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Bilaspur Highcourt News: गोवंश की मौत: पशुधन विकास विभाग की रिपोर्ट पर चीफ जस्टिस नाराज, दोबारा मांगी रिपोर्ट

Bilaspur Highcourt News: गोवंश की मौत के मामले में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को अधूरी बताते हुए हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। मौत के वास्तविक कारणों, प्रबंधन की वास्तविक स्थिति और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही के साथ विस्तृत शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

Bilaspur Highcourt News: गोवंश की मौत: पशुधन विकास विभाग की रिपोर्ट पर चीफ जस्टिस नाराज, दोबारा मांगी रिपोर्ट
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Chhattisgarh High Court (NPG FILE PHOTO)

By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर| बिलासपुर हाई कोर्ट ने बेलतरा और सुकुलकारी क्षेत्र में लगातार हो रही गोवंशों की मौतों को लेकर दाखिल सरकारी रिपोर्ट को “असंतोषजनक और अधूरी” करार देते हुए कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी. गुरु की डिवीजन बेंच ने पशुधन विकास विभाग के सचिव को आदेश दिया कि वे नया और विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करें, जिसमें मौत के वास्तविक कारण, प्रबंधन की स्थिति और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही का पूरा ब्यौरा शामिल हो। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने 19 नवंबर की तिथि तय कर दी है।

मौतों पर देर से हरकत, कोर्ट ने उठाए सवाल

सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि मवेशियों की मौतें 15 अक्टूबर 2025 को हुई थीं। 23 अक्टूबर को मीडिया रिपोर्ट आने और न्यायालय के संज्ञान लेने के बाद ही अधिकारी सक्रिय हुए। अदालत ने कहा कि यह प्रशासन की गंभीर लापरवाही और निगरानी तंत्र की विफलता को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा कि एक से अधिक स्थानों पर सड़े-गले मवेशियों के शवों का मिलना इस बात का संकेत है कि क्षेत्र में नियमित सुपरविजन नहीं हो रहा है। मृत गायें गौठान से थीं या निजी पशुपालकों की, इस पर विभाग के बयान आपस में विरोधाभासी पाए गए। ग्रामीणों द्वारा शवों को गांव से बाहर फेंक देने की बात प्रशासनिक नियंत्रण की कमी को और स्पष्ट करता है।

सिर्फ खानापूर्ति की रिपोर्ट

डिवीजन बेंच ने कहा कि पशुधन विकास विभाग द्वारा 26 अक्टूबर को प्रस्तुत शपथ पत्र केवल औपचारिकता है। रिपोर्ट में गौशालाओं में मवेशियों की वास्तविक संख्या, चारा और पानी की उपलब्धता, चिकित्सकीय देखभाल की व्यवस्था, निरीक्षण की आवृत्ति, और अधिकारियों की जवाबदेही से जुड़ी कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है। अदालत ने कहा कि इतने गंभीर मामले में इस तरह की अधूरी और सतही रिपोर्ट स्वीकार्य नहीं है।

राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान बताया कि मवेशियों की देखभाल के लिए “गोधाम योजना” तैयार की गई है, जिसे 6 अगस्त 2025 को सभी जिलों के कलेक्टरों को भेजा गया था। अदालत ने टिप्पणी की कि यदि यह योजना सही रूप में लागू की जाती है, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस योजना को गंभीरता से लागू करेगी और संबंधित अधिकारी मवेशियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और प्रबंधन व्यवस्था को लेकर जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे।

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