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Bilaspur Highcourt News: अपोलो अस्पताल के चार डाक्टरों को बड़ी राहत: हाई कोर्ट ने एफआईआर किया निरस्त

Bilaspur Highcourt News: लापरवाही पूर्वक इलाज करने के चलते युवक की मौत के मामले में पुलिस ने अपोलो अस्पताल के चार डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का अपराध दर्ज किया था। मामले में चार्जशीट भी फाइल की गई थी। जिसके खिलाफ डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दिया है।

Bilaspur Highcourt News: अपोलो अस्पताल के चार डाक्टरों को बड़ी राहत: हाई कोर्ट ने एफआईआर किया निरस्त
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अपोलो हॉस्पिटल के चार डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने चारों डॉक्टरों की याचिका मंजूर करते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और निचली अदालत में पेश की गई चार्जशीट को निरस्त कर दिया है। वर्ष 2016 में अपोलो हॉस्पिटल में एक मरीज की मौत के मामले में चारों डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 304A यानी गैर इरादतन हत्या के तहत केस दर्ज किया गया था।


दयालबंद निवासी एक युवक को गंभीर स्थिति में 25 दिसंबर 2016 को अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। मरीज का मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण अगले ही दिन 26 दिसंबर 2को निधन हो गया। 27 दिसंबर को पोस्टमॉर्टम हुआ, लेकिन विसरा को 31 जनवरी 2019 को रासायनिक परीक्षण के लिए भेजा गया था, 5 मार्च 2019 रिपोर्ट मिली। इसमें किसी भी तरह के सल्फास के अवशेष नहीं मिले। इस मामले में परिजनों की शिकायत पर सरकंडा थाने में डॉ. सुनील कुमार केडिया, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. राजीव लोचन भांजा और मनोज कुमार राय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। चारों ने सीनियर एडवोकेट सुनील ओटवानी के जरिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

गंभीर हालत में लाया गया था अस्पताल

याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया कि 25 दिसंबर 2016 को मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। मरीज मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण अगले ही दिन 26 दिसंबर को निधन हो गया। इस मामले में पहले सिम्स और बाद में राज्य मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। कार्डियोलॉजिस्ट समेत पांच मेडिकल विशेषज्ञों वाले इस राज्य मेडिकल बोर्ड ने वर्ष 2023 में अपनी राय दी थी कि डॉक्टरों की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है।

मेडिको लीगल एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर केस

यह भी बताया कि बोर्ड की रिपोर्ट के बावजूद पुलिस विभाग के एक मेडिको लीगल विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था। इस रिपोर्ट में मृत्युपूर्व बयान रिकॉर्ड न करना या राइस ट्यूब को संरक्षित न करना का उल्लेख किया गया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि इन कमियों का मरीज की मौत से कोई सीधा कारण और प्रभाव संबंध था।

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