CG Collector Conference 2025: सवाल पर सवाल: कलेक्टर कांफ्रेंस में CM विष्णुदेव ने अचानक बरमकेला जल आवर्धन पर क्यों पूछा सवाल?
CG Collector Conference 2025: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला जल आवर्धन पर ही क्यों कलेक्टर डॉ. संजय कन्नौजे से सवाल किया। आखिर, बरमकेला जल आवर्धन योजना का क्या है अहमियत कि मुख्यमंत्री को सारंगढ़ कलेक्टर से बीच में प्रश्न पूछना पड़ गया।

CG Collector Conference 2025: रायपुर। कलेक्टर्स कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जनता से जुड़ी योजनाओं की बारीकी से जानकारी ली और समीक्षा कर कलेक्टरों को दिशा- निर्देश दिए हैं। श्री साय अपने पुराने राजनीतिक दायित्वों की वजह से रायगढ़ से व्यक्तिगत रूप से जुड़े हुए हैं और रायगढ़ को अपना घर मानते हैं। वहां के हर सार्वजनिक कार्यक्रमों में वे जाने का प्रयास भी करते हैं। बरमकेला पहले रायगढ़ जिले में था, जिला विभाजन के बाद यह इलाका सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में चला गया है। इसके बाद भी सीएम को बरमकेला की चिंता है।
दरअसल, बरमकेला में करीब सात साल से जल आवर्धन योजना चल रही हैं नगर पंचायत होने के कारण इसका इलाका भी काफी बड़ा है। बरमकेला में सरिया की ओर के सभी गांव जल संकट से जूझते हैं और आने वाले वर्ष में यहां भूमिगत स्रोत बहुत नीचे जाने के संकेत हैं। यही कारण है कि सरकार यहां के जल संकट प्रभावित करीब 35 गांवों पर विशेष ध्यान दे रही है। बरमकेला ब्लॉक को पहले 13 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए थे। भाजपा की सरकार आने के बाद वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने तीन करोड़ 51 लाख की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की है। राशि पर्याप्त मिलने से बरमकेला में जल आवर्धन का काम तेजी से चल रहा है और अमृत मिशन योजना के तहत हर घर तक नल पहुंचाने का काम भी चल रहा है। सरकार की चिंता यहां का भूमिगत जल स्रोत का कमजोर होना है। इसे ध्यान में रख कर वहां पर सोखता बनवा कर और अन्य तरीके से जल स्रोत को बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। इलाके में वाटर शेड परियोजना और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर ज्यादा काम नहीं हुआ है, इस कारण जल संकट गंभीर होता जा रहा है। पीएचई विभाग के अफसर भी मानते हैं कि जल संरक्षण की दिशा में इलाके में गंभीरता से पर्याप्त प्रयास करने की जरुरत है।
रिपोर्ट अच्छी नहीं-
बरमकेला इलाके में भूजल स्रोत को लेकर रिपोर्ट ठीक नहीं है। यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया तो भूजल स्रोत पूरी तरह सूख जाएंगे। अभी हाल यह है कि कुछ इलाके में बोर करने पर पानी का स्रोत नहीं मिलता। केंद्रीय भूजल संरक्षण की रिपोर्ट में भी कहा जा चुका है कि प्रदेश में बालोद जिले के गुरुर इलाके ही हालत सबसे ज्यादा खराब है और इसके बाद प्रदेश में बरमकेला का नंबर आता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि यहां के 98.73 प्रतिशत भूजल स्रोत सूख जाने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इस तरह केवल 1.27 प्रतिशत पानी ही जीवनयापन के लिए बच रहा है। यही कारण है कि सरकार चाहती है कि बरमकेला में समय पर जल आवर्धन योजना का विस्तार हो और पाइप लाइन के जरिए घरों तक पानी पहुंच जाए। बरमकेला के दूरस्थ इलाकों के गांवों की हालत गर्मी के मौसम में बहुत खराब हो जाती है, लोग पानी के लिए तरसते हैं।
