CG Coal Scam: रानू ,सौम्या और सूर्यकांत तिवारी को मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में रहने पर लगाई पाबंदी
CG Coal Scam: कोयला लेव्ही घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने रानू साहू,सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी को सशर्त जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जमानत पर रिहा होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगा दी है। ऐसा आदेश गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते जारी किया गया है।

Ranu Sahu, Saumya Chourasiya, Suryakant Tiwari
CG Coal Scam: दिल्ली। कोयला लेव्ही घोटाले में आरोपी निलंबित आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत कड़ी शर्तों के साथ दी है। बताया जा रहा है कि गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते कोर्ट ने कहा है कि जमानत के बाद छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगा दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकार दत्ता की डिवीजन बेंच में जमानत याचिका पर सुनवाई हुई।
कोयला घोटाले के आरोपी जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। उन्हें ईओडब्ल्यू में दर्ज दूसरे मामलों की वजह से जेल में ही रहना होगा। हाल ही में ईओडब्ल्यू व एसीबी ने स्पेशल कोर्ट ने डीएमएफ घोटाले में इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। छह हजार पन्नो के चार्जशीट में डीएमएफ घोटाले में इनकी संलिप्तता और पूरे घोटाले को अंजाम देने में संगठित गिरोह के रूप में काम करने का आरोप है।
क्या है डीएमएफ घोटाला, जिसके चलते अभी भी इनको रहना पड़ेगा जेल में
ACB EOW ने स्पेशल कोर्ट में आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा संवर्ग की अफसर सौम्या चौरसिया,सूर्यकांत तिवारी सहित 9 लोगों के खिलाफ चार्ज शीट दायर किया है। दो प्रमुख जांच एजेंसियों की जांच में चाैंकाने वाला खुलासा हुआ है। डीएमएफ से कामकाज को लेकर अलग-अलग टेंडर जारी करना और टेंडर देने के नाम पर कमीशनखोरी करने की बात सामने आई है। कमीशनखोरी के इस खेल में अफसरों के अलावा राजनीाति दलों से जुड़े लाेग भी शामिल हैं। ठेके दिलाने के एवज में कमीशन खाने वाले राजनीातिक दल से ताल्लुक रखने वाले सफेदपोश ठेकेदारों का राजनीतिक संरक्षण करते थे साथ ही इस बात की भी गारंटी देते थे कि किसी तरऊंच-नीच होने पर वे संभाल लेंगे।
0 ऐसे किया घोटाला
चौंकाने वाली बात ये कि टेंडर की राशि का 40 फीसदी कमीशन में बांट दी गई है। या यूं कहें कि जितनी राशि का टेंडर ठेकेदार के हवाले किया जा रहा था,पहले उससे बतौर कमीशन 40 प्रतिशत राशि ले ली जाती थी। कैश लेने के बाद टेंडर कमीशन देने वाले ठेकेदार के हवाले कर दिया जाता था। एक और चौंकाने वाली बात ये कि 40 फीसदी राशि कमीशन के रूप में अफसरों की जेब में गई है। कमीशन खाने के लिए अफसरों ने दो क्लाज तय कर दिया था। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20 प्रतिशत कमीशन फिक्स कर दिया था। साफ बात ये कि बगैर कमीशनखोरी किए ना तो टेंडर दिया गया और ना ही काम की अनुमति ही दी गई। कमीशन खाने के बाद सारी औपचारिकताओं को अफसर अपने इशारे पर अपने लोगों से पूरा कराते रहे।
डीएमएफ घोटाले की जांच के बाद ED ने अपनी रिपोर्ट में आईएएस रानू साहू को पद का गलत इस्तेमाल का दोषी पाया है। रानू साहू कोरबा की कलेक्टर थी। उनके कार्यकाल के दौरान ही डीएमएफ में जमकर घोटाला हुआ था।
0 रानू व माया का गठजाेड़, सरकारी खजाने को जमकर लूटा
रानू साहू और माया वारियर का गजब का गठजोड़ था। डीएमएफ घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अफसरों ने रानू साहू व माया वारियर सहित अन्य आरोपियों की 23.79 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया था। इसमें 21.47 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति पाया गया था। यह संपत्ति DMF घोटाले से अर्जित की गई ब्लैक मनी से खरीदी गई थी।
0 कमीशनखोरी का तरीका भी अलग-अलग
डीएमएफ फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। टेंडर भरने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।
टेंडर हासिल करने के लिए ठेकेदारों ने अफसरों और नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है। यह राशि ठेके का 25% से 40% तक था। इसमे कई आपत्तिजनक विवरण,फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। 8 बैंक खाते सीज किए। इन खातों में 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।
0 घोटाले के आरोपी जो हैं जेल में
छत्तीसगढ़ DMF घोटाला मामले में निलंबित IAS रानू साहू, छत्तीसगढ़ राज्य सेवा अधिकारी माया वॉरियर, NGO के सेक्रेटरी मनोज कुमार द्विवेदी रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। 4 आरोपियों में राधे श्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया है।
0 2021-22 से हुई घोटाले की शुरुआत
कोरबा में डीएमएफ घोटाले की शुरुआत 2021-22 से हुई। यह वह दौर था जब रानू साहू कोरबा कलेक्टर के पद पर काबिज थी। कारोबारी मनोज द्विवेदी ने तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू से संपर्क किया। कलेक्टर की सहमति के बाद मनोज ने अन्य अफसरों को अपने साथ मिला लिया। जब सब-कुछ कारोबारी मनोज द्विवेदी के अनुकूल हो गया तब 2021-22 और 2022-23 में मनोज ने अपने NGO उदगम सेवा समिति के नाम पर कई DMF ठेके ले लिया। मनोज ने ठेके हथियाने के लिए दरियादिली भी दिखाई। कमीशनखोर अफसरों का बकायदा कमीशन बांध दिया। अधिकारियों को 42 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया। यही नहीं प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है।