CG News: छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में शेयर बाजार खुला, अफसरों की नजर फाइलों पर नहीं, स्टॉक्स पर!
छत्तीसगढ़ के मालिक माइंडसेट वाले गुरुजी की ही चर्चा नेटवर्क मार्केटिंग को लेकर होते रही है। छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरो में शेयर मार्केट से लेकर क्रिप्टो कैरेंसी के कई ऐसे गुरु हैं जो सरकारी कामकाज के बजाय इन्हीं सब बातों पर ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। सरकारी कामकाज के लिए कार्यालयों में लगे वाई-फाई हो या फिर इंटरनेट की सुविधा। इन सुविधाओं का अफसर से लेकर कर्मचारी जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। सरकारी खजाने को चूना भी लगा रहे हैं और कामकाज भी नहीं कर रहे हैं। मतलब ये कि सरकार को चौतरफा नुकसान पहुंचाने में ही लगे हुए हैं।

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रायपुर। सरकारी दफ्तरों में शेयर मार्केट हो या फिर क्रिप्टो कैरेंसी का दांव,चौतरफा मकड़जाल फैला हुआ है। अफसर से लेकर मुलाजिम इसी काम में ज्यादा व्यस्त नजर आते हैं। जब अफसर ही शेयर मार्केट और क्रिप्टो जैसे अन्य काम में दिलचस्पी ले रहे हों और कार्यालय में लैपटाप या कंप्यूटर के स्क्रीन पर सरकारी फाइलों के बजाय शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव पर नजरें टिकाए हो तो फिर फाइल कैसे आगे बढ़ती होगी, अंदाज लगाना मुश्किल काम नहीं है।
राज्य सरकार के पास काफी दिनों से इस बात की शिकायतें मिल रही थी। सरकार के पास जरुरी फीडबैक भी था। सरकारी सुविधाओं को अफसर से लेकर मुलाजिम सब दुरुपयोग करने में लगे हुए हैं। सरकारी कामकाज और फाइलों के निपटारे के लिए लगाए गए वाई-फाई व इंटरनेट सुविधा का शेयर मार्केट व क्रिप्टो जैसे आनलाइन मार्केटिंग में दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकार को मिले तगड़ा फीडबैक के बाद ही राजपत्र प्रकाशित कर अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना पर गौर करें तो इंट्राडे ट्रेडिंग, बीटीएसटी, फ्यूचर एंड ऑप्शंस तथा क्रिप्टो करंसी जैसी निवेश गतिविधियों पर रोक रहेगी। सरकारी अधिकारी कर्मचारी इंट्रा डे में निवेश नहीं कर सकेंगे। हालांकि सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को शेयर प्रतिभूतियों, डिबेंचर्स,म्युचुअल फंड में निवेश के लिए छूट दी गई है।
सरकारी कंप्यूटर के जरिए करते थे इंट्रा डे ट्रेडिंग-
मध्य प्रदेश में सन 1979 बैच के आईएएस अरविंद जोशी और टीनू जोशी के ठिकानों पर फरवरी 2010 में लोकायुक्त का छापा पड़ा था। इस वक्त दोनों प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी थे। घर में हर तरफ नोटों का बंडल मिला था। बेडरूम में उनके बिस्तर के नीचे गद्दा उठाने पर ही सवा 3 करोड रुपए नगद बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि 2007 से 2010 के बीच अरविंद और टीनू ने शेयर बाजार में सटोरिया गतिविधियों और वायदा कारोबार वगैरह में 270 करोड़ रु. लगा रखे थे। अरविंद जोशी और टीनू जोशी दफ्तर में भी सरकारी कंप्यूटर से शेयर मार्केट में रोजाना इंट्रा डे ट्रेडिंग करते रहते थे। केस होना पर पहले दोनों फरार हुए फिर दोनों दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। जहां हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर वे रिहा हुए थे। पर दोनों को केंद्र सरकार ने राज्य के प्रतिवेदन पर बर्खास्त कर दिया था। मध्य प्रदेश में किसी आईएएस की बर्खास्तगी की यह पहली। कार्यवाही थी।
क्या होता है इंट्रा डे–
शेयर मार्केट में इंट्रा डे ट्रेडिंग रोजाना की खरीदी बिक्री से संबंधित है। इसमें ट्रेडर अर्थात निवेशक रोजाना ही मार्केट खुलने पर शेयर खरीदने हैं और उसी दिन बेचकर बाहर आ जाते हैं। कई बार इसमें लाभ और कई बार हानि होती है। बता दे शेयर मार्केट खुलने का समय सुबह 9:30 से दोपहर 3:30 तक होता है। इसी में शेयर मार्केट की सारी उठापटक और गतिविधियां की जाती है। और ठीक यही टाइम सरकारी दफ्तरों का होता है। यदि रोजाना सरकारी कर्मचारी अधिकारी शेयर मार्केट में लग रहे तो शासकीय कार्य और जनता के कार्य में नुकसान होता है।
सरकारी वाई-फाई और कंप्यूटर का करते हैं दुरुपयोग, बने कारगार माड्यूल-
मौजूदा दौर में थानों से लेकर प्रत्येक सरकारी कार्यालयों में सरकारी कामकाज के लिए कंप्यूटर और इंटरनेट के लिए वाई-फाई नेटवर्क लगाया गया है। राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के कई विभाग अब पेपरलेस वर्किंग की तरफ बढ़ रहे हैं। इन सब कार्यों के लिए सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को कंप्यूटर और वाई-फाई उपलब्ध करवाए गए हैं। सरकारी अधिकारी कर्मचारी क्रिप्टोकरंसी और शेयर मार्केट में निवेश और बिक्री करते रहते हैं। इन्हें रोकने के लिए कोई ऐसा सॉफ्टवेयर मॉड्यूल बनाया जाना चाहिए जिसमें सरकारी कंप्यूटरों और वाई-फाई में शेयर मार्केट का क्रिप्टोकरंसी वेबसाइट्स ब्लॉक रहे। जिससे सरकारी अधिकारी कर्मचारी सरकारी संसाधनों से शेयर मार्केट में निवेश न कर पाए।
मालिक माइंडसेट वाले गुरुजी-
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ ग्रामीण इलाकोें के स्कूलों में पदस्थ ऐसे भी गुरुजी हैं जो मालिक माइंडसेट के साथ काम कर रहे हैं।ये गुरुजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बजाय नेटवर्क मार्केटिंग में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। नेटवर्क मार्केटिंग में पैसा कमाने के बाद इस्तीफा दे देते हैं। इस्तीफा में स्कूल को चिड़याघर बताने से भी गुरेज नहीं करते। हालांकि राज्य सरकार ने ऐसे शिक्षकों पर शिकंजा कसते हुए प्रदेशभर के डीईओ से जानकारी मांगी थी।
