Bilaspur Highcourt News: पुलिस ने की गलत गिरफ्तारी, नाराज हाईकोर्ट ने पीड़ित को 10 हजार मुआवजा देने के दिए आदेश
Bilaspur Highcourt News: हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और आरोपियों को एक माह के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके समय सीमा पूरा होने से पहले बिलासपुर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने इसे याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बता बिलासपुर पुलिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शासन को दस हजार रुपए जुर्माना प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।

CG Highcourt News
Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर पुलिस के द्वारा गलत ढंग से समय से पहले गिरफ्तारी करने से नाराज हाईकोर्ट ने शासन को 10 हजार रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए है। 2 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को मुआवजा देना होगा। दरअसल सजा मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट के पास याचिकाकर्ता को एक माह में सरेंडर करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था। पर समय सीमा पूरी होने से पहले ही पुलिस के द्वारा याचिकाकर्ता गिरफ्तार कर लिया गया। इससे क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जिस पर नाराज हाईकोर्ट ने बिलासपुर पुलिस को फटकार लगाते हुए दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को दस हजार रुपए मुआवजा प्रदान करने के निर्देश शासन को दिए है।
हाई कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2025 को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हत्या के आरोपी विजय चौधरी और अन्य को एक महीने के भीतर ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का समय दिया था। आत्मसमर्पण की अवधि 8 नवंबर तक वैध थी। लेकिन सिविल लाइन पुलिस ने 29 अक्टूबर को ही विजय चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। इसे विजय चौधरी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर बिलासपुर पुलिस से जवाब मांगा था।
नोटिस के जवाब में बिलासपुर के एसएसपी ने शपथ पत्र देकर बताया कि उन्हें विश्वसनीय सूचना मिली थी कि याचिकाकर्ता कोई अन्य अपराध कर सकता है, इसलिए गिरफ्तारी जरूरी थी। लेकिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इस तर्क को नामंजूर करते हुए कहा कि जब कोर्ट ने आत्मसमर्पण की समय सीमा तय की थी, तब पुलिस को एकतरफा कार्रवाई करने के बजाय कोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए थी। पुलिस की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 20 और 21 के तहत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। किसी भी खुफिया इनपुट के आधार पर न्यायिक आदेश को दरकिनार नहीं किया जा सकता। हालांकि बिलासपुर पुलिस ने अपनी कार्रवाई पर बिना शर्त माफी मांगी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। साथ ही सरकार को विजय चौधरी को दो सप्ताह में 10 हजार रुपए का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
यह था मामला
वर्ष 2013 में शहर का चर्चित खंडेलवाल हत्याकांड सिटी मॉल के बाजू वाली कॉलोनी में हुआ था। शहर के बड़े होटल व्यवसायी अनिल खंडेलवाल के पिता दशरथ खंडेलवाल और मां विमला देवी 36 मॉल के पास, उसलापुर उनके घर के बगल वाले एक अलग घर में रहते थे। 22 नवंबर 2013 को रात लगभग 1.30 बजे दो अज्ञात आरोपी उक्त घर पर पहुंचे, गेट से अंदर घुसे और दरवाजे की घंटी बजाई। विमला देवी ने दरवाजा खोला, तो आरोपी जबरन घर में घुस आए। जब दशरथ लाल खंडेलवाल ने विरोध किया, तो आरोपी ने दंपती पर चाकू से हमला किया और मृतक की कलाई घड़ी और मोबाइल फोन लूटकर फरार हो गए। हमले में दशरथ खंडेलवाल की मौत हो गई वहीं विमला देवी गंभीर रूप से घायल हो गई। विमला देवी ही मामले में मुख्य गवाह थी।
इस मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद मुखबिर की सूचना पर विक्की उर्फ मनोहर सिंह, उम्र लगभग 19 वर्ष निवासी मधुबन नारियल कोठी, विजय चौधरी उम्र लगभग 19 वर्ष निवासी मन्नू चौक, टिकरापारा, को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से मृतक की घड़ी, मोबाइल व अन्य सामान बरामद किया था। सत्र न्यायालय ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया था।
सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ होटल व्यवसायी अनिल खंडेलवाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट के फैसले को आठ अक्टूबर को पलट दिया और अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के तहत दोषी ठहरा आजीवन कठोर कारावास और 1000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। घायल विमला देवी की हत्या का प्रयास करते हुए उसे चोट पहुंचाने के लिए आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 307/34 के तहत दोषी ठहरा 1000 रुपए प्रत्येक के जुर्माने की सजा सुनाई। दोनों सजाएं साथ साथ चलेंगी। आठ अक्टूबर को सजा देने के बाद आठ नवंबर तक ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे।
