CG News: बीजेपी की आंधी में अजय तिर्की की लोकप्रियता काम नहीं आई, हैट्रिक बनाने से चूक गए
CG News: भाजपा की आंधी में अंबिकापुर नगर निगम के मेयर केंडिडेट और लगातार एक दशक से मेयर की कुर्सी पर काबिज डा अजय तिर्की की लोकप्रियता काम नहीं आई। महाराज के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत का वह बयान भी काम नहीं आया। दबी जुबान से यह बात भी कही जा रही है कि कांग्रेस के शासनकाल में उत्तर छत्तीसगढ़ का जो हाल तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने किया था उसका खामियाजा डा तिर्की को अब भुगतना पड़ा है।

Ajay Kumar Tirkey
CG News: सरगुजा। डा अजय तिर्की यह नाम उत्तर छत्तीसगढ़ खासकर सरगुजा के लिए ना तो नया है और ना ही अनजाना। लोकप्रियता इतनी कि हर एक के जुबान पर डा तिर्की का नाम है। लोकप्रियता के पैमाने पर खरा उतरने के बाद पराजय का कारण क्या रहा। इसी बात की तो अब पड़ताल हो रही है। चुनाव परिणाम के बाद दो बातें सामने आ रही है। नंबर एक भाजपा की आंधी में डा तिर्की की लोकप्रियता काम नहीं और जीत से चूक गए। नंबर दो, पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल के दौरान महाराज और तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बने छत्तीस के आंकड़े ने कबाड़ा कर दिया। पूरे पांच साल ना तो सरगुजा में कोई काम हुआ और ना ही अंबिकापुर नगर निगम में। कहते हैं ना पब्लिक बोलती नहीं पर सब-कुछ देखती है और समझती है। पब्लिक देखती रही और समझती रही। बीते अनुभवों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पब्लिक ने समझदारी भरा काम किया है।
डा तिर्की की लोकप्रियता को किनारे रखकर पब्लिक ने विकास के रास्ते को चुना। विकास इसलिए कि बीते पांच साल में अंबिकापुर नगर निगम सीमा क्षेत्र में विकास के नाम पर एक ईंट नहीं रखा गया। विकास के लिए तरस रही निगम व पब्लिक की सोच को सलाम करें या सलाम कहें तो भी अचरज की बात नहीं होनी चाहिए। लोकप्रियता के पैमाने पर पब्लिक ने विकास के रास्ते को चुना। उनका यह निर्णय सही भी कहा जा सकता है। भावी पीढ़ी की बेहतरी भी तो इसी में है। महाराज और तत्कालीन सीएम बघेल के बीच राजनीतिक कटुता का खामियाजा उत्तर छत्तीसगढ़ खासकर अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ा है। विधानसभा क्षेत्र के जनता इस टीस को आज भी नहीं भूल पाई है। तभी तो विकास के रास्ते को चुना और विकास के लिए भाजपा पर भरोसा जताया है। अंबिकापुर की जनता ने दोनों ही दलों के रणनीतिकारों के साथ ही शहर सरकार के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को यह संदेश भी दिया है कि विकास के लिए उन्होंने उस पर भरोसा जताया है। काम ना होने पर उनके पास फिर विकल्प रहेगा। डा अजय तिर्की सियासत करने वालों के लिए एक बड़ा उदाहरण है। लोकप्रियता के पैमाने पर शीर्ष में होने के बाद भी गुटीय राजनीति के झमेले में फंसकर विकास कार्य के पैमाने पर वे फेल हो गए और कुर्सी से रुखसत हाेना पड़ा।
0 जानिये कौन हैं डॉ. अजय तिर्की
नामी हड्डीरोग विशेषज्ञ हैं डा तिर्की
डा तिर्की ने एमबीबीएस की पढ़ाई जबलपुर विश्वविद्यालय व एमएस (ऑर्थो) की मास्टर डिग्री इंदौर विश्वविद्यालय से हासिल की । जन्मतिथि- 29/12/1968 है। उनकी जाति उराँव (अनुसूचित जनजाति) ईसाई है। एमएस आर्थो की मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद सरकारी नौकरी में आ गए। सन 1999 से 2004 तक एमओ सनावल, ब्लॉक-रामचंद्रपुर, रामानुजगंज में पदस्थ रहे। 2004 से 2011 बीएमओ, रामानुजगंज, बलरामपुर में अपनी सेवाएं दी। 2004 से 2011 वित्तीय प्रभारी सीएचसी बलरामपुर के पद पर कार्य किया। 2011 से 2015 ऑर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट, इंचार्ज आरएमओ, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल अंबिकापुर, 100 बेडेड संजीवनी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गौरव पथ, अंबिकापुर, सरगुजा में अपनी सेवाएं दी।
0 2015 में चिकित्सकीय पेश से राजनीति में आए
वर्ष 2015 में शासकीय सेवा से इस्तीफा देकर उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के करीबी होने व लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने महापौर पद के लिए उम्मीदवार बनाया। राजनीति में प्रवेश करते हुए मेयर की कुर्सी हासिल हो गई। लगातार दो बार वे चुनाव जीतकर अंबिकापुर नगर निगम के महापौर के पद पर काबिज रहे। डायरेक्ट व इन डायरेक्ट दोनों ही इलेक्शन में उन्होंने जीत हासिल की।