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Bilaspur High Court: यौन उत्पीड़न में फंसे पुलिस अफसर की अग्रिम जमानत याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज, कोर्ट ने कहा....

Bilaspur High Court: यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे पुलिस अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी पुलिस अफसर है, अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करने की स्थिति में वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। आरोप की प्रकृति गंभीर है। सिंगल बेंच ने इन टिप्पणियों के साथ पुलिस अफसर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

Bilaspur High Court: यौन उत्पीड़न में फंसे पुलिस अफसर की अग्रिम जमानत याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज, कोर्ट ने कहा....
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे पुलिस अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी पुलिस अफसर है, अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करने की स्थिति में वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। आरोप की प्रकृति गंभीर है। सिंगल बेंच ने इन टिप्पणियों के साथ पुलिस अफसर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

दुर्ग जिले के पुराना भिलाई थाना क्षेत्र में रहने वाली महिला की शिकायत पर पुलिस ने पुलिस अधिकारी अरविंद कुमार मेढे पर यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज किया है। पीड़िता ने दर्ज कराई एफआईआर में आरोप लगाया है कि उसका बेटा पॉक्सो एक्ट के प्रकरण में जेल में बंद है। पुलिस अधिकारी ने बेटे की जमानत कराने का झांसा देकर उससे संपर्क किया फिर लगातार संपर्क करने लगा और मिलने का दबाव बनाने लगा। पीड़िता महिला के अनुसार 18 नवंबर 2025 की शाम तकरीबन 6:10 बजे उसे थाने बुलाया। थाना पहुंचने पर महिला पुलिसकर्मियों ने कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए। इसके बाद आरोपी पुलिस अफसर ने फोन कर उसे चरोदा बस स्टैंड बुलाया। वहां से उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर एक सुनसान जंगल वाले इलाके में ले गया। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि वहां आरोपी पुलिस अफसर ने शारीरिक संबंध बनाने दबाव डाला। इस बीच उसे गले लगाया और अश्लील हरकतें कीं। पीड़ित महिला के अनुसार मासिक धर्म की बात बताने पर आरोपी ने उसे छोड़ दिया औन दो दिन बाद फिर मिलने को कहा। घटना के तकरीबन 24 घंटे बाद 19 नवंबर 2025 को शाम करीब 6 बजे पीड़िता ने पुलिस अफसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई।

एफआईआर के बाद पुलिस अधिकारी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा कि महिला द्वारा लगाया गया आरोप निराधार हैं। याचिका में कहा कि एफआईआर में देरी हुई है। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह स्थायी निवासी है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी पुलिस अधिकारी है और उसने अपने पद का दुरुपयोग कर पीड़िता की मजबूरी का फायदा उठाया है।

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के सिंगल बेंच में हुई। दोनों पक्षों की दलीलें और केस डायरी के अध्ययन के बाद पुलिस अधिकारी द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोट ने अपने फैसले में कहा है कि आरोप गंभीर हैं और आरोपित के पुलिस अधिकारी होने के कारण जांच प्रभावित होने और गवाहों पर दबाव डालने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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