Begin typing your search above and press return to search.

CG Liquor Scam: शराब घोटाला, तत्कालीन आयुक्त, सचिव समेत 6 आरोपियों के खिलाफ जार्चशीट पेश, पूर्व IAS को मिलते थे हर माह 50 लाख...पढ़ें EOW की चार्जशीट

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला प्रकरण में छह आरोपियों के खिलाफ सातवां चार्जशीट कोर्ट में पेश किया...

CG Liquor Scam: शराब घोटाला, तत्कालीन आयुक्त, सचिव समेत 6 आरोपियों के खिलाफ जार्चशीट पेश, पूर्व IAS को मिलते थे हर माह 50 लाख...पढ़ें EOW की चार्जशीट
X
By Sandeep Kumar

CG Liquor Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में चर्चित शराब घोटाला मामले में सातवां चार्जशीट न्यायालय में पेश किया गया। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा विवेचनाधीन छत्तीसगढ़ शराब घोटाला प्रकरण में आज विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), रायपुर के समक्ष आबकारी विभाग के तत्कालीन आयुक्त एवं सचिव (आबकारी) निरंजन दास सहित कुल 6 आरोपियों के विरुद्ध अभियोग पत्र (चार्जशीट) प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकरण में अब तक कुल 50 आरोपियों के विरुद्ध चालान न्यायालय में पेश किया जा चुका है। प्रकरण की विवेचना कार्यवाही निरंतर जारी है।

जांच के दौरान यह तथ्य प्रमाणित हुआ है कि निरंजन दास ने अपनी लगभग तीन वर्ष की आबकारी विभाग में पदस्थापना अवधि के दौरान आबकारी नीति एवं अधिनियम में गैर-जरूरी तथा विशेष व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने वाले बदलाव, विभागीय टेण्डरों की शर्तों में हेरफेर तथा व्यवस्थापन में जानबूझकर गड़बड़ी जैसे कार्य इस उद्देश्य से किए कि उस समय आबकारी विभाग में सक्रिय सिंडिकेट, जिसे अनिल टुटेजा तथा अनवर ढेबर का संरक्षण प्राप्त था, को कमीशन उगाही में सीधा लाभ मिल सके। जांच में यह भी सिद्ध हुआ है कि इस अवैध सहयोग के बदले निरंजन दास को न्यूनतम 50 लाख रुपये प्रतिमाह की हिस्सेदारी प्राप्त हो रही थी और आबकारी विभाग में उनकी पदस्थापना अवधि के दौरान किए गए लेन-देन के विश्लेषण से अब तक की विवेचना में ऐसे ठोस प्रमाण मिले हैं कि उन्हें इस अवैध व्यवस्था से कम से कम 16 करोड़ रुपये की अवैध राशि प्राप्त हुई है। आगे की विवेचना में इस राशि के और अधिक होने की संभावना है तथा इस अवैध आय को अपने और अपने परिजनों के नाम पर विभिन्न अचल संपत्तियों में निवेश किए जाने के साक्ष्य मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

विदेशी मदिरा पर शराब निर्माता कंपनियों से जबरन कमीशन उगाही के उद्देश्य से बनाई गई दोषपूर्ण एफ.एल.-10-ए (FL-10A) लायसेंसी प्रथा के लाभार्थी, लायसेंसी कंपनी ओम साई बेवरेजेस प्रा.लि. के संचालक आरोपी अतुल सिंह एवं मुकेश मनचंदा के विरुद्ध भी जांच में यह आरोप प्रमाणित हुआ है कि उन्होंने सिंडिकेट एवं शराब प्रदाता कंपनियों के बीच बिचौलिये के रूप में कार्य करते हुए कमीशन उगाही की रकम को सिंडिकेट तक पहुँचाने का काम किया। इस गलत लायसेंसी नीति के कारण राज्य शासन को न्यूनतम 530 करोड़ रुपये का राजस्व हानि होना जांच में परिलक्षित हुआ है, जिसमें से लगभग 114 करोड़ रुपये का अवैध सकल आर्थिक लाभस्वयं आरोपियों तथा उनकी कंपनी ओम साई बेवरेजेस प्रा.लि. को भी प्राप्त होना सामने आया है।

अन्य अभियुक्तों में सिंडिकेट के प्रमुख अनवर ढेबर के निकट सहयोगी नितेश पुरोहित एवं उसके पुत्र यश पुरोहित की भूमिका शराब घोटाले से उगाही गई रकम को अपने होटल गिरिराज, जेल रोड, रायपुर में इकट्ठा करने, छुपाने, व्यवस्थापित करने तथा इस राशि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में सक्रिय रूप से मददगार के रूप में पाई गई है। प्राथमिक जांच के अनुसार नितेश पुरोहित एवं यश पुरोहित के माध्यम से सिंडिकेट की लगभग 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध राशि का संचालन, प्रबंधन एवं व्यवस्थापन किया जाना पाया गया है, जिसकी विस्तृत जांच जारी है।

इसी प्रकार अन्य आरोपी दीपेन चावड़ा, जो अनवर ढेबर का पुराना मित्र एवं उसके होटल वेलिंग्टन कोर्ट का मैनेजर था, के संबंध में जांच में यह तथ्य सामने आया है कि वह सिंडिकेट की बड़ी रकम को शीर्ष व्यक्तियों तक पहुँचाने, पैसों को छुपाने एवं सुरक्षित रखने, सिंडिकेट के निर्देशानुसार अलग-अलग व्यक्तियों को रकम सुपुर्द करने तथा हवाला आदि के माध्यम से अवैध लेन-देन करने का कार्य करता था। जांच से यह भी स्पष्ट हुआ है कि कमीशन वसूली के लिए बनाई गई कंपनी "AJS एग्रो" में दीपेन चावड़ा बतौर डायरेक्टर कार्यरत था, जिसके माध्यम से सिंडिकेट के पैसों से जमीनों एवं अन्य सम्पत्तियों में किए गए करोड़ों रुपये के निवेश में उसकी साझेदारी एवं सक्रिय सहयोगी भूमिका पाई गई है।

आगे की विवेचना में यह भी सामने आया है कि इनकम टैक्स रेड (फरवरी 2020) के बाद दीपेन चावड़ा द्वारा सिंडिकेट के लिए एक हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की नगद राशि तथा सोने / गोल्ड को कलेक्ट एवं हैंडल करने का काम किया गया, जिन्हें वह अलग-अलग ठिकानों पर सुरक्षित रखने तथा अनवर के निर्देशानुसार आगे भेजने का कार्य करता था। इसके अतिरिक्त, अनवर ढेबर द्वारा अन्य विभागों से की गई अवैध वसूली की रकम को भी एकत्रित करने, संभालने एवं आगे पहुँचाने का कार्य आरोपी दीपेन चावड़ा द्वारा ही किया जाता था। सभी आरोपी वर्तमान में केंद्रीय जेल रायपुर में न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

Read MoreRead Less

Next Story