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CG Gaudham Yojana: चरवाहों और गोसेवकों की भर्तीः गौधाम योजना को संचालित करने छत्तीसगढ़ में चरवाहों, गोसेवकों की होगी भर्ती, पढ़िए कितना रहेगा मासिक वेतन...

CG Gaudham Yojana: छत्तीसगढ़ में सड़कों पर घूम रहे गायों की व्यवस्थापन के लिए सरकार ने गौधाम योजना लांच कर दिया है। गौधाम में दो महत्वपूर्ण काम होंगे। आवारा पशुओं को सुरक्षित रखने के अलावा कृत्रिम गर्भाधान किया जाएगा। इसके लिए चरवाहों व गोसेवकों की भर्ती की जाएगी। इनको हर महीने वेतन भी मिलेगा। पढ़िए चरवाहों और गोसेवकों को हर महीने कितनी तनख्वाह मिलेगी और इसके एवज में क्या-क्या काम करने होंगे।

CG Gaudham Yojana: चरवाहों और गोसेवकों की भर्तीः गौधाम योजना को संचालित करने छत्तीसगढ़ में चरवाहों, गोसेवकों की होगी भर्ती, पढ़िए कितना रहेगा मासिक वेतन...
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By Gopal Rao

CG Gaudham Yojana: रायपुर। छत्तीसगढ़ के शहरी व ग्रामीण इलाकों में जल्द ही गौधाम का संचालन होते दिखाई देगा। कांग्रेस सरकार के दौर से एकदम अलग और अल्हदा योजना के रूप में यह लोगों के बीच आएगा। गौधाम में गोवंश के संरक्षण के साथ ही कृत्रिम गर्भाधान भी किया जाएगा। इसके लिए चरवाहे और गोसेवकों की नियुक्ति की जाएगी। प्रति महीने तनख्वाह मिलेगा। सैलेरी के एवज में इनको क्या काम करना है, यह भी तय कर दिया गया है।

चरवाहों को श्रमायुक्त द्वारा दैनिक न्यूनतम वेतन के संबंध में जारी अनुसूची “ग“ अनुसार मानदेय दिया जाएगा। चरवाहा को प्रति महीने मानदेय राशि 10916.00 रुपए (अकुशल वर्ग), प्रति वर्ष राशि 130902.00 रुपए व्यय होगा। समय-समय पर इसमें बदलाव भी किया जाएगा। यह सब काम के स्किल के आधार पर तय किए जाएंगे।

गौसेवक, प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता के रूप में जाने जाएंगे। इनको श्रमायुक्त, छ.ग. शासन द्वारा दैनिक न्यूनतम वेतन के संबंध में जारी अनुसूची “ग“ अनुसार मानदेय मिलेगा। वर्तमान में प्रचलित दर का औसत अनुसार प्रति गौसेवक प्रति महीने मानदेय रू. 13126.00 (उच्च कुशल वर्ग), प्रति वर्ष राशि रू. 157512.00 व्यय होगा, जो समय-समय पर बदले भी जाएंगे।

प्रथम चरण में एनएच पर संचालित होगा गौधाम

छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत गौधाम स्थापना के लिए जिला प्रशासन को प्रस्ताव देना होगा। जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किए जाएंगे। पहले चरण में राज्य के एनएच के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किए जाएंगे। एक गौधाम में अधिकतम 200 गोवंशों को रखा जाएगा। जहां चारा पानी के अलावा शेड की सुविधा रहेगी। गौधाम में कृत्रिम गर्भाधान का काम भी होगा। यह गोसेवक करेंगे। गौधाम में पशु नस्ल सुधार का काम भी किया जाएगा।

जाहिर है, छत्तीसगढ़ में आए दिन सड़कों पर गायों की मौतें हो रही हैं। हाई कोर्ट ने इसे संज्ञान लेकर चीफ सिकरेट्री से रिपोर्ट मांगी थी। उधर, पिछले हफ्ते तीन हादसों में 90 गायों की मौत हो गई। बिलासपुर रोड पर 18 गायों की मौतों पर मुख्य सचिव ने कलेक्टर, एसपी की क्लास लगा दी थी। बहरहार, सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए गौधाम योजना को लागू कर दिया है। पशुधन विकास विभाग ने इसके लिए पारित ड्राफ्ट के साथ कलेक्टरों और विभाग के मैदानी अधिकारियों को लेटर जारी कर दिया है।

