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CG Land Scame: बजरमुड़ा मुआवजा घोटाले की CBI व ED जांच के लिए हाई कोर्ट में PIL, पढ़िये कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अमानत राशि जप्त क्यों किया?

रायगढ़ जिले के बजरमुडा में छग स्टेट पावर जनरेशन कंपनी को गारेपेलमा कोल ब्लॉक के लिए आबंटित भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में करोड़ों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। मुआवजा घोटाले की सीबीआई व ईडी से जांच की मांग को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में पीआईएल दायर किया गया था। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कुछ इस तरह का फैसला दिया है। पढ़िए डिवीजन बेंच ने क्यों याचिकाकर्ता द्वारा पीआईएल दायर करने के दौरान जमा की गई अमानत राशि को जप्त करने का निर्देश दिया है।

CG Land Scame: बजरमुड़ा मुआवजा घोटाले की CBI व ED जांच के लिए हाई कोर्ट में PIL, पढ़िये कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अमानत राशि जप्त क्यों किया?
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CG Land Scame



By Radhakishan Sharma

CG Land Scame: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने रायगढ़ जिले के बजरमुड़ा गांव की जमीन अधिग्रहण में 300 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की सीबीआई व ईडी से जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यही नहीं डिवीजन बेंच ने इसे जनहित का मानते हुए पीआईएल के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा जमा कराई गई अमानत राशि को भी जप्त करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने सरकारी खजाने को 300 करोड़ का चूना लगाने वाले दोषी अधिकारी व कर्मचारी से राशि की वसूली की मांग भी की थी।

डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है। इसमें बलवंत सिंह चौफाल, अशोक कुमार पांडे, गुरपाल सिंह और होलिका पिक्चर्स जैसे प्रकरणों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि झूठी या निजी मकसद वाली पीआईएल न्यायपालिका का समय नष्ट करती हैं और असली पीड़ितों को न्याय से वंचित करती है।

याचिकाकर्ता ने पीआईएल में ये की थी मांग-

  • 300 करोड़ रुपये के भूअर्जन घोटाले की CBI, ED से स्वतंत्र जांच हो।
  • दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज हो।
  • सरकारी खजाने को चोट पहुंचाकर 300 करोड़ रुपये का वारा-न्यारा करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों से राशि वसूली जाए और संपत्ति जप्त की जाए।
  • राजस्व विभाग, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार व सीएसपीजीसीएल प्रबंध निदेशक की भूमिका की जांच की जाए।
  • याचिकाकर्ता की मांग को राज्य सरकार ने कुछ इस तरह किया विरोध

याचिकाकर्ता अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने दलील दी कि उन्होंने राजस्व मंडल, ईडी व अन्य एजेंसियों को कई शिकायतें दीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। केवल सात अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई हुई और अंततः तीन पर सीमित कार्रवाई हुई। उन्होंने इसे पिक एंड चूज की नीति बताया।

राज्य सरकार और अन्य पक्षों ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह वास्तविक जनहित याचिका नहीं है, बल्कि इसमें याचिकाकर्ता का व्यक्तिगत और पेशेवर स्वार्थ दिखाई देता है। प्रभावित ग्रामीण और भूमि मालिक स्वयं अदालत नहीं आए।

हाई कोर्ट ने इस याचिका को गैर-गंभीर और निजी उद्देश्य वाली मानते हुए खारिज कर दिया तथा याचिकाकर्ता की सुरक्षा राशि जब्त करने का आदेश दिया। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि वास्तविक प्रभावित पक्ष यदि चाहें तो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनन उचित मंच पर जा सकते हैं।


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