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Bilaspur Highcourt News: पति की मौत के बाद पहली पत्नी ने विवाह वैध साबित करने लड़ा केस, 9 साल चला मामला, मौत के बाद आया ऐसा फैसला

Bilaspur Highcourt News: एसईसीएल कर्मी की मौत के बाद दो पत्नियों के बीच संपत्ति और अन्य लाभ को लेकर विवाद हो गया। हाईकोर्ट ने मामले में पहली पत्नी के विवाह को वैध मानते हुए दूसरी पत्नी का दावा अमान्य कर दिया।

Bilaspur Highcourt News
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। एसईसीएल कर्मी की मौत के बाद विधवा पत्नी को 9 साल केस लड़ने के बाद न्याय मिला और डिवीजन बेंच ने पहले विवाह को ही वैध मानते हुए विवाहित पत्नी के आधार पर समस्त कानूनी और नौकरी संबंधी लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए। खास बात यह है की एसईसीएल कर्मी की मौत के बाद 9 साल तक के मामला चला। इस दौरान विधवा महिला की मौत हो गई। जिसके बाद उसकी बेटी ने केस लड़कर अपनी मां की शादी को वैध करने का आदेश जारी करवाया।

एसईसीएल के दिवंगत कर्मचारियों की संपत्ति और वैवाहिक स्थिति को लेकर 9 साल चले केस के बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने आदेश सुनाया है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है की पहली पत्नी ही वैध है जबकि दूसरी शादी अवैध मानी जाए। एसईसीएल चिरमिरी ओपन कॉस्ट माइंस में कार्यरत मुद्रिका प्रसाद की मौत पांच फरवरी 2016 को हो गई थी। उनकी मौत के बाद दो महिलाओं ने संपत्ति और नौकरी संबंधी लाभ को लेकर दावा किया था।

खुद को पहली पत्नी बताने वाली श्यामा देवी ने फैमिली कोर्ट में दावा किया था कि 1983–84 में रीवा जिले के खिरहाई पुरवा में हिंदू रीति–रिवाजों के अनुसार उनका विवाह हुआ है। विवाह के बाद उनकी बेटी संगीता पटेल का जन्म हुआ है। उनके अलावा श्यामा उर्फ राजकुमारी पटेल ने भी खुद के पत्नी होने का दावा किया। श्यामा उर्फ राजकुमारी पटेल के अनुसार सन 1989 में उसका विवाह मुद्रिका प्रसाद से हुआ था। उनके विवाह से तीन बेटी और एक बेटा है,जिनका नाम सर्विस रिकॉर्ड में भी मृतक ने दर्ज करवाया है।

वही दोनों पक्षों के विवाद होने के बाद मामला फैमिली कोर्ट में गया। फैमिली कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पहला विवाह वैध माना और पाया कि दूसरी पत्नी के आधार कार्ड और वोटर आईडी के अनुसार उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1977 थी। इस हिसाब से जब 1989 में कॉलरी कर्मी ने जब दूसरा विवाह किया तब उनकी पत्नी की उम्र मात्र 12 वर्ष थी। जो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 (3) का स्पष्ट उल्लंघन हैं। कानून के अनुसार विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इसलिए दूसरा विवाह अवैध है।

नौ साल चले केस के दौरान पहली पत्नी की मौत

फैमिली कोर्ट के फैसले को दूसरी पत्नी श्यामा उर्फ राजकुमारी पटेल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। दूसरी पत्नी ने यह तर्क रखा की पति की मौत के बाद फैमिली कोर्ट को वैवाहिक स्थिति के तय करने का अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट में केस लंबित रहने के दौरान पहली पत्नी श्यामा देवी का निधन हो गया। जिसके बाद उनकी बेटी संगीता पटेल ने केस लड़ा। सुनवाई कर डिवीजन बेंच ने दूसरी पत्नी के आपत्ति की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि फैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 7(1)(बी) में स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की वैवाहिक स्थिति की वैधता से जुड़े विवाद फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आते है।

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