Bilaspur Highcourt News: मेकाहारा अस्पताल में एक बेड में दो प्रसुताओं की डिलीवरी का मामला, स्वास्थ्य सचिव ने शपथ पत्र के साथ दी जानकारी
Bilaspur Highcourt News: राज्य की राजधानी में संचालित प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में एक बेड में दो-दो प्रसुताओं और उनके नवजात शिशुओं को रखने के मामले में हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की है। स्वास्थ्य सचिव द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में बताया है कि यहां राज्य भर से मरीज आते हैं और उपलब्ध संसाधनों और क्षमता की तुलना में अधिक डिलीवरी हो रही है। संसाधन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल (मेकाहारा) के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में मरीजों की भीड़ और एक ही बेड पर दो प्रसूताओं को रखने की स्थिति पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया। मीडिया में प्रकाशित खबर के आधार पर जनहित याचिका के रूप में हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
पिछली सुनवाई में हाईइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे। सचिव द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में स्वीकार किया गया है कि अंबेडकर अस्पताल का प्रसूति विभाग राज्य का सबसे बड़ा होने के कारण यहां मरीजों का अत्यधिक दबाव है। विभाग की कुल क्षमता 130 बेड की है, जबकि प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या, क्षमता से कई गुना अधिक है।
क्षमता से अधिक मरीजों की डिलीवरी
मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हर घंटे कम से कम एक डिलीवरी होती है और अधिकांश समय सभी 150 बेड भरे रहते हैं। कभी-कभी एक बेड पर दो प्रसूताओं को रखना पड़ता है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि 29 अक्टूबर 2025 को विभाग में कुल 203 मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें 61 को भर्ती किया गया और 62 की सर्जरी की गईं। इनमें 20 सामान्य डिलीवरी, 22 सिजेरियन और 20 अन्य प्रक्रियाएं शामिल थीं। 1 से 29 अक्टूबर तक कुल 1,310 प्रसूताएं भर्ती हुईं, जिनमें 462 सामान्य और 499 सिजेरियन डिलीवरी हुईं।
स्वास्थ्य सचिव ने दी ये जानकारी
स्वास्थ्य सचिव ने अस्पताल में संसाधन बढ़ाने के संबंध में शासन के प्रयासों की जानकारी अपने शपथ पत्र में दी है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि भीड़ को देखते हुए अस्पताल ने तात्कालिक रूप से 10 अतिरिक्त बेड बढ़ाए हैं और अगले सात दिनों में 10 और बेड जोड़ने की योजना बनाई है। इसके अलावा, 700 बेड वाला नया मातृ एवं शिशु अस्पताल निर्माणाधीन है। मामले की अगली सुनवाई डिवीजन बेंच ने 25 नवंबर को तय की है।
किट और रीएजेंट्स की कमी पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल
हाई कोर्ट ने अस्पताल में उपयोग होने वाली डायग्नोस्टिक किट और रीएजेंट्स की कमी का मुद्दा भी उठाया। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी को व्यक्तिगत शपथ पत्र देने के लिए पिछली सुनवाई में निर्देश दिया गया था। निगम ने इस मामले में बताया कि 2025-26 के लिए रीएजेंट्स, कैलिब्रेटर्स और अन्य सामग्री की खरीद हेतु 9 टेंडर जारी किए गए थे। इनमें से सात टेंडर अपात्र पाए जाने पर रद्द कर दिए गए और दो अभी तकनीकी मूल्यांकन में हैं। नए टेंडर गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम पोर्टल) पर जारी किए गए हैं और मूल्यांकन प्रक्रिया जारी है। वहीं, हमर लैब योजना के तहत केंद्रीय खरीद पूरी होने तक स्थानीय स्तर पर खरीद की अनुमति दी गई है।
पीएचसी और सीएचसी की स्थिति पर मांगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से राज्य के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने के लिए किए जा रहे कार्यों का विस्तृत ब्योरा अतिरिक्त शपथ पत्र के रूप में देने को कहा। इसके अलावा सीजीएमएससी के एमडी को निर्देश दिए गए कि वे टेंडर प्रक्रिया को तेज करें और सभी सरकारी अस्पतालों में किट और रीएजेंट्स की कमी न होने दें।
हाई कोर्ट ने कहा: शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले सावधानीपूर्वक करें अवलोकन
हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी को चेतावनी दी कि भविष्य में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले तथ्यों और भाषा की सावधानीपूर्वक जांच करें। पिछले शपथ पत्र में 9 में से 7 अपात्र टेंडर की स्थिति को “नगण्य” लिखा गया था, जबकि वास्तव में सात टेंडर अपात्र पाए गए थे।
