Begin typing your search above and press return to search.

CG Liquor Scam: शराब घोटाला इनसाइड स्टोरी: वो 4 साल, घोटालेबाजों ने सरकारी खजाने को चार तरीके से लगाया 2883 करोड़ का चूना

CG Liquor Scam: ED ने स्पेशल कोर्ट में सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दायर किया है। ईडी ने खुलासा किया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान महज चार साल के भीतर सिंडिकेट ने 2883 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। शराब घोटाले में अफसर से लेकर मंत्री, नेता व शराब डिस्टलर्स शामिल हैं। ईडी द्वारा पेश चार्जशीट के अनुसार घोटालो को सुनियाेजित तरीके से संचालित करने के लिए सिंडिकेट बनाया गया था। पढ़िए इनसाइड स्टोरी, सिंडिकेट ने किस तरह इस पूरे घोटाले को अंजाम तक पहुंचाया। शराब डिस्टलर्स ने किस तरह घोटाले में शामिल होकर अवैध शराब की छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में सप्लाई करते रहे।

CG Liquor Scam: शराब घोटाला इनसाइड स्टोरी: वो 4 साल, घोटालेबाजों ने सरकारी खजाने को चार तरीके से लगाया 2883 करोड़ का चूना
X
By Radhakishan Sharma

CG Liquor Scam: रायपुर। ED ने स्पेशल कोर्ट में सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दायर किया है। ईडी ने खुलासा किया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान महज चार साल के भीतर सिंडिकेट ने 2883 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। शराब घोटाले में अफसर से लेकर मंत्री, नेता व शराब डिस्टलर्स शामिल हैं। ईडी द्वारा पेश चार्जशीट के अनुसार घोटालो को सुनियाेजित तरीके से संचालित करने के लिए सिंडिकेट बनाया गया था। पढ़िए इनसाइड स्टोरी, सिंडिकेट ने किस तरह इस पूरे घोटाले को अंजाम तक पहुंचाया। शराब डिस्टलर्स ने किस तरह घोटाले में शामिल होकर अवैध शराब की छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में सप्लाई करते रहे।

ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि 2019 से 2023 के बीच चार साल के अंतराल में आबकारी विभाग में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट ने राज्य की शराब नीति को अपने फायदे के लिए मनमाफिक तरीके से लागू किया। अपने हिसाब से कानून बनाया। शराब की बिक्री के लिए छत्तीसगढ़ के 15 जिलो को टारगेट किया। इन्हीं 15 जिलो में नकली होलोग्राम के जरिए बड़ी मात्रा में शराब की बिक्री कराई गई। सिंडिकेट के इस घोटाले में छत्तीसगढ़ की शराब निर्माता कंपनियों ने बढ़चढ़कर साथ निभाया। इसके एवज में करोड़ो रुपये डिस्टलर्स ने बनाए। सिंडिकेट में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल, सौम्या चौरसिया और निरंजन दास शामिल हैं। पूरा नेटवर्क अवैध कमीशन, बिना हिसाब की शराब बिक्री और लाइसेंस के जरिए वसूली पर आधारित था। ईडी की ताजा

चार्जशीट में घोटाले में संलिप्तता के आधार पर 59 नए आरोपियों को शामिल किया गया है। शराब घोटाले में अब तक ईडी ने कुल 81 लोगों को आरोपी बनाया है।

घोटाले को अंजाम देने, ये तरीके अख्तियार किए

ED की जांच में एक संगठित आपराधिक गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसने अवैध कमीशन और बेहिसाब शराब की बिक्री सहित एक बहुस्तरीय तंत्र के माध्यम से व्यक्तिगत लाभ के लिए राज्य की शराब नीति का दुरुपयोग किया। घोटालों को अंजाम देने के लिए इस तरह के तरीके अपनाए।

तरीका नंबर-1 (अवैध कमीशन): शराब आपूर्तिकर्ताओं से आधिकारिक तौर पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए।

राज्य द्वारा भुगतान की जाने वाली "लैंडिंग कीमत" को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर बिक्री को सुगम बनाया गया, जिससे प्रभावी रूप से राज्य के खजाने के माध्यम से रिश्वत का वित्तपोषण किया गया।

तरीका नंबर-2 (अघोषित बिक्री): एक समानांतर प्रणाली ने "बिना हिसाब-किताब के" देसी शराब की बिक्री की।

