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CG Liquor Scam: चैतन्य बघेल और दीपेन चावड़ा को EOW ने स्पेशल कोर्ट में किया पेश, 6 दिन की मिली रिमांड

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को संलिप्तता के आरोप में ईओडब्ल्यू व ईडी ने गिरफ्तार किया है। चैतन्य बघेल व दीपेन चावड़ा को आज ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों आरोपियों से पूछताछ के लिए कोर्ट ने छह दिनों की रिमांड की मंजूरी जांच एजेंसी को दी है।

CG Liquor Scam: चैतन्य बघेल और दीपेन चावड़ा को EOW ने स्पेशल कोर्ट में किया पेश, 6 दिन की मिली रिमांड
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By Radhakishan Sharma

CG Liquor Scam: रायपुर। शराब घोटाले में संलिप्तता और कमीशनखोरी के आरोप में EOW ने चैतन्य बघेल व दीपेन चावड़ा को स्पेशल कोर्ट में पेश किया है। जांच एजेंसी ने दोनों आरोपियों का प्रोडक्शन वारंट स्पेशल कोर्ट के समक्ष पेश किया। दीपेन चावड़ा नान घोटाले में ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल में बंद है। ईओडब्ल्यू अब उसे आबकारी घोटाले में गिरफ्तार करेगी। गिरफ्तारी के साथ ही पूछताछ भी करेगी।

दीपेन चावड़ा को कारोबारी व शराब घोटाले के मास्टर माइंड अनवर ढेबर का करीबी बताया जा रहा है। जांच एजेंसी अब दीपेन से घोटाले से जुड़ी राज उगलवाने की कोशिश करेगी। EOW ने विशेष अदालत में दोनों आरोपियों को छह तक पुलिस रिमांड पर देने की मांग की है। चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट के फैसले के बाट रायपुर की स्पेशल कोर्ट में रिमांड याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

चैतन्य पर ब्लैक मनी को व्हाइट करने रियल स्टेट में खपाने का आरोप

जांच एजेंसियों ने चैतन्य बघेल को शराब घोटाले का मास्टर माइंड बताया है। बिग बास वाट्सएप ग्रुप के जरिए पूरे घोटाले को संचालित करने का आरोप है। बिग बास वाट्सएप ग्रुप में दो पूर्व आईएएस अफसरों के अलावा अनवर ढेबर व खास लोग जुड़े हुए थे। इसी ग्रुप के जरिए पूरे घोटाले को संगठित गिरोह के रूप में संचालित करने का आराेप जांच एजेंसियों ने लगाया है। चैतन्य को कमीशन के तौर पर एक हजार करोड़ रुपये मिला। ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए इसे रियल स्टेट के धंधे में खपाने का आरोप है।

पढ़िए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है।

ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा है कि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था।

फरवरी 2019 में बना था सिंडिकेट

कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया शामिल हुए।

वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे।मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। शराब की दुकान संचालकों को सरकारी कागजों पर शराब की खपत दर्ज न करने की सलाह दी गई थी। बिना शुल्क चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब पहुंचाई गई।

2 हजार 174 करोड़ में किसे कितना मिला?

नेता-मंत्रियों को: 1,392 करोड़ 45 लाख 39 हजार

3 शराब डिस्टलर्स: 358 करोड़ 65 लाख 32 हजार

अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा: 181 करोड़ 52 लाख 85 हजार

आबकारी विभाग: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500

जिला आबकारी अधिकारी शराब दुकान के कर्मचारियों को: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500

विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह को: 60 करोड़ 50 लाख 95 हजार

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में नकली होलोग्राम शराब की होती थी खपत

रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, महासमुंदधमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बेमेतरा, रायगढ़।

ऐसे हुई थी अवैध शराब बेचने की शुरुआत

शुरुआत में डिस्टलरी से हर महीने 800 पेटी शराब से भरे 200 ट्रक निकलते थे। एक पेटी 2840 रुपए में बिकती थी। उसके बाद, हर महीने 400 ट्रक शराब की आपूर्ति होने लगी। शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से।शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से ज़्यादा पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई।

सिंडिकेट के कोर ग्रुप में आरोपियों की भूमिका

अनिल टुटेजाः वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे।

अनवर ढेबर: होटल संचालक है। सिंडिकेट का गठन किया। पैसा किस तरह से कहां पहुंचेगा इसकी प्लानिंग की गई और सबका शेयर तय किया।

एपी त्रिपाठी: कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी थे। CSMCL में मैनपावर सप्लाई, कैश कलेक्शन, होलोग्राम सप्लाई और शराब परिवहन का काम अपने लोगों को दिलाया।

विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था।

अरविंद सिंह: पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।

त्रिलोक सिंह ढिल्लनः पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।

शराब सिंडिकेट में किसकी क्या भूमिका ?

  • सिद्धार्थ सिंघानिया: सुपरवाइजर-कर्मचारियों से डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब की बिक्री। बिक्री का पैसा कर्मचारियों के खाते में डलवाता था, फिर सिंडिकेट के सदस्यों तक पैसा पहुंचता था।
  • विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों को
  • अरविंद सिंह: पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।
  • त्रिलोक सिंह ढिल्लनः पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।
  • विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों को पहुंचाता था।
  • सत्येंद्र प्रकाश गर्ग: नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल सप्लाई।
  • नवनीत गुप्ता: नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल की सप्लाई।
  • विधु गुप्ता: सिंडिकेट को डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई।
  • प्रकाश शर्मा: डिस्टलरी मालिकों को नकली होलोग्राम पहुंचाया।
  • सोहन वर्मा: नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
  • पीयूष बिजलानी: नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
  • नवीन केडिया: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध करता था।
  • भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।
  • राजेंद्र जायसवाल: सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।


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