Begin typing your search above and press return to search.

CG News: आदिवासी को बना दिया केंवट और करा ली जमीन की फर्जी रजिस्ट्री

CG News: छत्तीसगढ़ का भदौरा एक बार सुर्खियों में है. सरकारी जमीन की अफरा तफरी का मामला सामने आया है. आदिवासी की जमीन के साथ घास मद की जमीन की भी रजिस्ट्रारभी गई है .

आदिवासी को बना दिया केंवट और करा ली जमीन की फर्जी रजिस्ट्री
X
By Radhakishan Sharma

CG News: बिलासपुर. जिले के भदौरा में आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी बता कर बिना अनुमति लिए फर्जी रजिस्ट्री कर दी गई। शिकायतकर्ता अशोक सिंह ठाकुर का आरोप है कि शत्रुहन पिता मंशाराम ध्रुव की आदिवासी जमीन को फर्जी तरीके से केंवट जाति में दिखाकर, रजिस्ट्री कर दी गई।

यही नहीं, निस्तार (घास मद) की भूमि को भी निजी स्वामित्व में दर्ज किया गया। शिकायत में बताया गया है कि शत्रुहन लाल ध्रुव की पुश्तैनी आदिवासी जमीन को कूटरचित दस्तावेजों के जरिए शत्रुहन पिता मंशाराम केवट के रूप में दर्शाया गया, ताकि आदिवासी अधिनियम की अनदेखी कर रजिस्ट्री कराई जा सके। शिकायतकर्ता अशोक सिंह ठाकुर ने बताया कि दिनांक 21 सितंबर 2011 को यह भूमि ममता सिंह पति नरेंद्र सिंह उर्फ कल्लू सिंह के नाम रजिस्टर्ड कर दी गई।इसके अलावा खसरा नंबर 240/78, जो कि शासकीय रिकार्ड में निस्तार (घास मद) भूमि के रूप में दर्ज है, उसे भी 2 फरवरी 2010 को उसी महिला के नाम दर्ज कर दिया गया। इस तरह ग्राम पंचायत की सामूहिक भूमि को भी निजी बना दिया गया। शिकायतकर्ता ने मतदाता सूची, राशन कार्ड, आधार और खसरा बी-1 की प्रतियां संलग्न करते हुए स्पष्ट किया कि शत्रुहन आदिवासी हैं, और रजिस्ट्री पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने कलेक्टर से दोषियों पर कठोर कार्रवाई और जमीन की बहाली की मांग की है।

फर्जी रजिस्ट्री में राजस्व अमला शक के घेरे में

आदिवासी और निस्तार भूमि के फर्जी तरीके से खरीदी के मामले ने एक बार फिर से राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बना दी है। रजिस्ट्री के दौरान जमीन के सारे रिकार्ड खंगाले जाते हैं, अगर पेपर बनाने में लगती हुई होती तो वह दस्तावेज परीक्षण के दौरान रिकार्ड में आ जाते, लेकिन आदिवासी जमीन को बिना कलेक्टर की अनुमति और गलत जाति दर्ज कर संपत्ति रजिस्ट्री करवाना प्रशासनिक मिली भगत का संकेत दे रहा है। शिकायतकर्ता ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ निष्पक्ष जांच की मांग की है।

भदौरा एक बार फिर सुर्खियों में

वर्ष 2014 में मस्तूरी विकासखंड के ग्राम भदौरा में सैकडो एकड़ जमीन फर्जी तरीके से खरीदी कर एक निजी कम्पनी को बेची गई। इनमें आदिवासियों की जमीन के साथ ही शासकीय भूमि भी थी। उस दौरान कई रसूखदारों पर आरोप लगा कि उनकी शय पर पूरा फर्जी दस्तावेज के आधार पर जमीनों की रजिस्ट्री कर घोटाला किया गया है। अब एक बार फिर भदौरा गांव फर्जी तरीके से जमीन खरीदी बिक्री के मामले में सुर्खियों में आने लगा है।

Next Story