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CG Train Accident: बिलासपुर ट्रेन हादसा: पांच महीने पहले हुई बड़ी चूक से रेल अफसरों ने क्यों नहीं ली सबक?

CG Train Accident: मई 2025 में एक बड़ी तकनीकी चूक सामने आई थी। आज से ठीक पांच महीने पहले। समय रहते इस पर ध्यान दिया होता या फिर इस तरह की तकनीकी खामियों पर सबक लेते हुए सुधार किया होता तो मंगलवार को घटी भयावह घटना से बचा जा सकता था। अफसोस ऐसा नहीं हुआ। रेलवे के आधिकारिक बयान में लोको पायलट सहित 11 लोगों की मौत हो गई है,हादसे में 20 से अधिक यात्री घायल हो गए हैं। इनमें से आधा दर्ज से अधिक की हालत नाजूक बनी हुई है। ट्रेन के सह पायलट भी अपोलो अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।

CG Train Accident: बिलासपुर ट्रेन हादसा: पांच महीने पहले हुई बड़ी चूक से रेल अफसरों ने क्यों नहीं ली सबक?
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By Radhakishan Sharma

CG Train Accident: बिलासपुर। मई 2025 की वह घटना फिर सामने आ गई है। तब बिलासपुर से मेमू ट्रेन कोरबा जा रही थी। गलत सिग्नल के कारण ट्रेन कोयला खदान की लोडिंग साइडिंग तक जा पहुंची थी। यात्रियों को जब पता चला कि ट्रेन अपने निर्धारित स्टेशन के बजाय खदान के भीतर पहुंच गई है, तो वे शोर मचाने लगे। रेलवे ने ट्रेन को वापस बुलाकर स्थिति संभाली। यह लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती थी। तब सब-कुछ ठीक रहा और यात्री भी सकुशल थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ। लोको पायलट के साथ-साथ 11 यात्रियों की जानें चली गई। सह लोकोपायलट गंभीर रूप से घायल है और अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

ये हैं लोको पायलट जिनकी हुई मौत


हादसे की भयावह तस्वीर अब तो सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर वायरल हो रही है। भयावह और डरावना तस्वीर। कल घटना स्थल पर चारो तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। प्रशासनिक मशीनरी पूरी रात राहत व बचाव कार्य में सक्रिय रही। घायलों को रेलवे अस्पताल के अलावा सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराते रहे। चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ था। घटना स्थल पर आज लोगों की भीड़ तो नहीं पर रेलवे के तकनीकी अफसरों और मैदानी अमले जरुर नजर आ रहे हैं। घटना स्थल पर सन्नाटे को चिरते रेलवे के मैदानी अमले की आवाज यदाकदा सुनाई दे जा रही है। चंद ही घंटों में सब-कुछ बदल गया। जिन्होंने मौत को गले लगाया उनके घरों में हाहाकार मचा हुआ है। जो यात्री अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं उनके परिजनों की हालत उससे भी खराब। चेहरे पर डर और चिंता की लकीरें साफतौर पर नजर आ रही है। परिजन बदहवाश अस्पताल के कारीडोर में खड़े दिखाई दे जाते हैं।

सुनिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक तरुण प्रकाश की प्रतिक्रिया



मेमू का इंजन देखकर लग जाता है डर

भयावह हादसे की कहानी मेमू का इंजन बिना कुछ बोले बता रहा है। टक्कर इतनी तेज और हादसा इतना भीषण कि पैसेंजर ट्रेन के इंजन का एक हिस्सा बुरी तरह पिचक गया। मजबूत लोहे की दीवार की हालत बता रही थी कि कितनी बड़ी घटना घटी है। इंजन के एक हिस्से को गैस कटर से काटकर लोको पायलट विद्यासागर और सह पायलट रश्मि राज को निकाला गया। लोको पायलट की इंजन में ही मौत हो गई थी। सह पायलट गंभीर रूप से घायल हो गई।

लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी

कल घटना के बाद जब घायलों को रेलवे अस्पताल इलाज के लिए लाया जा रहा था तब रेलवे के डाक्टर और अफसर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बजाय निजी अस्पतालों में भेज रहे थे। इससे परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। परिजनों को घायलों के बारे में पता लगाने में ही घंटो लग गए।

2025 में तीन से अधिक घटनाएं, तकनीकी खामी और लापरवाही बनी वजह

मड़वारानी स्टेशन पर टला बड़ा हादसा

अक्टूबर 2025 में कोरबा जिले के मड़वारानी स्टेशन के पास एक बड़ा हादसा टल गया था। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के पहियों में अचानक भारी लोहे का एंगल फंस गया, जिससे ट्रेन रुक गई और यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। रेल कर्मचारियों ने गैस कटर से घंटों की मशक्कत के बाद एंगल को हटाया। यदि देरी होती, तो यह घटना एक भीषण त्रासदी बन सकती थी।

दल्लीराजहरा में पांच युवकों के साथ दर्दनाक हादसा

जून 2025 में दल्लीराजहरा-कुसुमकसा रेल लाइन पर एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर दिया। रेल पटरी के किनारे बैठे पांच युवक, थकान के कारण वहीं सो गए थे। अचानक ट्रेन आने से दो युवकों की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हुए।

उज्जैन के पास ट्रेन में लगी आग, दो डिब्बे जले

अप्रैल 2025 में बीकानेर से बिलासपुर आ रही ट्रेन में अचानक आग लग गई। हादसा मध्य प्रदेश के उज्जैन के पास हुआ। आग इतनी तेजी से फैली कि दो डिब्बे पूरी तरह जलकर राख हो गए। हालांकि फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई से बड़ा नुकसान टल गया और किसी की जान नहीं गई। मगर, इस घटना ने एक बार फिर रेल सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया।

गलत सिग्नल से मेमू ट्रेन पहुंची खदान में

मई 2025 में बिलासपुर से कोरबा जा रही मेमू लोकल ट्रेन गलत सिग्नल के कारण कोयला खदान की लोडिंग साइडिंग तक जा पहुंची। जब यात्रियों को पता चला कि ट्रेन अपने निर्धारित स्टेशन के बजाय खदान के भीतर पहुंच गई है, तो वे शोर मचाने लगे। रेलवे ने ट्रेन को वापस बुलाकर स्थिति संभाली। यह लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती थी।

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