CAG Report Raipur Skywalk: CAG Report में खुलासा, रायपुर स्काई वॉक बना ₹36.82 करोड़ का फेल प्रोजेक्ट! बिना मंजूरी हुए करोड़ों के काम, अब फिर खर्च होंगे ₹37 करोड़
CAG Report Raipur Skywalk: एक तरफ जहाँ इस स्काई वाक प्रोजेक्ट्स का दुबारा शुरू किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ रायपुर स्काई वॉक को फेल प्रोजेक्ट बताया गया है. इसका खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है.

CAG Report Raipur Skywalk: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अधूरे पड़े बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स में स्काई वाक का नाम सबसे ऊपर है. साथ ही सालों से यह राजनीतिक खींचतान का विषय बना रहा है. भाजपा की सरकार में इसे शुरू किया गया था. लेकिन 2018 में राज्य की सत्ता में परिवर्तन होते ही भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने स्काई वाक का काम रुकवा दिया था. हालाँकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार अधूरे स्काईवॉक का काम फिर से शरू कर रही है. जिसके लिए 37 करोड़ के टेंडर जारी किया गया है.
एक तरफ जहाँ इस स्काई वाक प्रोजेक्ट्स का दुबारा शुरू किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ रायपुर स्काई वॉक को फेल प्रोजेक्ट बताया गया है. इसका खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है. सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में रायपुर स्काई वॉक परियोजना को उपयोगहीन और अधूरी बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अधूरे प्रोजेक्ट पर 36.82 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, जो पूरी तरह से व्यर्थ है.
यह योजना बिना किसी ठोस उपयोगिता के अधूरी ही रह गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस परियोजना के लिए किसी तरह की प्रशासनिक स्वीकृति ली गई थी. और न ही कोई तकनीकी मंजूरी ली गई थी. बिना प्रशासनिक स्वीकृति के यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. जो पूरी तरह से व्यर्थ है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 2016-17 के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य शास्त्री चौक और डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल चौक जैसे प्रमुख चौराहों पर पैदल यात्रियों की भीड़ को कम करना था. शास्त्री चौक और डॉ. भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय चौक पर पैदल चलने वाले यात्रियों की गणना के बाद स्काईवॉक प्रोजेक्ट का फैसला लिया गया था. क्योंकि इन मार्गों में अत्यधिक चारपहिया एवं दोपहिया वाहनों के आवागमन के चलते यहाँ पैदल चलने वाले लोगों को काफी समस्या होती थी. जिसके बाद स्काई वाक निर्माण का शुरू किया गया था.
लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक पूरा नहीं हो सका. वहीँ कांग्रेस की सरकार आने पर पार्टी ने भाजपा के भ्रष्टाचार का स्मारक बताते हुए इस स्काईवॉक प्रोजेक्ट को रोक दिया था. इसका काम न पूरा होने दिया गया और ना ही इसे तोड़ा गया. निर्माण 2017 में शुरू हुआ और 2019 तक 70% से अधिक पूरा हो गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 36.82 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद इसका कोई विशेष सार्वजनिक लाभ नहीं मिला. वहीँ, अब पिछले 7-8 सालों से पड़े अधूरे पड़े स्काईवॉक प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार फिर से शुरू कर रही यही.
