Bilaspur Highcourt News: BEO का निलंबन रद्द: हाई कोर्ट ने कहा; कलेक्टर ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की कार्रवाई
Bilaspur Highcourt News: युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में गड़बड़ी और उच्च कार्यालय को गलत जानकारी देने के आरोप में कलेक्टर ने बीईओ को निलंबित कर दिया था। निलंबन के खिलाफ बीईओ ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया है।

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने बस्तर संभाग के जगदलपुर जिले में पदस्थ बीईओ मानसिंह भारद्वाज के निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया है। चीफ रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिविज़न बेंच ने स्पष्ट किया कि कलेक्टर के पास निलंबन का अधिकार नहीं है. उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी किया है । कोर्ट ने इसे विधि के विरुद्ध ठहराया। बता दे कि NPG.NEWS ने पहले ही खबर प्रकाशित कर बताया था कि कलेक्टर क्लास 2 के अधिकारियों को निलंबित नहीं कर सकते। BEO को निलंबित का अधिकार संभाग कमिश्नर या स्कूल शिक्षा सचिव को है।
क्या था मामला
मानसिंह भारद्वाज जगदलपुर जिले के जगदलपुर विकासखंड में बीईओ के पद पर पदस्थ थे। उनका मूल पद प्राचार्य हैं। युक्तियुक्तकरण के संबंध में गलत जानकारी उच्च कार्यालय को प्रेषित करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। बस्तर संभाग के कमिश्नर ने उनके निलंबन की कार्रवाई करने का आदेश प्रभारी कलेक्टर जगदलपुर को दिया था। निलंबन के खिलाफ मानसिंह भारद्वाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि वे 2 जून से 6 जून 2025 तक अपने भतीजे की शादी में शामिल होने मध्यप्रदेश के सिवनी गए थे। उन्होंने पूर्व स्वीकृत अवकाश लिया था, लेकिन 4 जून को उनकी छुट्टी अचानक निरस्त कर दी गई और 5 जून को उन्हें उपस्थित होने का आदेश जारी हुआ। वे लौटते इससे पहले ही 6 जून को उनका निलंबन आदेश जारी कर दिया गया।
न कारण बताओ नोटिस, न व्यक्तिगत सुनवाई
याचिकाकर्ता ने कहा कि निलंबन से पहले न तो उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया, न ही व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर मिला। पहले सिंगल बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने डिवीजन बेंच में अपील दायर की।
कलेक्टर नहीं है सक्षम प्राधिकारी
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कलेक्टर न तो बीईओ के नियुक्ति प्राधिकारी हैं और न ही उनके पास निलंबन का वैधानिक अधिकार है। यह अधिकार संभागीय आयुक्त या स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को प्राप्त है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि निलंबन आदेश पर कलेक्टर के हस्ताक्षर नहीं थे, बल्कि किसी अधीनस्थ अधिकारी ने दस्तखत किए थे, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। दरअसल जब निलंबन आदि जारी हुआ उस वक्त जगदलपुर कलेक्टर छुट्टी में थे। उनकी जगह जिला पंचायत सीईओ कलेक्टर के प्रभार में थे। जिसके चलते सीईओ ने प्रभारी कलेक्टर के बतौर निलंबन आदेश में हस्ताक्षर किए थे।
कोर्ट की टिप्पणी
“जब निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई की जाए, तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राधिकारी विधि द्वारा प्रदत्त अधिकार का पालन करे। अन्यथा यह आदेश असंवैधानिक और शून्य माना जाएगा।” हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि संभागीय आयुक्त चाहें तो नियमों के तहत दो सप्ताह के भीतर उचित प्रक्रिया अपनाते हुए कार्रवाई कर सकते हैं।
