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Bilaspur Highcourt News: बड़ी खबर: अब निजी स्कूल भी ESI एक्ट के दायरे में, हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को मिलेगा स्वास्थ्य बीमा का लाभ

Bilaspur Highcourt News: राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्य के निजी और सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ प्रदान करने के लिए ईएसआई एक्ट लाने की अधिसूचना जारी की थी। इसके खिलाफ राज्य के दर्जन भर निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षा समाज सेवा आवश्यक है लेकिन कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना भी जरूरी है इसके साथ ही याचिकाकर्ता स्कूलों की दलील खारिज कर शासन की अधिसूचना को अदालत ने सही माना है। अब निजी स्कूल भी ईएसआई एक्ट के दायरे में आयेंगे। जिसके चलते प्रदेश के निजी स्कूलों के हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा और अन्य लाभ मिलेगा

Bilaspur Highcourt News: बड़ी खबर: अब निजी स्कूल भी ESI एक्ट के दायरे में, हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को मिलेगा स्वास्थ्य बीमा का लाभ
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में स्पष्ट किया है कि राज्य के निजी और सहायता प्राप्त स्कूल अब कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI एक्ट) के दायरे से बाहर नहीं रहेंगे। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने करीब एक दर्जन से अधिक याचिकाओं को एक साथ सुनते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि स्कूल भी 'स्थापना' (एस्टेब्लिशमेंट) की श्रेणी में आते हैं, इसलिए यहां कार्यरत कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलना ही चाहिए।

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव सहित प्रदेशभर के कई नामी निजी स्कूलों ने राज्य सरकार की 27 अक्टूबर 2005 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस अधिसूचना के जरिए स्कूलों को ईएसआइ एक्ट के तहत लाते हुए उनके कर्मचारियों के लिए बीमा अंशदान अनिवार्य किया गया था। स्कूल प्रबंधन का तर्क था कि शिक्षा सेवा है, व्यवसाय नहीं, इसलिए उन पर यह कानून लागू नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि उनकी गतिविधियां न तो औद्योगिक हैं और न ही वाणिज्यिक, इसलिए ईएसआइ की परिभाषा में नहीं आतीं हैं।

सरकार और ESI ने रखा अपना पक्ष

राज्य सरकार और कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने इन दलीलों का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि ईएसआइ एक्ट एक सामाजिक सुरक्षा कानून है, जो हर उस संस्था पर लागू हो सकता है जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों। शिक्षा संस्थान भी स्थायी स्थापना हैं और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए।

हाई कोर्ट ने यह दिया तर्क

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि ESI एक्ट केवल कारखानों या उद्योगों तक सीमित नहीं है। 'स्थापना' शब्द का अर्थ व्यापक है, जिसमें शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं। शिक्षा समाज सेवा अवश्य है, लेकिन स्कूलों में नियमित रूप से कर्मचारी कार्यरत रहते हैं, इसलिए उनके हितों की रक्षा जरूरी है। कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करने से पहले सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की थीं।

1900 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

इस फैसले से प्रदेश के लगभग 1900 निजी और सहायता प्राप्त स्कूल प्रभावित होंगे। यहां कार्यरत हजारों शिक्षक, कर्मचारी और अन्य स्टाफ अब स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना, मातृत्व व अन्य कल्याणकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईएसआइ योगदान जमा करने में कोताही करने वाले स्कूलों पर वैधानिक कार्रवाई की जा सकती है। अब राज्य के सभी निजी स्कूलों को ईएसआइ एक्ट के तहत पंजीकरण कराना और नियमित योगदान जमा करना होगा, ताकि कर्मचारियों को निर्धारित लाभ समय पर मिल सके।

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