Bilaspur Highcourt News: ये तो गजब हो गया: रिटायर अफसर से विभाग ने पहले कर ली 6 लाख की वसूली, फिर 9 लाख रुपये ब्याज भी मांगे,पढ़ें हाई कोर्ट का आदेश...
Bilaspur Highcourt News: उद्यानिकी विभाग का एक रिटायर अफसर सिस्टम से लाचार होकर हाई काेर्ट की शरण ली और अफसरों के कारनामे बताए। परेशान अफसर ने बताया कि रिटायरमेंट से ठीक पहले 6 लाख रूपये की वसूली विभाग ने कर ली। रिटायरमेंट के बाद ब्याज के रूप में 9 लाख रुपये वसूलने की जानकारी देते हुए रिकवरी आदेश जारी कर दिया। सिस्टम से बेजार अफसर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई। याचिका में कही गई बातों को सुनकर हाई कोर्ट भी दंग रह गया। पढ़िए हाई कोर्ट ने क्या आदेश जारी किया है।

Bilaspur High Court
Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। उद्यानिकी विभाग का एक रिटायर अफसर सिस्टम के फेर में ऐसे फंसा कि रिटारयमेंट ड्यूज के लिए विभागीय अफसरों और मातहत कर्मचारियों ने दफ्तर के कई चक्कर लगवाए। इसके बाद भी राहत नहीं मिली। छह लाख रुपये की वसूली के बाद बतौर ब्याज 9 लाख रुपये की रिकवरी आदेश ने अफसर को परेशान कर दिया। रिटायर अफसर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रिकवरी पर रोक लगाने और रिटायरमेंट ड्यूज के भुगतान की गुहार लगाई थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता से वसूली गई 6 लाख रुपये की राशि वापस लौटाने का निर्देश राज्य शासन को दिया है।
याचिकाकर्ता विनायक मानपुरे उद्यानिकी विभाग में अधिकारी थे। सेवाकाल में उनके विरुद्ध वसूली कार्यवाही प्रारंभ की गई थी। बगैर जांच एवं सुनवाई का अवसर दिए बिना तकरीबन सात लाख रुपए की वसूली कर ली गई। वर्ष 2020 में सेवानिवृत्ति के पश्चात उनके विरुद्ध वसूली राशि के ऊपर करीब 9 लाख रुपए ब्याज की वसूली का आदेश जारी किया गया। इस बीच विभाग ने ग्रेज्युटी सहित अन्य भुगतान को रोक दिया। विभाग की इस कार्रवाई के खिलाफ अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। दायर याचिका में कहा है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील अधिनियम के नियम 16 के अनुसार वसूली कार्यवाही के पूर्व कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का समुचित अवसर दिया जाना चाहिए। ना तो उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया है और ना ही पूरे मामले की जांच कराई गई है। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि याचिका के मामले में विभागीय अधिकारियों ने सिविल सेवा नियम16 का समुचित पालन नहीं किया गया है। हाई कोर्ट ने रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए वसूल की गई राशि याचिकाकर्ता को वापस लौटाने का निर्देश दिया है।