CG Bilaspur Airport: एयरपोर्ट ने मंत्री, विधायकों को जगा दिया! पहली बार दोनों पार्टियां एकजुट, CM से की मुलाकात
CG Bilaspur Airport: बिलासपुर एयरपोर्ट को लेकर पहली बार बिलासपुर से रायपुर और दिल्ली तक हलचल मच गई है। विष्णु देव साय सरकार को भी रिस्पांस देना पड़ गया है। इससे पहले कभी बिलासपुर एयरपोर्ट की चर्चा नहीं हुई है।

CG Bilaspur Airport: बिलासपुर। बिलासपुर के चकरभाठा के बिलासा देवी केंवटीन एयरपोर्ट के विकास का मुद्दा परदे के पीछे ही रहा है और अब तक किसी ने मजबूती से यह मुद्दा नहीं उठाया था। जबकि बिलासपुर संभाग से कई दिग्गज नेता कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियों से रहे हैं। विधानसभा में भी यदा- कदा चर्चा हो जाती थी, पर नतीजा नहीं आता था। पहली बार है जब दिल्ली में बिलासपुर एयरपोर्ट का मसला चर्चा में रहा और इसके बाद राज्य सरकार को भी एयरपोर्ट के विकास पर गंभीरता से सोचना पड़ा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अनुपूरक बजट में ही 150 करोड़ दे दिया है। इस फंड से एयरपोर्ट के रनवे के लिए सेना की जमीन मिलने का रास्ता करीब- करीब साफ हो गया है।
बिलासपुर संभाग से इस वक्त एक केंद्रीय मंत्री, एक उप मुख्यमंत्री, दो मंत्री और नेता प्रतिपक्ष हैं। जबकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व मंत्रियों की भरमार है। दरअसल मामला तब गरमाया जब बिलासपुर की हवाई संघर्ष समिति ने दिल्ली में हल्ला बोला। वहां पर बिलासपुर सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू को भी सक्रिय होना पड़ा। उन्होंने प्रतिनिधि मंडल की केंद्रीय विमानन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापु, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से मुलाकात कर चर्चा करवाई। इसके अलावा प्रतिनिधि मंडल ने रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल समेत कुछ सांसदों से सहयोग मांगा। इसके बाद जंतर मंतर में धरना दिया तो वहां समर्थन देने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत पहुंच गईं। केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने पहले ही कह दिया था कि वे हवाई सेवा के मामले में पूरा सहयोग करते रहेंगे। बिलासपुर के मसले पर दिल्ली में इसी हलचल ने बिलासपुर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कान खड़े कर दिए।
अमर और धर्मजीत ने दिया साथ
दिल्ली से लौटते ही प्रतिनिधि मंडल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा की ओर कूच कर दिया। वहां बिलासपुर के विधायक अमर अग्रवाल और तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने पहल कर प्रतिनिधि मंडल की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से चर्चा करवा दी। हालांकि चर्चा के वक्त धर्मजीत विधानसभा में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में भाग ले रहे थे, इसलिए वे इस मुलाकात के वक्त हाजिर नहीं रह सके। मुख्यमंत्री ने भी मामले में पूरी गंभीरता दिखाई और कहा कि सरकार बिलासपुर एयरपोर्ट के लिए गंभीर है। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट के लिए अनुपूरक बजट में 150 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस फंड से सेना की जमीन वापसी की प्रक्रिया पूरी होने से एक बड़ी बाधा दूर हो जाएगी। इससे रनवे की लंबाई 1500 से बढ़ कर 2200 फीट तक पहुंच जाएगी। चर्चा के बीच स्वयं श्री साय ने प्रतिनिधि मंडल को बताया कि वे निजी तौर पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस फैसले पर मिल चुके हैं और अब यह मसला हल हो जाएगा।
500 करोड़ मिले तो संवर जाएगा एयरपोर्ट
हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को बताया कि तमिलनाडु राज्य का क्षेत्रफल छत्तीसगढ़ से कम है परंतु वहां 7 बड़े हवाई अड्डे हैं जिसमें तीन अंतरराष्ट्रीय हैं। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में केवल एक बड़ा हवाई अड्डा है। इसी तरह उत्तर पूर्वी राज्यों में भी जहां बहुत ज्यादा उड़ान नहीं संचालित होती लेकिन वहां भी बड़े हवाई अड्डे बनाए गए हैं अर्थात हवाई सुविधा हेतु आधारभूत संरचना विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
समिति ने एक नए टर्मिनल भवन जिसमें करीब 500 यात्रियों के एक साथ आने जाने की व्यवस्था हो और एक नया एटीसी टावर स्थापित करने की मांग की। इन सब कार्यों में जबलपुर एयरपोर्ट पर 2 साल पहले करीब 400 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं इस आधार पर समिति ने तर्क दिया के बिलासपुर में भी 500 करोड़ रुपए की लागत से एक नया फोर सी एयरपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगा। समिति में मुख्यमंत्री श्री साय से 3 वर्ष के लक्ष्य के साथ बिलासपुर एयरपोर्ट को 4 सी में विकसित करने का सुझाव देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि 2028 में इसका उद्घाटन आपके ही हाथों हो। मुख्य मंत्री से मिलने वाले हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल में सर्व श्री रवि बनर्जी, रामशरण यादव, देवेंद्र सिंह ठाकुर, महेश दुबे टाटा, बद्री यादव, समीर अहमद ,मनोज श्रीवास, परशराम कैवर्त, अनिल गुलहरे और सुदीप श्रीवास्तव शामिल थे।
