Bilaspur Highcourt News: दुर्घटनाओं में मवेशियों की मौत: चीफ जस्टिस नाराज, कहा- योजनाएं और SOP बनाने से कुछ नहीं होगा, सख्ती से किया जाए क्रियान्वयन
Bilaspur Highcourt News: शहर समेत प्रदेश के विभिन्न हाईवे पर लगातार हो रही मवेशियों की मौतों पर एक बार फिर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सिर्फ योजनाएं बनाने से ही राज्य सरकार की जिम्मेदारियां खत्म नहीं हो जाती है। जमीन पर उसका असर भी दिखना चाहिए। चीफ सिकरेट्री को अदालत ने निर्देश देते हुए कहा कि सुझावों पर पुनर्विचार करें, जिम्मेदार इकाइयों को सक्रिय करें। सड़कों पर मवेशी ना हो इसके लिए सभी स्टेक होल्डर मिलकर काम करें। पंचायत से लेकर नगर निगम और प्रशासन तक सभी मिलकर समाधान निकालें।

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने शहर और हाईवे पर आवारा मवेशियों की वजह से हो रहे लगातार हादसों पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाल ही में रतनपुर रोड पर देर रात हुए सड़क हादसे में 8 गोवंश की मौत पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन सिर्फ योजनाएं बनाकर जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सकते। योजनाओं के क्रियान्वयन का धरातल पर असर भी दिखना चाहिए। डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि सरकार और समाज मिलकर समाधान नहीं करेंगे तो सड़कें हादसों का जाल बनी रहेंगी और लोगों व मवेशियों की मौत का सिलसिला जारी रहेगा। सड़कों पर मवेशी न हों, इसके लिए सभी स्टेक होल्डर मिलकर काम करें।
सड़क पर मवेशियों की मौतों के मामलों पर नाराज सीजे सिन्हा ने कहा कि आप वेलफेयर स्टेट हैं। आपकी जिम्मेदारी है कि पंचायत से लेकर नगर निगम और प्रशासन तक सभी मिलकर समाधान निकालें। योजनाएं और SOP बनाने से कुछ नहीं होगा, जब तक उनका क्रियान्वयन सख्ती से न हो।
दरअसल, प्रदेश में शहर के साथ ही हाईवे पर बैठे मवेशियों की वाहनों की चपेट में आने से मौत की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 17 सितंबर की रात करीब 1:10 बजे रतनपुर रोड पर हादसे में 8 गाेवंश की जान गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में मवेशी सड़कों पर बैठ जाते हैं और तेज रफ्तार गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं। अधिकारियों का दावा है कि रात 8 बजे तक गश्त होती है, लेकिन हादसा उसके बाद हुआ। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हादसे रात में ही हो रहे हैं तो 8 बजे गश्त बंद करने का क्या तुक है?
कहा- सरकार पर ब्लेम नहीं, मशीनरी नाकाम
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकार फंड देती है, अधिकारी नियुक्त करती है, लेकिन अगर वही ड्यूटी नहीं निभा रहे तो जिम्मेदार कौन है? आप गर्व करते हैं कि हाईवे और चौड़ी सड़कें बना लीं, लेकिन उन पर मवेशी मर रहे हैं। लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। यह कैसी व्यवस्था है? 2000 मवेशियों को सड़क से उठाने का दावा किया गया, लेकिन हकीकत यह है कि दिखावे के लिए ट्रक में 10 जानवर रखे और अगले दिन छोड़ दिए।
यह प्रशासनिक ही नहीं, सामाजिक समस्या
बेंच ने कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक समस्या भी है। किसान खाद के लिए भूसे को जलाते हैं। इसके बाद चारा संकट के कारण गायें खुले में छोड़ दी जाती हैं। गांवों की चराई भूमि और गौशालाओं की बदहाल स्थिति भी बड़ी वजह है।
इन बिंदुओं पर दिए निर्देश
- हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी सुझावों पर पुनर्विचार करने के निर्देश।
- यह सुनिश्चित किया जाए कि शहर और हाईवे पर मवेशी न दिखें।
- मवेशियों के लिए स्थायी आश्रय, पानी और चारे की व्यवस्था की जाए।
- पंचायत से लेकर निगम तक सभी जिम्मेदार इकाइयों को सक्रिय किया जाए।
नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला
सड़कों पर मवेशियों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जयरामनगर रोड पर ट्रेलर से 14 मवेशी कुचले गए, जिसमें 10 की मौत हो गई। ड्राइवर नशे में था, पुलिस ने केस दर्ज किया। एक दिन पहले गतौरा में 8 मवेशी मारे गए थे। इसके अलावा बोदरी क्षेत्र में सड़कों पर मवेशियों के झुंड से ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की समस्या बताई गई। किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, गौशाला योजना पर अमल नहीं हो रहा है।
