Begin typing your search above and press return to search.

CG Collector- SP Confrence 2025: DFO से बोले मुख्यमंत्री, तेंदूपत्ता का पेमेंट 7 से 15 दिन में सुनिश्चित करें, पढ़िये कलेक्टर-DFO कांफ्रेंस में और क्या हुआ...कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस अपडेट..

CG Collector- SP Confrence 2025: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस के दौरान तेंदूपत्ता, लघु वनोपजों को लेकर जानकारी ली साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए आइए जानते हैं.

CG Collector- SP Confrence 2025: DFO से बोले मुख्यमंत्री, तेंदूपत्ता का पेमेंट 7 से 15 दिन में सुनिश्चित करें, पढ़िये कलेक्टर-DFO कांफ्रेंस में और क्या हुआ...कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस अपडेट..
X
By Anjali Vaishnav

CG Collector- SP Confrence 2025: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय लगातार दूसरे दिन भी कलेक्टर कांफ्रेंस में एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं पहले मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त तेवर दिखाए अब वहीं कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस के दौरान तेंदूपत्ता, लघु वनोपजों को लेकर जानकारी ली साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए आइए जानते हैं.

तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभान्वित करने पर चर्चा

कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वनों से आजीविका के तहत तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभान्वित करने पर चर्चा की, चर्चा के दौरान CM साय ने निर्देश देते हुए कहा कि तेंदूपत्ता का भुगतान सात से15 दिनों में किया जाना सुनिश्चित किया जाये, भुगतान की जानकारी sms के माध्यम से संग्राहक के मोबाइल पर भेजने की व्यवस्था की जाये, लगभग 15 लाख 60 हज़ार संग्राहक को जानकारी ऑनलाइन हुई है, साथ ही सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश भी CM साय ने दिए हैं. इस दौरान के नई पहल की शुरुआत करने की बात कहते हुए CM साय ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण की पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत करने की पहल हो.

बस्तर संभाग के तेंदूपत्ता संग्रहण की ली जानकारी

CM साय ने विशेष रूप से बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, जिलों से में पिछले सीजन में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण की जानकारी ली, इसी कड़ी में जानकारी लेते हुए CM साय ने आने वाले सीजन के लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए, लघु वनोपजों को वनाचलों में आजीविका का महत्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित किया जाने, लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने, वन- धन केन्द्रों को मजबूत करने के भी निर्देश दिए हैं, साथ ही छतीसगढ़ हर्बल और संजीवनी के उत्पादों को प्रमोट करने की बात कहते हुए CM ने ग्रामीण-शहरी इलाकों में इन उत्पादों को अधिक से अधिक बिक्री का प्रयास करने की बात कही ताकि इसका मार्केट विकसित हो सके. उत्पादों का जैविक प्रमाणीकरण तेजी से होने के निर्देश भी दिए हैं.

विस्तार से देखिए खबर

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक हितग्राहियों की संख्या आज 12 लाख से अधिक हो चुकी है, जो हमारे सामूहिक प्रयासों की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आवश्यकता इस बात की है कि हम वन उपज का अधिकतम वैल्यू एडिशन करें। उन्होंने कहा कि राज्य में वन धन केंद्रों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ग्रामीणों को अधिक आय के साधन मिल सकें और वे आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ें।

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रदेश में अब 46 प्रतिशत वन आवरण हो चुका है, जो लगभग दो प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि में कैम्पा योजना और “एक पेड़ मां के नाम” जैसी अभिनव पहल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कॉन्फ्रेंस में जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान सात से पंद्रह दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाए। साथ ही भुगतान की जानकारी एसएमएस के माध्यम से सीधे संग्राहकों के मोबाइल पर भेजी जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। बैठक में बताया गया कि लगभग 15 लाख 60 हजार संग्राहकों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज हो चुकी है और सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्रहण प्रक्रिया के पूर्ण कंप्यूटरीकरण की पहल को और तेज करने के निर्देश दिए।

कॉन्फ्रेंस में औषधीय पौधों की खेती के विस्तार हेतु प्रचार-प्रसार गतिविधियों को बढ़ाने और इसके लिए कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की सहायता लेने पर भी चर्चा की गई।

बैठक में बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों में पिछले सीजन में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण की समीक्षा की गई। साथ ही आगामी सीजन के लिए पूर्व-कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए, ताकि संग्राहकों को समय पर लाभ मिल सके और किसी प्रकार की देरी न हो।

लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप और वन धन केंद्रों को मिलेगा प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि लघु वनोपजों को वनांचल क्षेत्रों में आजीविका के प्रमुख साधन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। बैठक में लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और वन धन केंद्रों को सुदृढ़ करने पर सार्थक चर्चा हुई, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सके।

छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी ब्रांड के उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर विशेष बल दिया गया। बैठक में निर्देश दिए गए कि इन उत्पादों की बिक्री ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में बढ़ाई जाए, ताकि स्थानीय उत्पादों के लिए एक मजबूत मार्केट नेटवर्क विकसित हो सके। साथ ही, उत्पादों के जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने पर बल दिया गया।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि पहली बार वन अधिकारियों की बैठक आयोजित कराने के लिए वे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सभी कलेक्टर और वन अधिकारी समन्वय स्थापित कर संयुक्त रूप से कार्य करें, तो इसके अत्यंत अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

वन मंत्री कश्यप ने कहा कि बस्तर और सरगुजा संभागों में विशेष रूप से ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे आजीविका से जोड़ने के लिए ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अब 75 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी करने जा रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि लाख उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है, और यदि ठोस कार्ययोजना बनाकर लक्षित रूप से कार्य किया जाए तो प्रदेश देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर सकता है।

औषधीय पौधों की खेती के विस्तार की नई पहल

बैठक में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए। धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिलों में औषधीय पौधों की खेती से संबंधित विषयों पर उपस्थित डीएफओ को विस्तृत जानकारी दी गई।

बैठक में बताया गया कि औषधीय पौधों की खेती न केवल लोगों की आजीविका बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि पारंपरिक उपचार पद्धतियों के ज्ञान को भी आगे बढ़ाएगी। औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने इस क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं और लोगों की आय में वृद्धि के अवसरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

इस अवसर पर सभी संभागायुक्त, जिला कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी उपस्थित थे।

Next Story