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Bilaspur High Court News: हाई कोर्ट का आदेश: हादसों में गायों की मौत तो अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए

Bilaspur High Court News: हाई कोर्ट ने कहा, हादसों में गायों की मौत तो अधिकारियों के सर्विस रिकार्ड में दर्ज किया जाए. रतनपुर- केंदा सड़क पर 17 मवेशियों की तेज रफ्तार हाइवा से कुचलकर हुई मौतों के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

Bilaspur High Court News: हाई कोर्ट का आदेश: हादसों में गायों की मौत तो अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। रतनपुर- केंदा सड़क पर 17 मवेशियों की तेज रफ्तार हाइवा से कुचलकर हुई मौतों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि हाई कोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है, इसके बाद भी लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। पहले भी सुनवाई के दौरान नगर निगम से लेकर पंचायतों तक जवाबदेही तय की गई थी, लेकिन अब भी ऐसी घटनाएं होना दुखद है। कोर्ट ने सख्त रवैय्या अपनाते हुए कहा कि अब जवाबदेही तय करते हुए संबंधित अधिकारियों की सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करने को कहना पड़ेगा। शासन की ओर से कहा गया पुलिस ने आरोपी चालक के साथ-साथ मवेशी मालिकों के खिलाफ भी एफआईआर की है।

गौरतलब है कि सड़कों पर मवेशियों की मौतों को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने एसओपी लागू करने की जानकारी दी थी। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि यह एसओपी सिर्फ कागजों तक सीमित न रह जाए, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए। आवारा पशु केवल ग्रामीणों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक सार्वजनिक सुरक्षा का मुद्दा है। इसके बाद भी लेकिन रतनपुर- केंदा सड़क पर 17 मवेशियों की तेज रफ्तार हाइवा से कुचलकर मौत हो गई थी। इसकी सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि एसओपी लागू की गई है। अब राज्य सरकार नगरीय निकायों से लेकर पंचायतों तक इस तरह की घटनाओं के लिए जवाबदेही तय करने जा रही है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ जवाबदेही तय न करें, बल्कि जिम्मेदारी तय करते हुए संबंधित अफसर- कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में इसे दर्ज किया जाए।

जनहित याचिकाओं पर अब तक कई बार सुनवाई

हाईकोर्ट में वर्ष 2019 में दो अलग- अलग जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। इसमें सड़कों की खराब दशा, सड़क पर बैठे हुए मवेशियों से होने वाली परेशानी, सड़क हादसों में मवेशियों की मौत समेत कई विषय उठाए गए थे। तब से अब तक हाईकोर्ट इस मामले पर कई बार सुनवाई कर चुका है, लेकिन हालत जस के तस हैं.

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