोग की जमीन जैसे चरागाह, कब्रिस्तान, श्मशान, तालाब आदि का विवरण होता है।

अधिकार अभिलेख (पंचसाला) वह रजिस्टर्ड रिकॉर्ड होता है जिसमें जमीन का मालिकाना हक, खसरा नंबर, रकबा और उपयोग का विवरण दर्ज होता है।

फर्जीवाड़ा के लिए यह सब

निस्तार पत्रक और पंचसाला भुइयां पोर्टल पर डिजिटल नहीं थे। दस्तावेजों की जांच कठिन थी, जिससे कूटरचित प्रमाणपत्र, रगड़कर किए गए नाम परिवर्तन और फर्जी नामांतरण जैसे मामले सामने आ रहे थे। इसके अलावा राजस्व अमले की मिलीभगत से भी पुराने रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करना आसान था। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए संभागायुक्त सुनील जैन ने ऐतिहासिक पहल करते हुए दस्तावेजों के डिजिटलीकरण की दिशा में कदम उठाया है।

राजस्व रिकॉर्ड से जुड़ी प्रमुख फर्जीवाड़े की घटनाएं

तहसील मस्तूरी में दो मामलों में 1.50 एकड़ जमीन को लेकर फर्जी प्रमाणित प्रतिलिपि के आधार पर नामांतरण करा लिया गया। तहसीलदार ने बिना दूसरी पार्टी की सूचना के एकपक्षीय आदेश जारी कर दिया।

खसरा पंचसाला में नाम रगड़कर बदला गया

मोपका, हल्का नंबर 19/29 में खसरा नंबर 845/1/न और 845/1/झ रकबा 2 एकड़ की जमीन कूटरचित विक्रय पत्र पर रामआसरे पिता रेवाराम के नाम कर दी गई। दस्तावेज़ के अनुसार विक्रेता विश्वासा बाई का नाम 1983-84 की पंचसाला में रगड़कर दर्ज किया गया, जबकि विक्रय पत्र संदिग्ध था।

लिंगियाडीह में 80 साल पुरानी गड़बड़ी

गांव की 733.67 डिसमिल घास भूमि के लिए 1954-55 में अधिकार अभिलेख बना था। जो वर्तमान में विवादों की जड़ है। इस अभिलेख के अनुसार ही राजस्व रिकॉर्ड सुधारे गए है। लेकिन अब कई ऐसे तथ्य आ रहे हैं जो उस समय बनाए गए अभिलेख की विश्वनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। अधिकार अभिलेख के अनुसार खसरा नंबर 31/2 में 60 डिसमिल जमीन दर्ज है जबकि मिसल अभिलेख में वही जमीन महज 46 डिसमिल है। इसमें 14 डिसमिल जमीन दूसरे खसरा से जोड़ दी गई थी, जिससे आज तक कई परिवार विवादों में फंसे हैं।

डिजिटल बदलाव से होने वाले लाभ

1 फर्जीवाड़ा रुकेगा – स्कैन रिकॉर्ड होने से पुरानी कूट रचनाएं पकड़ में आएंगी।

2 पारदर्शिता बढ़ेगी – आमजन आसानी से भुइयां पोर्टल पर निस्तार पत्रक और पंचसाला देख सकेंगे।

3 सबूत मजबूत होंगे – न्यायिक मामलों में स्कैन कॉपी

4 अधिकारों की सुरक्षा – जनता को बार-बार तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, मालिकाना हक सुरक्षित रहेगा।

कमिश्नर बोले – रिकॉर्ड में पारदर्शिता पहली प्राथमिकता

बिलासपुर संभाग के कमिश्नर सुनील जैन ने बताया कि “राजस्व रिकॉर्डों को पारदर्शी और जनता के लिए सुलभ बनाना हमारी प्राथमिकता है। डिजिटलाइजेशन से जमीन विवादों में कमी आएगी और कूटरचना करने वालों पर सख्त कार्रवाई संभव होगी इसके लिए हमने ग्रामीण क्षेत्रों के चारागाह,तालाब,श्मशान जैसी सरकारी जमीनों के रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए है।”

Next Story