सरकारी दुकानों के माध्यम से नकली होलोग्राम और नकद में खरीदी गई बोतलों का उपयोग करके, सभी उत्पाद शुल्क और करों से बचा जा सकता है।

तरीका नंबर-3 (कार्टेल आयोग): राज्य में बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और परिचालन लाइसेंस सुरक्षित करने के लिए शराब बनाने वालों द्वारा वार्षिक रिश्वत का भुगतान किया जाता था।

तरीका नंबर- 4 FL-10A लाइसेंस: विदेशी शराब निर्माताओं से कमीशन वसूलने के लिए एक नई लाइसेंस श्रेणी शुरू की गई थी, जिसमें मुनाफे का 60% हिस्सा सिंडिकेट को जाता था।

ED ने बनाये 59 नए आरोपी, ऐसे बनाया कैटेगरी

नौकरशाह: अनिल टुटेजा (सेवानिवृत्त आईएएस), तत्कालीन संयुक्त सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी, और तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास (आईएएस) नीति में हेरफेर करने और गिरोह के बेरोकटोक संचालन को सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहे थे। सीएसएमसीएल के प्रबंध निदेशक अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) को अवैध वसूली को अधिकतम करने और भाग-बी के अभियानों के समन्वय का कार्य सौंपा गया था। इसके अतिरिक्त, जनार्दन कौरव और इकबाल अहमद खान सहित 30 क्षेत्रीय आबकारी अधिकारियों पर "प्रति मामले निश्चित कमीशन" के बदले बेहिसाब शराब की बिक्री में सुविधा प्रदान करने का आरोप लगाया गया था।

राजनीतिक लोग: तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और चैतन्य बघेल (तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र) पर अपने व्यापार, रियल एस्टेट परियोजनाओं में नीतिगत सहमति देने और पीओसी प्राप्त करने, उपयोग करने में उनकी भूमिका के लिए आरोप लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया को अवैध नकदी के प्रबंधन और अनुपालन करने वाले अधिकारियों की नियुक्तियों के प्रबंधन के लिए एक प्रमुख समन्वयक के रूप में पहचाना गया था।

निजी व्यक्ति और संस्थाएं: सिंडिकेट का नेतृत्व अनवर ढेबर कर रहे थे। उनके सहयोगी अरविंद सिंह. छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स और वेलकम डिस्टिलरीज सहित निजी निर्माताओं ने जानबूझकर शराब के अवैध निर्माण में भाग लिया और भाग-ए और भाग-बी कमीशन का भुगतान भी किया। सिद्धार्थ सिंघानिया (नकदी संग्रह) और विधु गुप्ता (नकली होलोग्राम आपूर्ति) जैसे सहायक भी उक्त धोखाधड़ी में प्रमुख निजी भागीदार पाए गए।

9 प्रमुख व्यक्तियों की हुई गिरफ्तारी

2002 के पीएमएलए की धारा 19 के तहत अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस), कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री), चैतन्य बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र), सौम्या चौरसिया (मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव) और निरंजन दास (आईएएस) सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कुछ को फिलहाल जमानत मिल चुकी है, जबकि अन्य न्यायिक हिरासत में हैं।

ईडी ने जब्त की 382.32 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां

ईडी ने 382.32 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां जब्त की है। कुर्क की गई संपत्तियों में नौकरशाहों, राजनेताओं और निजी संस्थाओं से जुड़ी 1,041 संपत्तियां शामिल है। रायपुर के होटल वेनिंगटन कोर्ट और ढेबर व बघेल परिवारों से संबंधित सैकड़ों परिसंपत्तियां शामिल है।

सरकारी शराब दुकानों में नकली होलोग्राम वाली शराब, इस गिरोह ने किया संचालन

सिंडिकेट ने डिस्टलरी मालिकों से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री कराई गई। नकली होलोग्राम मिलने में दिक्कतें ना आए, इसकी जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को दी गई। त्रिपाठी ने होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को राजी किया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी। डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। इसकी एमआरपी सिंडिकेट ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी, डिमांड बढ़ा, तब सिंडिकेट ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी।

डिस्टलर्स की भरी झोली

डिस्टलरी मालिकों को शराब सप्लाई करने के एवज में शुरुआत में प्रति पेटी 560 रुपए दिया जाता था, जो बाद में 600 रुपए कर दिया गया था। देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में बांटा। हर डिस्टलरी का जोन तय किया जाता था। 2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नए सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा।

Next Story