CG Congress News: कांग्रेस में छिड़ी रार! पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे के बयान पर मचा कोहराम, बड़े मुद्दे छोड़ कांग्रेस बयान के पोस्टमार्टम में उलझी, जानिये कांग्रेस का गुटीय इतिहास...
CG Congress News: बयान पर कांग्रेस में हंगामा जरुर हो रहा है, लेकिन पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे पर कार्रवाई होने के संकेत नहीं हैं। कांग्रेस में हमेशा प्रदेश स्तर पर नेतृत्व का संकट कायम रहा है। कभी दो तो कभी तीन धड़े कांग्रेस के भीतर दिखते ही रहे हैं।

CG Congress News: रायपुर। कांग्रेस भले ही छत्तीसगढ़ में सत्ता खो चुकी है, लेकिन पार्टी के भीतर अंतरद्वंद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जन्म दिन की बधाई देने गए पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे के एक बयान का पूरा संगठन पोस्ट मार्टम करने पर जुट गया है। उन्होंने कहा था कि बघेल को पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। इसका आशय यह निकाला गया कि क्या अगला विधानसभा चुनाव बघेल के नेतृत्व में लड़ने की बात कही जा रही है? चौबे ने बवाल होने पर स्पष्ट किया कि प्रदेश में कलेक्टिव नेतृत्व से ही काम हो रहा है और चुनाव भी इसी तरह लड़ा जाएगा। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को छोटा भाई भी कहा है। जबकि बैज ने चौबे को महाज्ञानी कहते हुए कह दिया कि पार्टी से ऊपर कोई नहीं है। पीसीसी ने अपनी रिपोर्ट जरुर दिल्ली भेज दी है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस पर किसी तरह की संगठनात्मक कार्रवाई होने की संभावना कम है।
सवाल यह उठा रहा है कि इस बयान पर इतना बवाल क्यों हो रहा है? क्या संगठन के दूसरे खेमे के लोगों या पदाधिकारियों को लग रहा है कि बैज की जगह बघेल के नेतृत्व का बयान देकर संगठन को कमजोर बताने का प्रयास किया गया है? बघेल खेमे की ओर से अभी किसी ने खुल कर प्रतिक्रिया नहीं दी है, मगर भीतर खाने में यह जरुर कहा जा रहा है कि सरकार बनने से पहले जब बघेल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब कांग्रेस की आक्रामकता दिख रही थी। अभी प्रदेश कांग्रेस संगठन से लेकर विधानसभा के सत्रों में कांग्रेस की धार नजर नहीं आ रही है। कुल मिला कर संगठन की कार्यशैली को लेकर दो खेमों में टकराव स्पष्ट दिख रहा है। उधर पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव अपनी अलग ही भूमिका में चलते रहते हैं और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की कार्यशैली भी सबसे भिन्न तरह की है।
मुद्दों को छोड़ कर बयान पर बवाल क्यों?
संगठन के कुछ पदाधिकारियों ने चौबे के बयान को तूल दे दिया है। इसके बाद दूसरे खेमे में सवाल खड़ा किया जा रहा है कि प्रदेश में कई मुद्दे हवा में तैर रहे हैं, लेकिन उसे संगठन मजबूती से लपक क्यों नहीं रहा है? राजधानी रायपुर में चाकूबाजी सहित गंभीर अपराध हो गए, कवर्धा कलेक्टर का आवास घेर लिया गया सहित कुछ मुद्दों पर पार्टी की धार नजर नहीं आ रही है। रायपुर और बिलासपुर, दो बड़े शहर हैं, इन दोनों शहरों में कांग्रेस जमीन पर नजर नहीं आ रही है। बिलासपुर में जनता खराब सड़क से त्रस्त है, मस्तूरी में कोल वॉशरी का मामला गरम है। इन दोनों मामलों में बिलासपुर में कांग्रेस ठंडी दिख रही है। बिलासपुर के विकास भवन में मटका फोड़ प्रदर्शन करने वाली महिला कांग्रेसी पार्षद के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है, इसमें भी महिला को कांग्रेस का साथ नहीं मिला। मुद्दों को छोड़ कर जिस तरह से बयान पर कांग्रेस में राजनीति होती है, वह खुद कांग्रेस के लिए चिंतनीय है।
