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Bilaspur High Court News: कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: सीधी भर्ती और पदोन्नति वाले राजस्व निरीक्षकों की अलग-अलग बनेगी वरिष्ठता सूची

Bilaspur High Court News:राजस्व विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके प्रसाद ने राजस्व विभाग में सीधी भर्ती के तहत नौकरी प्राप्त करने वाले आरआई राजस्व निरीक्षक और पटवारी से पदोन्त होकर आरआई बनने वाले कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची अलग-अलग बनाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। अलग-अलग वरिष्ठता सूची की मांग करते हुए हितेश कुमार एवं 35 अन्य राजस्व निरीक्षकों ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सीधी भर्ती और पदोन्नति से राजस्व निरीक्षक के पद पर भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाने का निर्देश दिया है। सीधी भर्ती से आरआई बनने वाले हितेश कुमार व 35 अन्य राजस्व निरीक्षकों ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाने की मांग की थी। सिंगल बेंच ने सीधी भर्ती और पदोन्नत राजस्व निरीक्षक वास्तव में दो अलग-अलग धाराएं (distinct streams) हैं। इसलिए उनकी वरिष्ठता सूची भी अलग-अलग बनाई जानी चाहिए ताकि शिक्षा, योग्यता और भर्ती की पद्धति के अनुसार न्याय सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि कृषि विभाग ने पहले ही इस समस्या का समाधान दो अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाकर किया है और राजस्व विभाग में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है।

हितेश कुमार वर्मा एवं 35 अन्य का कहना था कि वे 2016 के विज्ञापन के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए और सफल रहे। दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया के बाद 5 जनवरी 2019 को राजस्व निरीक्षक RI के पद पर नियुक्त हुए। छत्तीसगढ़ भू-अभिलेख वर्ग-III अशासी (कार्यपालिका एवं तकनीकी) सेवा भर्ती नियम, 2014 में यह व्यवस्था है कि 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 75 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने हैं। इस व्यवस्था के तहत से 70 प्रतिशत पटवारियों और 5 प्रतिशत ट्रेसरों के लिए आरक्षित रखा गया है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि सीधी भर्ती वाले उम्मीदवारों के लिए स्नातक की योग्यता अनिवार्य है। आरआई के पद पर पदोन्नत होने वाले पटवारी केवल 12वीं पास होते हैं।

12 वीं पास पटवारी बन जाते हैं नायब तहसीलदार, डिग्रीधारी आरआई रह जाते हैं पीछे

याचिकाकर्ताओं की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर थी कि दोनों धाराओं को एक ही वरिष्ठता सूची में रखा जाता है, जिससे कम शैक्षणिक योग्यता वाले पदोन्नत पटवारी सीधी भर्ती वाले स्नातक निरीक्षकों से ऊपर आ जाते हैं। इसका असर यह होता है कि पदोन्नति के अवसर, जैसे कि सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख ASLR और नायब तहसीलदार जैसे उच्च पद, पदोन्नत होने वाले पटवारियों को मिल जाते हैं, जबकि सीधी भर्ती वाले डिग्रीधारी राजस्व निरीक्षक पीछे रह जाते हैं।

पदोन्नति आदेश में राज्य सरकार ने किया भेदभाव

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि 1 जून 2023 को जारी एक आदेश में केवल पदोन्नत राजस्व निरीक्षकों को ही ASLR के पद पर प्रमोशन देने के लिए विचार किया गया, जबकि सीधी भर्ती स्नातक राजस्व निरीक्षकों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया। राज्य शासन के इस निर्णय को याचिकाकर्ताओं ने भेदभाव करार दिया और यह दलील दी कि यह स्थिति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में प्रदत्त समान अवसर के सिद्धांत का उल्लंघन करती है।

अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी ने कहा, कृषि विभाग की तरह बने अलग-अलग वरिष्ठता सूची

मामले की सुनवाई जस्टिस एक प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी ने कृषि विभाग में लागू व्यवस्था का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि कृषि विभाग में यह व्यवस्था पहले से लागू है कि स्नातक ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों और गैर-स्नातक अधिकारियों की अलग-अलग वरिष्ठता सूचियां बनाई जाती हैं। अधिवक्ता सिद्धीकी ने कहा कि जब कृषि विभाग इस प्रकार की व्यवस्था कर सकता है तो राजस्व विभाग में भी सीधी भर्ती और पदोन्नति से आए निरीक्षकों के लिए अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाना पूरी तरह संभव और न्यायोचित है।

राज्य सरकार ने कहा, हमें कोई आपत्ति नहीं है

राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाअधिवक्ता कार्यलाय के ला अफसर ने अदालत को आश्वस्त किया कि सरकार को इस मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि सक्षम प्राधिकारी नियमों और सेवा विनियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर विचार करेंगे और उचित निर्णय देंगे।

हाई कोर्ट ने कहा, अलग-अलग बने वरिष्ठता सूची

न्यायहित में यह उचित होगा कि याचिकाकर्ताओं को यह स्वतंत्रता दी जाए कि वे चार सप्ताह की अवधि में सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना विस्तृत अभ्यावेदन प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि ऐसा अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जाता है तो राज्य सरकार उसे गंभीरता से विचार में ले और तीन महीने के भीतर कारणयुक्त एवं स्पष्ट (reasoned and speaking) आदेश पारित करे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार निर्णय लेते समय इस तथ्य पर विशेष ध्यान दे कि सीधी भर्ती और पदोन्नत राजस्व निरीक्षक वास्तव में दो अलग-अलग धाराएं (distinct streams) हैं। इसलिए उनकी वरिष्ठता सूची भी अलग-अलग बनाई जानी चाहिए ताकि शिक्षा, योग्यता और भर्ती की पद्धति के अनुसार न्याय सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि कृषि विभाग ने पहले ही इस समस्या का समाधान दो अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाकर किया है और राजस्व विभाग में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है।

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