CG Municipal Elections: नगरीय निकाय चुनाव, भाजपा के लिए लकी रहा है मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन, कांग्रेस के लिए जोड़-ताेड़ की राजनीति रही है फलदायी
CG Municipal Elections:बिलासपुर नगर निगम का इतिहास तकरीबन 43 साल पुरानी है। तब से लेकर आजतलक शहर सरकार के लिए दिग्गजों ने कैसे दांव-पेंच खेले, जिद की राजनीति के चलते बहुमत में होने के बाद कैसे निर्दलीय पार्षद को मेयर की कुर्सी मिल गई। कैसे जोड़-तोड़ हुआ टाउन हाल की दीवारों ने सब-कुछ देखा है। चुनावी इतिहास,शह मात के इस खेल में मेयर के डायरेक्ट और इन डायरेक्ट इलेक्शन के भी अपने मायने हैं। इतिहास गवाह है, जब-जब शहरवासियों ने मेयर का चुनाव तब-तब भाजपा पर भरोसा जताया। यह भी कह सकते हैं कि डायरेक्ट इलेक्शन राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए लकी रहा है। इन डायरेक्ट इलेक्शन या फिर जोड़-तोड़ की राजनीति कांग्रेस के लिए फलदायी रही है। जब भी पार्षदों ने मेयर का चुनाव किया कांग्रेस के ही मेयर बनते रहे हैं।

CG Municipal Elections: बिलासपुर। वर्ष 2019 में जब नगरीय निकायोंं का चुनाव हुआ तब कांग्रेस सरकार ने मेयर चुनाव के नियमों में बदलाव कर दिया। प्रत्यक्ष के बजाय अप्रत्यक्ष मतदान प्रणाली पर भरोसा जताया। पार्षदों के वोट से मेयर का चुनाव हुआ। नतीजा ये हुआ कि प्रदेश के सभी 14 नगर निगमों में कांग्रेस का कब्जा हो गया। कांग्रेसी मेयर ने पूरे पांच साल शहर सरकार चलाई। राज्य की सत्ता पर भाजपा की वापसी के साथ ही मेयर चुनाव के नियमों में बदलाव करते हुए मेयर चुनने का अधिकार शहरी मतदाताओं के हाथों में साैंप दिया है।
भाजपा के इस निर्णय के बाद शहर सरकार के लिए चली सियासत पर नजर डालने और इतिहास को खंगालने का मौका भी है। चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो जब-जब मतदाताओं ने मेयर का चुनाव किया है,भाजपा पर भरोसा जताया है। चर्चा इस बात की होने लगी है कि क्या भाजपा अपने पुराने चुनावी इतिहास को दोहराएगी, या फिर जोड़-तोड़ की राजनीति पर भरोसा करने वाली कांग्रेस,क्या इस मिथक को तोड़ने में राजनीतिक रूप से सफल हो पाएगी।
0 मोहल्लों की इलेक्शन पालिटिक्स पर डालें नजर
पालिटिक्स के फ्लोर पर चुनावी बिसात बिछ चुकी है। मोहल्लों में माहौल धीरे-धीरे से ही गरमाने लगा है। स्पीकर के लिए वार्ड पार्षद से लेकर मेयर के लिए वोट मांगने का काम किया जा रहा है। वोट की अपील के साथ ही चुनावी वायदे भी किए जा रहे हैं। वार्डवासियों की जरुरत के हिसाब से लुभावने नारे और इसी तरह की बातें हो रही है। आयुष्मान कार्ड,राशन कार्ड,पानी,बिजली,सड़क,नाली और ऐसे ही छोटी-छोटी समस्याओं को निपटाने का वायदा किया जा रहा है। यह वायदा पार्टी की तरफ से स्पीकर के जरिए की जा रही है। मोहल्लों में चुनावी कार्यालय भी खुल चुके हैं।
कार्यालयों में समर्थकों की आवाजाही लगी हुई है। रात नौ बजे के बाद जैसा कि होते आया है, चुनाव का असली रंग दिखने लगता है। यह सीन शहर के प्रमुख मोहल्लों से लेकर अमूमन सभी वार्डों में। चुनावी शराब जब अपना रंग दिखाना शुरू करता है तब उसी अंदाज में अपने नेताओं के समर्थन में नारेबाजी और वोट देने की अपील भी। मोहल्लों में इसका असर भी दिखाई देने लगा है। चुनावी त्योहार को अपने अंदाज में मनाने वालों की कमी भी नहीं है। उम्मीदवार से लेकर समर्थक भी दिल खोलकर मांगे पूरी कर रहे हैं। कारण भी साफ है। हर हाल में चुनाव जीतना है। मोहल्लो की पालिटिक्स का अपना अलग अंदाज होता है। मोहल्लों में यह सब दिखाई देने लगा है। मनमुटाव को हवा देने की कोशिशों के बीच मान मनौव्वल का दौर भी चल रहा है।
0 खुला भाजपा का खाता
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से ठीक एक साल पहले वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली से करने की घोषणा की और जरुरी बदलाव भी किया। भाजपा ने बिलासपुर नगर निगम के मेयर पद के लिए उमाशंकर जायसवाल को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष व लोरमी के पूर्व विधायक बैजनाथ चंद्राकर पर दांव खेला।
डायरेक्ट इलेक्शन भाजपा के लिए शुभकारी हुआ। उमाशंकर जायसवाल चुनाव जीत गए। इसी के साथ भाजपा का खाता भी खुला। राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी और अजीत जोगी सीएम बने। जोगी के सीएम बनने के बाद छत्तीसगढ़ में एक अलग ही तरह की राजनीति दिखाई दी। तोड़-फोड़ की सियासत शुरू हो गई। मेयर उमाशंकर जायसवाल कांग्रेस में शामिल हो गए। राजनीतिक रूप से उनका यह निर्णय भाजपा और खुद के लिए अमंगलकारी हुआ। वर्ष 2005 के चुनाव में भाजपा ने अशोक पिंगले काे चुनाव मैदान में उतारा। चुनाव तो जीते पर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कार्यकाल के बीच में ही उनका निधन हो गया। तब सभापति विनोद सोनी कार्यवाहक महापौर की भूमिका में रहे और कामकाज करते रहे।
0 एक डायरेक्ट इलेक्शन कांग्रेस के नाम
वर्ष 2010 में हुए मेयर के चुनाव में कांग्रेस ने वाणीराव को चुनाव मैदान में उतारा। वाणी राव चुनाव जीतने के साथ ही नगर निगम की राजनीति में एक दशक बाद कांग्रेस की वापसी भी कराई। वाणी के नाम एक और कीर्तिमान है। अब तक मेयर चुनाव के इतिहास में एकमात्र महिला मेयर रहीं हैं।
0 अब तक मेयर
अशोक राव, बलराम सिंह, श्रीकुमार अग्रवाल, बलराम सिंह, प्रशासक, राजेश पांडेय, उमाशंकर जायसवाल, अशोक पिंगले, विनोद सोनी कार्यवाहक मेयर, वाणीराव, किशोर राय, रामशरण यादव।