ऐसा होगा गौधाम

सड़कों पर आवारा घूम रहे गोवंशों को सुरक्षित रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अलग ही सिस्टम पर काम करने का निर्णय लिया है। गौठान के बजाय गौधाम में गोवंशों को सुरक्षित रखा जाएगा। यह भी पहली मर्तबे होगा जब चरवाहों को प्रति महीने मानदेय मिलेगा। गौधाम में गोवंशों के लिए चारा पानी की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए बजट भी तय कर दिया है। गौधामों की रैकिंग भी सरकार तय करेगी। रैंकिंग के हिसाब से ईनाम भी मिलेगा। मसलन वह सब-कुछ जो एक गौधाम संचालक सरकार से अपेक्षा रखता है। सरकार अपनी योजना की शुरुआत छभ् से करने जा रही है। एनएच में गोवंशों की मौत को रोकने की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है। पढ़िए छत्तीसगढ़ सरकार किस अंदाज में गौधाम का संचालन करेगी और गौंवंशों को सुरक्षित रखेगी।

क्या लिखा है ड्राफ्ट में

छत्तीसगढ़ प्रदेश सात राज्यों की सीमाओं से घिरा हुआ है तथा प्रदेश से 11 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, जिससे अंतर्राज्यीय आवागमन की सघनता है। राज्य में कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (यथा संशोधित 2011), छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 लागू है। जिसके अंतर्गत अवैध रूप से पशुओं की तस्करी एवं परिवहन पर रोक है। अंतर्राज्यीय सीमाओं पर प्रायः अवैध पशु तस्करी पर गृह विभाग द्वारा विधिवत कार्यवाही करते हुए गौवंशीय पशु जब्त किये जाते है।

प्रदेश में निराश्रित, घुमन्तू गौवंशीय पशु बहुतायत में हैं, ऐसे पशु खेतों में फसलों को नुकसान पुहचाते हैं तथा सड़कों में विचरण करने के कारण दुर्घटनाएं होती हैं, जिससे पशु के साथ-साथ जनमानस को भी हानि होती है। निराश्रित, घुमन्तू एवं जब्त पशुओं को छ.ग. राज्य गौसेवा आयोग अंतर्गत निकटस्थ पंजीकृत गौशाला में रखने का प्रावधान है। पंजीकृत गौशालाओं मे क्षमतानुसार पशु विस्थापित हो जाने के कारण वर्तमान में निराश्रित, घुमन्तू एवं जब्त पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु शासकीय भूमि में गौधाम स्थापित किये जाने की आवश्यकता हैं।

ऐसे बनेगा गौधाम

छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत योजनांतर्गत जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किये जायेंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से भिन्न होंगे। प्रथम चरण में प्रदेश की प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग छभ् के आस- पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किये जायेंगे। गौधाम में स्थानीय निकायों द्वारा निराश्रित, घुमन्तू गौवंशीय पशुओं तथा गृह विभाग द्वारा कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011), छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 अंतर्गत जप्त गौवंशीय पशुओं को ही विस्थापित किया जायेगा।

शासकीय भूमि में संचालित होगा गौधाम

ऐसी शासकीय भूमि जिसमे सुरक्षित बाडा, पशुओं के शेड, पर्याप्त पानी की सुविधा, बिजली की सुविधा उपलब्ध हो, में गौधाम की स्थापना की जायेगी। जैसे स्थापित गौठान जहां पूर्व से अद्योसंरचना विकसित हैं। उपलब्धता अनुसार गौठान से संलग्न चारागाह की भूमि हरा चारा उत्पादन हेतु उपलब्ध कराई जायेगी। गौधाम के संचालन हेतु चयनित संस्था को उपलब्ध कराई गई भूमि, अद्योसंरचना तथा चारागाह पर चयनित संस्था का कोई अधिकार नहीं होगा।

