CG Liquor Scam: संविदा पोस्टिंग का मोह सलाखों तक पहुंचा दिया छत्तीसगढ़ के IAS को, 3200 करोड़ के शराब घोटाले में EOW ने पूर्व आबकारी सचिव को किया गिरफ्तार...
CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ को हिला देने वाले 3200 करोड़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में ईओडब्लू ने आज पूर्व आबकारी सचिव निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया। निरंजन के खिलाफ ईडी में भी केस दर्ज है। ईडी कई बार पूछताछ कर चुकी है। बता दें, पिछली कांग्रेस सरकार में इस आईएएस अधिकारी को संविदा पोस्टिंग का मोह जेल के सलाखों तक पहुंचा दिया।

CG Liquor Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू ने 3200 करोड़ के शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आज रिटायर आबकारी सचिव निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया। छत्तीसगढ़ में सचिव लेवल के आईएएस रहे अफसर की ईओडब्लू द्वारा यह पहली गिरफ्तारी है। हालांकि, निरंजन दास के खिलाफ ईडी भी जांच कर रही है। ईडी निरंजन से कई बार पूछताछ कर चुकी है।
निरंजन दास को संविदा पोस्टिंग का मोह ले डूबा। वे राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बने थे। प्रमोटी आईएएस होने के बाद भी लगातार उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिलती रहीं। वे नगरीय निकाय आयुक्त भी रहे तो इस विभाग के सचिव भी। कांग्रेस सरकार ने सर्विस के आखिरी साल में उन्हें आबकारी विभाग की जिम्मेदार सौंपी। निरंजन दास ने एफएल-10 को बदलकर शराब में बिचौलिया सिस्टम लागू कर दिया। यही नहीं, सिंडिकेट के साथ मिलकर शराब दुकानों में उपरी कमाई के लिए अवैध शराबों की बिक्री शुरू करा दी। आलम यह था कि सरकारी शराब दुकान में गैर सरकारी शराब धड़ल्ले से बिक रही थी और उसका पैसा सिंडिकेट के पास जा रहा था।
2022 के अंत में निरंजन दास आईएएस से रिटायर हो गए थे। मगर सरकार ने उन्हें संविदा पोस्टिंग दे दी। संविदा पोस्टिंग के बाद शराब के काले धंधे में और तेजी आ गई। इसके बाद 2023 में ईडी ने छापेमारी शुरू कर दी। जानकारों का कहना है कि निरंजन दास चुपचाप अगर रिटायर होकर चले गए होते तो नहीं फंसते। मगर संविदा पोस्टिंग का मोह ने उन्हें जेल भिजवा दिया।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है।
ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा है कि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था।
फरवरी 2019 में बना था सिंडिकेट
कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया शामिल हुए।
वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे।मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। शराब की दुकान संचालकों को सरकारी कागजों पर शराब की खपत दर्ज न करने की सलाह दी गई थी। बिना शुल्क चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब पहुंचाई गई।
2 हजार 174 करोड़ में किसे कितना मिला?
- नेता-मंत्रियों को: 1,392 करोड़ 45 लाख 39 हजार
- 3 शराब डिस्टलर्स: 358 करोड़ 65 लाख 32 हजार
- अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा: 181 करोड़ 52 लाख 85 हजार
- आबकारी विभाग: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500
- जिला आबकारी अधिकारी शराब दुकान के कर्मचारियों को: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500
- विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह को: 60 करोड़ 50 लाख 95 हजार
छत्तीसगढ़ के इन जिलों में नकली होलोग्राम शराब की होती थी खपत
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, महासमुंदधमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बेमेतरा, रायगढ़।
ऐसे हुई थी अवैध शराब बेचने की शुरुआत
शुरुआत में डिस्टलरी से हर महीने 800 पेटी शराब से भरे 200 ट्रक निकलते थे। एक पेटी 2840 रुपए में बिकती थी। उसके बाद, हर महीने 400 ट्रक शराब की आपूर्ति होने लगी। शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से।शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से ज़्यादा पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई।
सिंडिकेट के कोर ग्रुप में आरोपियों की भूमिका
- अनिल टुटेजा: वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे।
- अनवर ढेबर: होटल संचालक है। सिंडिकेट का गठन किया। पैसा किस तरह से कहां पहुंचेगा इसकी प्लानिंग की गई और सबका शेयर तय किया।
- एपी त्रिपाठी: कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी थे। CSMCL में मैनपावर सप्लाई, कैश कलेक्शन, होलोग्राम सप्लाई और शराब परिवहन का काम अपने लोगों को दिलाया।
- विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था।
- अरविंद सिंह: पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।
- त्रिलोक सिंह ढिल्लनः पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।
शराब सिंडिकेट में किसकी क्या भूमिका?
- सिद्धार्थ सिंघानिया: सुपरवाइजर-कर्मचारियों से डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब की बिक्री। बिक्री का पैसा कर्मचारियों के खाते में डलवाता था, फिर सिंडिकेट के सदस्यों तक पैसा पहुंचता था।
- विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों को
- अरविंद सिंह: पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।
- त्रिलोक सिंह ढिल्लनः पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।
- विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों को पहुंचाता था।
- सत्येंद्र प्रकाश गर्ग: नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल सप्लाई।
- नवनीत गुप्ता: नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल की सप्लाई।
- विधु गुप्ता: सिंडिकेट को डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई।
- प्रकाश शर्मा: डिस्टलरी मालिकों को नकली होलोग्राम पहुंचाया।
- सोहन वर्मा: नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
- पीयूष बिजलानी: नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
- नवीन केडिया: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध करता था।
- भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।
- राजेंद्र जायसवाल: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।
