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CG Nagar Nigam Politics: इंजीनियरों की संविदा नियुक्ति पर भाजपा में दो फाड़, एक्सटेंशन में घुसखोरी के आरोप से गरमाई सियासत

छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर की राजनीति इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रही है। खासकर बिलासपुर नगर निगम की राजनीतिक चाल बेढ़ंगा सा हो गया है। बिलासपुर नगर निगम में भाजपा का बहुमत है। बहुमत भी दो तिहाई के करीब। भाजपा पार्षदों की दखलंदाजी,खासकर मेयर इन कौंसिल के सदस्यों के बीच इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दो इंजीनियर की संविदा नियुक्ति को लेकर एमआईसी की बैठक में दो फाड़ की स्थिति बन गई। यह भी पहली बार देखने को मिला जब दो इंजीनियरों के एक्सटेंशन में घुसखाेरी की बात सार्वजनिक रूप से सामने आने लगी है।

CG Nagar Nigam Politics: इंजीनियरों की संविदा नियुक्ति पर भाजपा में दो फाड़, एक्सटेंशन में घुसखोरी के आरोप से गरमाई सियासत
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। पांच साल बाद शहर सरकार में भाजपा ने दमदारी के साथ वापसी की है। सत्ता में वापसी के साथ कीर्तिमान भी रचे। वाणीराव के बाद पूजा विधानी दूसरी महिला मेयर बनी, जिन्होंने सत्ता संभाली। पर यह क्या। कुर्सी संभालते ही विवादों से घिरती जा रही है। या यूं कहें कि बिलासपुर नगर निगम के इतिहास में यह भी पहली मर्तबे देखने को मिला जब कोई मेयर सत्ता संभालने के चंद महीने के भीतर विवादों से घिरी हो। अतिक्रमण हटाने के नाम पर विवाद और अब दो इंजीनियरों के रिटायरमेंट के बाद सेवावृद्धि एक्सटेंशन को लेकर। यह विवाद तब और भी गंभीर हो गया जब सभापति ने मेयर पर लेन-देन का आरोप लगा दिया। बिलासपुर शहर हो या फिर जिले की राजनीति। तेज तर्रार सभापति विनोद सोनी के आरोप के बाद पब्लिक डोमेन में इस बात को लेकर चर्चा छिड़ गई है।

मंगलवार को बिलासपुर नगर निगम में महापौर पूजा विधानी की मौजूदगी में मेयर इन काैंसिल की बैठक रखी गई थी। एमआईसी की बैठक में दो इंजीनियरों के एक्सटेंशन को लेकर प्रस्ताव आया। जैसे ही भवन शाखा के प्रभारी इंजीनियर सुरेश शर्मा और बिजली विभाग के प्रभारी इंजीनियर सुब्रत कर को संविदा नियुक्ति देने प्रस्ताव पढ़ा गया और चर्चा की बात आई, एमआईसी की मीटिंग में मौजूद सभापति विनोद सोनी उखड़ गए। निगम की राजनीति के जानकारी यह बात अच्छी तरह समझते और जानते हैं कि सभापति विनोद सोनी का किसी मुद्दे पर नाराजगी या विरोध जताने का मतलब है कि कुछ तो बात है जो खुलेतौर पर नजर नहीं आ रही है। सभापति विनोद सोनी से दोनों इंजीनियरों के एक्सटेंशन का बैठक में ही विरोध दर्ज करा दिया। सभापति की नाराजगी, विरोध और ऊपर से लेनदेन का आरोप लगाने के बाद निगम की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। सभापति के इंजीनियरों के एक्सटेंशन मुद्दे पर खुलकर विरोध जताने का मतलब भी साफ है कि सत्ताधारी दल की निगम पालिटिक्स में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सभापति के विरोध के बाद अब निगम में भाजपा पार्षदों के बीच दो फाड़ की स्थिति बन गई है।

शुरुआत से ही हावी रही है गुटीय राजनीति-

नगर निगम की राजनीति पर गौर करें तो शहर सरकार में जो भी दल काबिज रहा है और मेयर की कुर्सी पर जो भी बैठे,गुटीय राजनीति, खींचतान और विवादों के बीच ही अपना कार्यकाल पूरा किया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के ठीक पहले नगर निगम में महापौर का डायरेक्ट इलेक्शन हुआ। उमाशंकर जायसवाल पहले मेयर बने। भाजपा की टिकट पर मेयर बनने वाले जायसवाल मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ हो लिए थे। हालांकि कांग्रेस में जाने के बाद भी गुटीय राजनीति से अलग नहीं हो पाए। वाणीराव के दौर में उनके अपने ही पार्षद और एमआईसी मेंबर के बीच विवाद की स्थिति बनी रही। 10 पार्षद तो सीधेतौर पर बागी ही हो गए जो कार्यकाल के आखिर तक सत्ताधारी दल के होने के बावजूद विरोध तेवर अपनाए रहे। वाणीराव सत्ता संतुलन बनाए रखने में अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों तक कामयाब नहीं हो पाई।

सियासत की चकरी ऐसी घुमी-

बिलासपुर निगम की सत्ता पर पांच साल बाद भाजपा ने वापसी की। पूजा विधानी दूसरी महिला मेयर बनी। मेयर की कुर्सी हासिल करने के कुछ महीने में वे विवादित होते दिखाई दे रही है। अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान पहली बार उनका सुर बिगड़ा। सीधे जातिवादी राजनीति पर उतर आईं। उनका बोल भी बिगड़ा। अतिक्रमण की कार्रवाई में मेयर के सीधे हस्तक्षेप से शहर में भाजपा की किरकिरी ही हुई। शहरवासियों को भी यह लगने लगा कि मेयर शहर विकास के बजाय जातिवादी राजनीति दिलचस्पी ले रही हैं। अपनो को बचाने के लिए नियम कायदे को ताक पर रख दिया। सियासत की चकरी यहीं से घुमी और चंद दिनों में मेयर विवादों के घेरे में फंस गई। अब तो पब्लिक डोमेन में भी इस बात की चर्चा छिड़ी हुई है कि आखिर कौन सी मजबूरी मेयर को सड़क पर उतरने मजबूर कर दिया और नियमों को धता बताते हुए सीधेतौर पर हस्तक्षेप पर उतर आई।

पब्लिक डाेमेन में होने लगी चर्चा-

दो इंजीनियरों के एक्सटेंशन में सभापति विनोद सोनी ने लेनदेन का गंभीर आरोप लगाया है। पब्लिक डोमेन में इस बात ही चर्चा छिड़ी हुई है कि आरोप में अगर सच्चाई है तो यह तो भाजपा की रीति नीति के एकदम उलट है। नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिला है जब किसी मेयर पर सीधेतौर पर लेनदेन का आरोप लगा है। इस आरोप ने बिलासपुर नगर निगम में भाजपा पार्षदों के बीच एक तरह से लक्ष्मण रेखा खींच दिया है। दो फाड़ की स्थिति तो बन ही गई है। मन और मतभेद की राजनीति आने वाले दिनों में क्या रंग लाएगी, यह भी देखने वाली बात होगी।

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