गौधाम का उद्देश्य

निराश्रित, घुमन्तु पशुओं एवं कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (यथा संशोधित 2011), छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 अंतर्गत जप्त गौवंशीय पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण एवं संवर्धन।

1. गौउत्पादों को बढ़ावा देना।

2. चारा विकास कार्यक्रम विकसित करना।

3. प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करना।

4. पशु नस्ल सुधार करना।

5. जन-जन को गौसेवा के लिये प्रेरित करना।

6. रोजगार उपलब्ध कराना।

7. पशु क्षमता-प्रत्येक गौधाम में क्षमतानुसार (अधिकतम 200) गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।

क्रियान्वयन नियंत्रण, अनुश्रवण एवं अनुशीलन-छत्तीसगढ़ राजपत्र (आसाधारण) में प्रकाशित छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग नियम 2005 (यथा संशोधित 2025) से गठित जिला स्तरीय समिति एवं विकासखण्ड स्तरीय समिति द्वारा स्थापित गौधाम का क्रियान्वयन नियंत्रण, अनुश्रवण एवं अनुशीलन किया जायेगा।

गौधाम के संचालन हेतु संस्था का चयन

(1.) गौधाम हेतु चिन्हांकित भूमि के निकटस्थ/आस-पास की पंजीकृत संचालित गौशाला की समिति द्वारा गौधाम संचालन हेतु सहमति व्यक्त करने पर उक्त समिति को गौधाम संचालन हेतु जिम्मेदारी प्रदाय किये जाने का निर्णय राज्य गौसेवा आयोग की कियान्वयन समिति द्वारा प्राथमिकता पर लिया जा सकेगा। चयनित पंजीकृत संचालित गौशाला की समिति एवं छ.ग. राज्य गौसेवा आयोग के मध्य अनुबंध पश्चात् उक्त समिति को गौधाम का संचालन सौपा जायेगा।

(2.) निकटस्थ/आस-पास की पंजीकृत गैशाला की समिति द्वारा गौधाम संचालन हेतु असहमति व्यक्त करने पर अन्य स्वयंसेवी संस्था एनजीओ, ट्रस्ट तथा फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, सहकारी समिति द्वारा गौधाम संचालन हेतु आवेदन किया जा सकेगा। गौधाम संचालन हेतु अन्य संस्था के चयन हेतु निम्न प्रक्रिया होगी-

“रूचि की अभिव्यक्ति“ के आधार पर छ.ग. राज्य गौसेवा आयोग के द्वारा संस्था का चयन किया जावेगा।

जिला स्तरीय सशक्त समिति प्राप्त आवेदनों का तुलनात्मक अध्ययन कर चयनित संस्था का नाम छ.ग. राज्य गौसेवा आयोग को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करेगी।

राज्य गौसेवा आयोग से अनुमोदन पश्चात् चयनित संस्था एवं आयोग के मध्य अनुबंध किया जायेगा। तत्पश्चात उक्त संस्था को गौधाम का संचालन सौपा जायेगा।

संस्था के चयन का मापदण्ड

  • गौसेवा के क्षेत्र में कार्य का अनुभव (5 वर्ष)।
  • नस्ल सुधार एवं संचालन के क्षेत्र में अनुभव (3 वर्ष)
  • संस्था द्वारा पशुपालकों प्रशिक्षण दिये जाने का अनुभव।
  • जैविक खाद उत्पादन एवं जैविक खेती का अनुभव।
  • पशु क्षमता-प्रत्येक गौधाम में क्षमतानुसार (अधिकतम 200) गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।

उत्कृष्ट गौधामों को अनुदान भी मिलेगा

  • द्वितीय वर्ष-20 रूपये प्रतिदिन/पशु
  • तृतीय वर्ष-30 रूपये प्रतिदिन/पशु
  • चतुर्थ वर्ष-35 रूपये प्रतिदिन/पशु


Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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