Bilaspur Highcourt News: तलाक के बाद सुधरे रिश्ते: फिर से साथ रहने पत्नी ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका, डिवीजन बेंच ने किया इंकार, जानिए क्या है वजह
Bilaspur Highcourt News: छत्तीसगढ़ में तलाक लेने के कुछ सालों बाद पति-पत्नी के रिश्ते में एक बार फिर बहार लौटी। दोनों से अपना सालगिरह भी साथ-साथ मनाया। होटल में रुके और घुमने-फिरने भी गए। रिश्तों में नर्माहट आई तो सीधे हाई कोर्ट पहुंचे और दोबारा साथ-साथ जीवन गुजारने की इच्छा जताई। इसके लिए फैमिली कोर्ट का फैसला रद्द करने की मांग की। पत्नी की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। डिवीजन बेंच ने कहा, कानूनीतौर पर अब यह संभव नहीं। फैमिली कोर्ट का फैसला यथावत रहेगा।

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट में अपनी तरह का एक अलग ही मामला सामने आया। आमतौर पर फैमिली कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पति या फिर पत्नी याचिका दायर करती हैं जिसमें फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक की डिक्री देने से मना कर दिया जाता है। यहां मामला एकदम अलग और अहलदा। फैमिली कोर्ट की तलाक की डिक्री को रद्द करने की मांग को लेकर पति पत्नी हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने याचिका को रद्द करते हुए कहा कि कानूनीतौर पर अब यह संभव नहीं है। आपसी सहमति के आधार पर तलाक की मंजूरी देते हुए फैमिली कोर्ट द्वारा पारित डिक्री को खारिज नहीं किया जा सकता।
तलाक के बाद रिश्तों में आई नरमी और आपसी समझदारी के चलते पति-पत्नी ने एक बार फिर साथ रहने का निर्णय लिया और इसी अमलीजामा पहनाने के लिए आपसी रजामंदी के बाद पत्नी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। दायर याचिका में बताया कि हम दाेनों के रिश्ते अब सामान्य हो गए हैं। हमने अपनी शादी की सालगिरह भी साथ-साथ मनाया है। साथ घुमने फिरने गए और होटल भी बुक कराया। रिश्तों में आई नरमी और साथ रहने का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित तलाक की डिक्री को रद्द करने की मांग की। याचिका की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने कहा कि तलाक पति-पत्नी के आपसी सहमति से हुआ है। लिहाजा अब अपील की कोई गुंजाइश नहीं है। बेंच ने यह भी कहा, कानून भावनाओं से नहीं, तथ्यों और प्रक्रियाओं से चलता है। बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
बिलासपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में रहने वाली महिला की शादी मोपका निवासी युवक से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद दोनों के बीच रिश्ते में कड़वाहट आई और साथ-साथ रहने के बजाय अलग होने का निर्णय लिया। इसके बाद परिवार न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगाई। आपसी सहमति के आधार पर परिवार न्यायालय ने तलाक की डिक्री पारित कर दी। तलाक लेने के दो महीने बाद 11 मार्च से 15 मार्च 2025 तक मथुरा की यात्रा की।
कानून भावनाओं से नहीं, तथ्यों व प्रक्रियाओं से चलता है
पति पत्नी ने साथ-साथ रहने के कई कारण गिनाए, तलाक के बाद साथ बिताए पलों की तस्वीरें पेश की, साथ-साथ ट्रेन में यात्रा की टिकट के अलावा सालगिराह मनाने की तस्वीरें भी पेश की। मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा, कानून भावनाओं से नहीं तथ्यों और प्रक्रियाओं से चलता है। कानूनी प्रावधानों का जिक्र करते हुए बेंच ने कहा कि आपसी सहमति के आधार पर जब एक बार परिवार न्यायालय द्वारा तलाक की डिक्री पारित कर दी जाती है तब उसे रद्द नहीं किया जा सकता। प्रावधानाओं और कानूनी प्रक्रियाओं का जिक्र करते हुए डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
