Begin typing your search above and press return to search.

CG Farmer News: छत्तीसगढ़ में पाॅम की खेती से किसान बन रहे लखपति, एक बार लगाएं और तीस सालों तक उत्पादन पाएं...CM विष्णुदेव और केंद्र सरकार दे रही अनुदान...

CG Farmer News: छत्तीसगढ़ में पाॅम की खेती से किसानों को नई दिशा मिल रही है। पाॅम की खेती से किसान लखपति बन रहे हैं। प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष ढाई से तीन लाख की आमदनी कर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक एक लाख का अनुदान दे रही है।

CG Farmer News: छत्तीसगढ़ में पाॅम की खेती से किसान बन रहे लखपति, एक बार लगाएं और तीस सालों तक उत्पादन पाएं...CM विष्णुदेव और केंद्र सरकार दे रही अनुदान...
X
By Sandeep Kumar

CG Farmer News: पॉम की खेती प्रदेश के किसानों के लिए स्थायी आय का जरिया बन रही हैं। राज्य सरकार किसानों को अतिरिक्त आमदनी के साधन उपलब्ध कराने पॉम सहित अन्य उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दे रही है। वहीं पॉम ऑयल की मांग और उत्पादकता को ध्यान में रखते हुए पॉम की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन के तहत साझा अभियान शुरू किया है। जिसके तहत 2 हजार 682 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पॉम पौधों का रोपण हो चुका है। पॉम ऑयल सबसे अधिक उपयोग में लाये जाने वाला वनस्पति तेल है। इसका उपयोग बिस्किट, चॉकलेट, मैगी, स्नैक्स और गैर खाद्य जैसे साबुन, क्रीम, डिटर्जेंट, बायोफ्यूल आदि उत्पादों में होता हैं। पॉम के कृषकों को प्रोत्साहन हेतु केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा एक-एक लाख रूपए अनुदान भी दिया जा रहा है। वहीं किसानांे को निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं।

देश भर में 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पॉम का रोपण

केंद्र सरकार ने देश की खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता को कम करने और किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से नेशनल मिशन ऑन ईडएबल आयल के माध्यम से पाम आयल के उत्पादन को नई दिशा दी है। राष्ट्रीय तिलहन एवं पॉम ऑयल मिशन के तहत अब तक देशभर में 3.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर पॉम की खेती हो चुकी है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2024-25 में पॉम ऑयल का घरेलू उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़ा हैं। जबकि सरकार ने वर्ष 2029-30 तक इसका उत्पादन 28 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार तेलंगाना, असम, मिजोरम, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पॉम की खेती से रोजगार और आय का नया साधन जुटाने की दिशा में काम कर रही है।

छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में हो रही पॉम की खेती

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व एवं कृषि मंत्री रामविचार नेताम के मार्गदर्शन में राज्य सरकार के किसानों कीे आमदनी बढ़ाने के लिए उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 17 जिलों में पॉम की खेती के लिए प्रयास किए है। राज्य में प्रमुख रूप से बस्तर (जगदलपुर), कोण्डागांव, कांकेर, सुकमा नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, महासमंुद, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, जाजगीर-चापा, दुर्ग, बेमेतरा, जशपुर, सरगुजा, कोरबा और बिलासपुर जिले में पाम की खेती की जा रही है। राज्य में विगत चार वर्ष में 1 हजार 150 कृषकों के लगभग 1 हजार 600 हेक्टेयर रकबे में पॉम के पौधों का रोपण किया गया है। वहीं इस वर्ष 802 किसानों के 1 हजार 089 हेक्टेयर रकबे में पॉम का रोपण कराया जा चुका हैं।

रायगढ़ विकासखंड के ग्राम चक्रधरपुर के किसान राजेंद्र मेहर ने उद्यान विभाग के सहयोग से अपने 10 एकड़ खेत में 570 आयल पाम के पौधों का रोपण किया है। मेहर ने बताया कि यह भूमि लंबे समय से खाली पड़ी थी और वे काफी समय से उद्यानिकी फसल लेने का विचार कर रहे थे। तकनीकी जानकारी के अभाव में शुरुआत नहीं कर पाए थे, लेकिन उद्यान विभाग से संपर्क के बाद उन्हें न सिर्फ आवश्यक मार्गदर्शन मिला, बल्कि पाम की खेती से होने वाले लाभों की जानकारी भी मिली। इससे प्रेरित होकर उन्होंने पाम की खेती करने का निर्णय लिया। इसी तरह महासमंुद जिले में 611 हेक्टेयर क्षेत्र में पॉम की खेती की जा रही है।

तीसरे वर्ष से शुरू होता है उत्पादन

उद्यानिकी विभाग के अधिकारी ने बताया कि ऑयल पाम योजना के तहत् प्रति हेक्टेयर 29 हजार रुपये मूल्य के 143 पौधे निः शुल्क दिए जा रहे हैं। पौध रोपण, फेंसिंग, सिंचाई, रखरखाव और अंतरवर्तीय फसलों की कुल लागत लगभग चार लाख रूपए प्रति हेक्टेयर आती है। इस पर भारत सरकार द्वारा एक लाख रुपए तथा राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। शेष राशि के लिए बैंक ऋण सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त बाग का रखरखाव, ड्रिप इरिगेशन, अंतरवर्ती फसल, बोरवेल, पम्प सेट, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, पॉम कटर, वायर मेश,मोटारोईज्ड चिस्ल, चाप कटर, टेªक्टर ट्राली के लिए भी अनुदान का प्रावधान भी किया गया है। ऑयल पॉम फसल का उत्पादन तीसरे वर्ष से शुरू होकर लगभग 25 से 30 वर्षों तक लगातार होता है। पौधों की उम्र बढऩे के साथ उपज भी बढ़ती है। एक हेक्टेयर से हर वर्ष 15 से 20 टन उपज मिलने की संभावना होती है, जिससे कृषक को ढाई से तीन लाख रुपए तक की सालाना आय हो सकती है।

बिक्री की भी चिंता नहीं, समर्थन मूल्य पर खरीदी का पक्का इंतजाम

ऑयल पाम पौधों के बीच पर्याप्त दूरी होने के कारण किसान वहां सब्जी या अन्य अंतरवर्तीय फसलें भी ले सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जा रही है। इतना ही नहीं 2 हेक्टेयर से अधिक रोपण पर बोरवेल खनन हेतु 50 हजार रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान भी दिया जा रहा है। उत्पादित फसल की बिक्री के लिए भारत सरकार ने अनुबंधित कंपनियों की व्यवस्था की है, जो किसानों के खेत से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की खरीदी करती हैं। फसल का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में किया जाता है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

Read MoreRead Less

Next Story