CG Dasahara News: खेल प्रतियोगिता में जीतने वाले युवा को दिया जाता है श्री राम का दर्जा, फिर उनके ही हाथों होता है रावण दहन, 60 सालों से चल रही अनोखी परंपरा...
CG Dasahara News: गढ़ प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एक दिन के लिए भगवान श्रीराम का दर्जा दिया जाता है। उक्त व्यक्ति द्वारा विजया दशमी के दिन रावण दहन किया जाता है। इसके बाद ही दशहरा पर्व मनाया जाता है। गांव की यह परंपरा 60 साल पुरानी है। पूर्वजों द्वारा बनाए नियम का आज भी पालन किया जा रहा है।

CG Dasahara News: बिलासपुर। बिलासपुर के तखतपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत संवाताल में पिछले 60 वर्षों से अनोखी परंपरा मनाई जा रही है। यहां गढ़ प्रतियोगिता नामक खेल का आयोजन किया जाता है। खेल में जितने वाले किशोर या युवा को दशहरा के दिन श्री राम का दर्जा दिया जाता है। उनके ही हाथों रावण दहन करवाया जाता है। 60 साल पहले शुरू हुई यह प्रतियोगिता पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इसने परंपरा का रूप ले लिया है।
तखतपुर ब्लॉक के ग्राम संवाताल में शारदीय नवरात्रि उत्साह से बनाया जाता है। गांव के वरिष्ठ नागरिक बिरबल राजपूत, अनिल राजपूत व सुनील से बात करने पर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि दशमी के दिन गांव में गढ़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दैहान की खाली जगह पर गांव वाले मिलकर 25 फीट का गढ़ बनाते हैं, जो मोटा व चौड़ा मिट्टी खंभे जैसा लंबा रहता है। गांव के वरिष्ठ व्यक्ति आयोजन समिति के सदस्य रहते हैं। पूरे गांव के युवा, बच्चे इस प्रतियोगिता में शामिल होते हैं। सभी बारी-बारी गढ़( खंभे) में चढऩे का प्रयास करते हैं। प्रतियोगिता को देखने के लिए भारी संख्या में ग्रामीण एकत्रित होते हैं। युवा अलग-अलग तरीके से गढ़ में चढऩे का प्रयास करते हैं। गढ़ में चढऩे वाले व्यक्ति को भगवान राम का दर्जा दिया जाता है। फिर रात को विजेता युवा द्वारा ही रावन दहन किया जाता है। इसके साथ ही गांव में उत्साह से दशहरा पर्व मनाया जाता है।
कद से ऊंचे व्यक्ति को मिलता है लाभ
गढ़ के ऊपर चढने के लिए सभी उम्र के लोग प्रयास करते हैं। कम हाईट वाले व्यक्ति को गढ़ में चढऩे में परेशानी होती है। क्योंकि सहारा तौर पर पकडऩे के लिए कुछ आधार नहीं रहता है। जिसकी हाइट ज्यादा होता है। ऐसे व्यक्ति जमीन से उछलकर चढऩे में कामयाब हो जाते हैं।
फिट रहने देते हैं संदेश
बिरबल राजपूत ने बताया कि परंपरा की शुरूआत करने वाले बुजुर्गों का उद्देश्य था कि गांव के बच्चे व युवा खेल में आगे रहे। साथ ही शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। स्वस्थ व्यक्ति ही गढ़ के ऊपर चढ़ पाते हैं। इस वजह से युवा खेल से जुडऩे लगे।
पंरपरा से नई पीढ़ी होती है प्रभावित
गढ़ प्रतियोगिता परंपरा से नई पीढ़ी के बच्चे व युवा प्रभावित होते हैं। बुजुर्गाे द्वारा बनाए गए नियम व संस्कूति-परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं। विजयी दशमी पर पूरे गांव में उमंग रहता है। कौन बनेगा भगवान श्रीराम, इसेे लेकर दिनभर चर्चा होती है।
