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Bilaspur Highcourt News: 40 करोड़ की 400 गाड़ियां कबाड़: नाराज हाई कोर्ट ने DGP को किया तलब, व्यक्तिगत हलफनामा के साथ पेश करनी होगी रिपोर्ट

Bilaspur Highcourt News: अगस्त 2023 में डायल 112 सेवा के लिए 400 गाड़ियां 40 करोड़ की लागत से खरीदी गई थी। 2 सालों तक इसका उपयोग नहीं होने पर टायर, पुर्जे और बैटरी खराब हो गई। वाहनों की चलने की उम्र भी 2 साल कम हो गई। हाई कोर्ट में इस पर संज्ञान लेते हुए डीजीपी को हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

CG Highcourt News
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने डायल-112 सेवा की नई खरीदी गई सैकड़ों गाड़ियों को दो साल तक बेकार खड़ा रखने और फिर पुराने वाहनों को पुलिस थानों में भेजने के मामले को गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। अदालत ने मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर लिया है।

मामला ऐसे आया सामने

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2023 में डायल-112 सेवा के लिए 400 गाड़ियां 40 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गईं। लेकिन ये वाहन लगभग दो साल तक खड़े-खड़े जंग खाते रहे, जिससे टायर बैटरी और कई पुर्जे खराब हो गए। अप्रैल 2025 में 325 नई गाड़ियां फिर से खरीदी गईं, पर पुलिस मुख्यालय ने पुराने डायल-112 वाहनों की मरम्मत कर उन्हें थानों में भेजने का आदेश दे दिया, जबकि नई गाड़ियां फिर से खड़ी रहीं।

प्रशासनिक गड़बड़ी की बात आई सामने

कोर्ट में रखे गए तथ्यों के मुताबिक, प्रत्येक गाड़ी की मरम्मत पर करीब 50 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ। लंबे समय तक खड़े रहने से डीजल वाहनों की चलने की उम्र 10 साल से घटकर 8 साल रह गई है। कई जगह पुलिस अधिकारी अपने निजी पैसों से पुराने वाहनों को चलाते रहे। इस स्थिति का कारण टेंडर प्रक्रिया और एजेंसी चयन में अनिर्णय को बताया गया है।

कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी और दिया आदेश

सुनवाई के दौरान राज्य के एडवोकेट जनरल ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। इसके बाद अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि, डीजीपी छत्तीसगढ़ को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा। हलफनामे में यह स्पष्ट करना होगा कि नई गाड़ियों को खड़ा रखकर पुराने वाहनों का उपयोग क्यों किया गया। टेंडर और एजेंसी चयन में देरी की पूरी वजह बतानी होगी। भविष्य में ऐसी गड़बड़ी रोकने और सभी गाड़ियों के बेहतर उपयोग के लिए उठाए गए या प्रस्तावित कदमों का भी विवरण देना होगा। कोर्ट ने पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए8 अक्टूबर 2025 की तिथि तय की है। साथ ही राज्य के वकील को निर्देश दिया गया कि आदेश की कापी तत्काल डीजीपी को सौंपी जाए, ताकि समय पर कार्रवाई और पालन सुनिश्चित हो सके।

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