CG Bilaspur News: मिशन हॉस्पिटल मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिला स्टे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निगम ने रोकी तोड़फोड़ की कार्यवाही
CG Bilaspur News: क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड आफ मिशन की लीज निरस्त करने के मामले में लगी याचिका सोमवार को हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच से खारिज होने के बाद दूसरे ही दिन मंगलवार से निगम अमले ने मिशन हॉस्पिटल कैंपस के आवासीय परिसरों को ढहाना शुरू कर दिया था। वही आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान करते हुए निगम की कार्यवाही पर स्थगन प्रदान करते हुए निर्माण और कब्जे को लेकर मौजूदा स्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। आदेश आने के बाद आज भी जारी तोड़फोड़ की कार्रवाई रोक दी गई

CG Bilaspur News: बिलासपुर। बिलासपुर शहर के मध्य में स्थित मिशन हॉस्पिटल के 12 एकड़ जमीन की लीज निरस्त होने के खिलाफ लगी याचिका डिवीजन बेंच से निरस्त होने के बाद निगम प्रशासन द्वारा तोड़फोड़ की कार्रवाई की जा रही थी। पर आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्थगन प्रदान कर दिया। जिसके बाद निगम के तोड़फोड़ की कार्रवाई स्थगित कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण और कब्जे को लेकर मौजूदा स्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं साथ ही आदेश के प्रति बिलासपुर कलेक्टर को तुरंत भेजने को कहा है।
शहर के मध्य में स्थित मिशन हॉस्पिटल के 12 एकड़ जमीन की लीज नजूल विभाग से क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड आफ मिशन को मिली थी। 27 साल पहले इसकी लीज की समय अवधि का खत्म हो चुकी है, बावजूद इसके लीज का रिन्यूअल नहीं करवाया गया था। 27 साल बाद लीज नवीनीकरण करने के लिए नजूल विभाग में आवेदन दिया गया था। पर आवेदन को नजूल विभाग ने निरस्त करने के साथ ही लीज की शर्तों का उल्लंघन करने पर लीज निरस्त कर नजूल विभाग की जमीन वापस ले निगम को आबंटित करने की प्रक्रिया की जा रही थी। इसके लिए मिशन हॉस्पिटल के पुराने भवन को जिला प्रशासन ने ढहा भी दिया था पर वहां के आवासीय कैंपस को ढहाने की कार्यवाही नहीं हो पाई थी। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड आफ मिशन की याचिका पर सुनवाई होने तक स्थगन प्रदान कर दिया था। पर सुनवाई पूरी होने के बाद सिंगल बेंच ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड आफ मिशन की याचिका खारिज कर दी गई।
डिवीजन बेंच ने भी खारिज की अपील
मिशन हॉस्पिटल मामले में सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने डिवीजन बेंच में अपील की थी। उन्होंने तर्क दिया कि चांटापारा स्थित प्लॉट नंबर 20 और 21 उन्हें 1959 की भूमि राजस्व संहिता की धारा 158(3) के तहत आवंटित किए गए थे और वे 1882 से धार्मिक, शैक्षिक व धर्मार्थ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अस्पताल, नर्सिंग स्कूल और चैपल का विवरण देते हुए सरकार पर बेदखली की कोशिश का आरोप लगाया। परंतु हाईकोर्ट ने सभी तर्कों को खारिज करते हुए प्रशासनिक निर्णय को सही ठहराया और अपील को निरस्त कर दिया।
सोमवार को यह निर्णय आने के दूसरे ही दिन मंगलवार सुबह 5 से नगर निगम के द्वारा कैंपस में रह रहे 35 परिवारों के मकान को तोड़ना शुरू कर दिया। कई आवासीय भवनों को ढहा दिया गया। ऐसे में परिसर के अंदर रहने वाले परिवारों में हड़कंप मच गया और विवाद भी हुआ।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड ऑफ मिशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने दखल दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अंतरिम राहत प्रदान करते हुए तोड़फोड़ पर तत्काल रोक लगाते हुए निर्माण और कब्जे को लेकर मौजूदा स्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही आदेश के प्रति कलेक्टर बिलासपुर को तुरंत भेजने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नियम प्रशासन ने तोड़फोड़ रोक दिया।
तोड़फोड़ के दौरान मसीही समाज ने किया विरोध प्रदर्शन, झुमाझटकी भी
तोड़फोड़ के दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे मसीही समाज के लोगों ने निगम की कार्यवाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। तोड़फोड़ को लेकर निगम कर्मियों और पुलिसवालों से विरोध कर रहे लोगों की झूमाझटकी भी हुई। लोगों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी निगम तोड़फोड़ की कार्यवाही कर रहा है। हालांकि आदेश की प्रति प्राप्त होने के साथ ही निगम के अमले ने तोड़फोड़ की कार्रवाई रोक दी।
