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CG News: छात्रावास या खंडहर? मेडिकल कॉलेज के हॉस्टलों की दुर्दशा, गंदगी में जीने को मजबूर हैं भावी डॉक्टर

CG News: छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलोजों के हॉस्टल की स्थिति बेहद खराब है। यहां पढ़ाई कर रहे भावी डॉक्टर नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर है क्योंकि हॉस्टल में मुलभूत सुविधाओं की कमी है और छात्र इन्ही कमियों के चलते काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द व्यवस्था में सुधार हो। हॉस्टल के हालात इतने खराब है कि यहां पढ़ने वाले भावी डॉक्टर गंदगी, बदबू, सीलन और जर्जर भवनों में रहकर पढ़ाई करने पर मजबूर है। हर साल 1 जुलाई को हम डॉक्टर्स डे जरूर मनाते हैं लेकिन दूसरी तरफ डॉक्टर बनने की राह में यही भावी डॉक्टर बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।

CG News: छात्रावास या खंडहर? मेडिकल कॉलेज के हॉस्टलों की दुर्दशा, गंदगी में जीने को मजबूर हैं भावी डॉक्टर
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By Supriya Pandey

CG News: छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलोजों के हॉस्टल की स्थिति बेहद खराब है। यहां पढ़ाई कर रहे भावी डॉक्टर नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर है क्योंकि हॉस्टल में मुलभूत सुविधाओं की कमी है और छात्र इन्ही कमियों के चलते काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द व्यवस्था में सुधार हो। हॉस्टल के हालात इतने खराब है कि यहां पढ़ने वाले भावी डॉक्टर गंदगी, बदबू, सीलन और जर्जर भवनों में रहकर पढ़ाई करने पर मजबूर है। हर साल 1 जुलाई को हम डॉक्टर्स डे जरूर मनाते हैं लेकिन दूसरी तरफ डॉक्टर बनने की राह में यही भावी डॉक्टर बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।


बता दें कि प्रदेश के 9 सरकारी कॉलेज ऐसे हैं जहा लगभग 7 हजार 83 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। कॉलेज में हॉस्टल की स्थिति इतनी खराब है कि शौचालय का इस्तेमाल करने से पहले छात्र खुद ही सफाई की जिम्मेदारी उठाते हैं। कहीं टॉयलेट टूटे हुए हैं तो कहीं गंदगी और बदबू का अंबार है। कमरों में सीलन लगे हुए हैं खिड़कियों पर काई जमा हैं और दीवारों में दरारे नजर आ रही है। हॉस्टल में पंखों की कमी भी एक विकराल समस्या है।


बिलासपुर मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में पीने का साफ पानी तक नहीं है, बिस्तर जले हुए और कमरे जर्जर हो चुके हैं। शौचालयों की हालत ऐसी है कि बीमार होने का डर बना रहता है। पूरे राज्य में 3,546 छात्रावास सीटों की जरूरत है, जबकि फिलहाल सिर्फ 2,126 की व्यवस्था है। यानी 2,000 से ज्यादा छात्र निजी व्यवस्था से या किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं।


छात्रों की शिकायत है कि कॉलेज प्रशासन ध्यान नहीं देता और न ही समय पर कोई मरम्मत या सफाई होती है। यह स्थिति तब है जब मेडिकल कॉलेजों में लाखों-करोड़ों का बजट स्वीकृत होता है। छात्रों का कहना है कि पढ़ाई का माहौल खराब हो गया है और उनका मानसिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

सरकारी हॉस्टल में सुविधाओं की कमी और इसकी अनदेखी से पूरे स्वास्थ व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि भावी डॉक्टरों को ही ऐसा महौल मिलेगा तो इससे उनकी पढ़ाई तो प्रभावित होगी ही साथ ही उनके मानसिक और शारीरिक पर भी गहरा असर पड़ेगा।

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