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Bilaspur Highcourt News: DIG और SP को अवमानना नोटिस, अधिवक्ताओं ने की सख्त सजा देने की मांग

Bilaspur Highcourt News: पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर लगी याचिका में हाईकोर्ट द्वारा 90 दिनों के भीतर नियुक्ति प्रदान करने का आदेश दिया गया था। पर समयसीमा बीत जाने के बावजूद भी अनुकम्पा नियुक्ति नहीं प्रदान करने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर डीआईजी प्रशासन और एसपी जांजगीर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के तहत कठोर दंडादेश देने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने डीआईजी प्रशासन और एसपी जांजगीर के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है।

DIG  प्रशासन और SP  को अवमानना नोटिस, अधिवक्ताओं ने की सख्त सजा देने की  मांग
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High Court News

By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। हाईकोर्ट बिलासपुर ने न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद समयसीमा में अमल नहीं किए जाने पर डीआईजी प्रशासन पारूल माथुर और जांजगीर-चांपा के पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडेय को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पामगढ़ निवासी विक्की भारती की ओर से दायर अवमानना याचिका के आधार पर जारी किया गया है।

याचिकाकर्ता विक्की भारती ने पुलिस विभाग में कार्यरत अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। पुलिस विभाग द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति नहीं देने पर उन्होंने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और प्रिया अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अदालत में याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने तर्क रखा कि विक्की भारती के पिता की मृत्यु के पश्चात शासन द्वारा उनका अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश निरस्त कर दिया गया था, जिससे विक्की भारती अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्र हो गए थे। इस संबंध में उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि आदेश पारित होने की तिथि से 90 दिनों के भीतर नियुक्ति दी जाए। हालांकि, न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस विभाग द्वारा नियुक्ति नहीं दी गई, जिससे क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की।

हाईकोर्ट में गंभीर टिप्पणियां:

अधिवक्ताओं ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा लगातार न्यायालयीन आदेशों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मात्र जुलाई 2025 तक हाईकोर्ट में 1,149 अवमानना याचिकाएं दर्ज हो चुकी हैं, जिससे न्यायालय का बहुमूल्य समय प्रभावित हो रहा है।

याचिका में न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 का उल्लेख करते हुए मांग की गई है कि इन दोनों धाराओं में 6 माह का कारावास या दो हजार रुपए जुर्माना या दोनों सजाओं का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के तहत दोनों अधिकारियों को कठोर दंडादेश देने की मांग की गई।

कोर्ट ने माना मामला गंभीर

हाईकोर्ट ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर मानते हुए डीआईजी प्रशासन पारूल माथुर एवं जांजगीर एसपी विजय पांडेय को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि समय पर संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकती है।

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