CG Fentanyl Drugs Case: छत्तीसगढ़ वन विभाग में नारकोटिक ड्रग्स इथोर्फिन की हेरा-फेरी, जानलेवा होता है यह ड्रग्स...
CG Fentanyl Drugs Case: जिस फेंटानाइल ड्रग्स को लेकर अमरीका का कनाडा, मेक्सिको और चीन के साथ ट्रेड वार शुरू हुआ है यह ड्रग्स मार्फीन से 50 गुना शक्तिशाली होती है। जिस Etorphine इथोर्फिन नारकोटिक ड्रग्स की छत्तीसगढ़ वन विभाग में हेरा-फेरी हुई है वह मार्फीन से 3000 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। Etorphine इथोर्फिन को बड़े वन्य प्राणियों को बेहोश करने के काम में लाया जाता है। सिर्फ 1.3 मिलीलीटर डोज देने से हाथी बेहोश हो जाता है व 0.8 मिलीलीटर डोज से वन भैंसा। असम से वन भैंसा लाने के नाम पर छत्तीसगढ़ के वन विभाग में इसी खतरनाक ड्रग्स के हेरा-फेरी का मामला सामने आया है। वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।

CG Fentanyl Drugs Case: रायपुर। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने Etorphine और ऐसी ही अन्य ड्रग्स की छत्तीसगढ़ वन विभाग में व्यापक हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। जिसमें बिना लाइसेंस के ड्रग्स प्राप्त करना, बिना अनुमति के दूसरों को देना और लाइसेंस मिलने के बाद भी डायरेक्टर जंगल सफारी (लाइसेंसी) की जानकारी के बगैर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश पर वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा ड्रग्स को स्टॉक से निकालना और ज्यादा उपयोग बताया गया है। लाइसेंस की शर्तो का उलंघन कर इसका उपयोग किया गया है। इन सब को लेकर वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने शासन से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर डायरेक्टर जनरल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को मामला सौंपने की मांग की है।
स्टाक रजिस्टर में भारी हेरा-फेरी
वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास छत्तीसगढ़ में Etorphine और ऐसी अन्य ड्रग रखने और उपयोग में लाने का कोई लाइसेंस नहीं था। इसके बाद भी दुधवा टाइगर रिज़र्व और भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से जनवरी और फ़रवरी 2020 में 10 मिलीलीटर Etorphine मंगाया गया। फ़रवरी 2020 में वन विभाग ने असम के मानस टाइगर रिज़र्व से छत्तीसगढ़ लाने के लिए दो वन भैंसे पकडे। एक वन भैंसे को पकड़ने में अधिकतम 0.8 एमएल Etorphine लगता है। लिहाजा दो वन भैंसों के लिए कुल 1.6 एमएल Etorphine की जरुरत हो सकती है। परन्तु स्टॉक रजिस्टर से असम से 2020 में वन भैसा पकड़ने के नाम से 7.8 एमएल Etorphine निकालना बताया गया। इस प्रकार 6.2 एमएल की खपत ज्यादा बताई गई। असम में उपयोग की गई 7.8 एमएल Etorphine के उपयोग के बारे में बताया गया कि उपयोग की गई औषधि के संबंध में जानकारी मानस टाइगर रिज़र्व असम के पास है। नितिन सिंघवी का कहना है कि डायरेक्टर जंगल सफारी ने बताया है कि दूसरे राज्य को Etorphine देने के उच्च अधिकारियों द्वारा या डायरेक्टर जंगल सफारी द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किये गए हैं और असम को Etorphine सौंपने की कोई पावती नहीं है। इसके अलावा यह भी जानकारी नहीं है कि कितनी मात्रा में Etorphine दी गई।
लाइसेंस की शर्तों को उड़ाई धज्जियां
छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग ने अगस्त 2021 में Ethorpin और अन्य ड्रग का सिर्फ जंगल सफारी परिसर में उपयोग करने की शर्त पर लाइसेंस जारी किया। शर्तों की पूरी जानकारी होने के बाद भी मार्च 2023 में तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने असम से चार और वन भैंसा लाने के लिए कमेटी गठन का आदेश जारी किया। वन्यप्राणी चिकित्सकों ने डायरेक्टर जंगल सफारी को बिना प्रिस्क्रिप्शन दिए ड्रग्स लेकर चले गए। वहां चार वन भैसों को बेहोश करने के लिए 2.50 एमएल Ethorpin का उपयोग किया गया, परन्तु स्टॉक में 3.2 एमएल निकालना बताया गया यानि 0.7 एमएल अधिक। Ethorpin और अन्य ड्रग्स कई बार अन्य जिलों में हाथियों को बेहोश करने के लिए भी स्टॉक से निकली गई। जंगल सफारी के दस्तावेज बताते है कि डायरेक्टर जंगल सफारी के पास कोई भी प्रिस्क्रिप्शन नहीं है।
उपायुक्त आबकारी ने नहीं दी थी अनुमति
इस मामले में पत्र लिखने वाले वन्यजीव प्रेमी रायपुर के नितिन सिंघवी ने बताया कि 2023 के अंत तक तत्कालीन डायरेक्टर जंगल सफारी को समझ आ गया था कि वर्तमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से सीधे आदेश प्राप्त करने के बाद उनको बताये बिना ड्रग्स स्टॉक से निकाल ली जाती है। 2023 के अंतिम महीनों में 40 गौर को बारनवापारा अभ्यारण से गुरु घासीदास नेशनल पार्क ले जाने का प्लान बना। बारनवापारा अभ्यारण्य बलौदा बाजार जिले में आता है। लिहाजा डायरेक्टर जंगल सफारी ने उपायुक्त आबकारी रायपुर से बारनवापारा अभ्यारण्य में ड्रग के उपयोग की अनुमति मांगी। उपायुक्त आबकारी रायपुर ने अनुमति नहीं दी। उपायुक्त आबकारी ने ड्रग्स का उपयोग जंगल सफारी परिसर में करने के लिए लाइसेंस जारी किया था।
सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से पूछा कि लाइसेंस की शर्तों की पूरी जानकारी होने के बाद भी उन्होंने ड्रग्स को जंगल सफारी से बाहर असम और दूसरे जिलों में ले जाने का आदेश वन्यप्राणी चिकित्सक को क्यों दिया। वर्ष 2020 और 2023 में अतिरिक्त खपत बताई गई ड्रग्स कहां गया।
बिना लाइसेंस उपयोग करना, अपराध की श्रेणी में
Narcotics Drugs and Phchotropic Substances Act,1985 ( मादक-द्रव्यों एंव मनोउत्तेजक पदार्थ अधिनियम ) के तहत अधिसूचित ड्रग है। बिना लाइसेंस के इसे प्राप्त कर उपयोग करना और लाइसेंस होने पर शर्तों का पालन नहीं करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसे सूंघने से या चमड़ी पर गिरने से भी मानव की मौत हो सकती है। यह मार्फीन से 3000 गुना शक्तिशाली होने के कारण इसकी कीमत ब्लैक मार्केट में प्रति एमएल लाखों तक हो सकती है। यह अफ्रीका से आयत की जाती है।