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Bilaspur High Court News: चेन पुलिंग करना अपराध नहीं: हाईकोर्ट ने चेन पुलिंग के एक मामले में कुछ इस तरह सुनाया फैसला

Bilaspur High Court News: चेन पुलिंग के आरोप में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण द्वारा आरोपी ठहराए गए एक रेल कर्मी को हाई कोर्ट ने राहत दी है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने रद्द कर दिया है। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा है। कोरबा- यशवंतपुर एक्सप्रेस के चेन पुलिंग का मामला था।

Bilaspur High Court News: चेन पुलिंग करना अपराध नहीं: हाईकोर्ट ने चेन पुलिंग के एक मामले में कुछ इस तरह सुनाया फैसला
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाई कोर्ट ने एक रेल कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। चेन पुलिंग करने के आरोप में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने रेल कर्मी को दोषी ठहराया था। अधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए रेलवे कर्मचारी आस्टिन हाइड ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें याचिकाकर्ता रेल कर्मी को दोषी ठहराया था। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है, केवल चेन खींचना कोई अपराध नहीं है जब तक कि यह साबित न हो जाए कि यह बिना किसी उचित और पर्याप्त कारण के किया गया था।

हेमूनगर निवासी रेलकर्मी ऑस्टिन हाइड 15 जुलाई 2010 को बिलासपुर स्टेशन पर कोरबा-यशवंतपुर एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 2252 की अलार्म चेन दो बार खींचने का आरोप लगा था। आरोप था कि उन्होंने अपने परिवार की महिला सदस्यों को सामान के साथ ट्रेन में चढ़ाने के लिए ऐसा किया, जिससे ट्रेन के संचालन में देरी हुई। हालांकि घटना के समय हाइड अपनी ड्यूटी पर नहीं थे, बल्कि एक यात्री के रूप में यात्रा कर रहे थे। विभागीय जांच की। जांच में हाइड को दोषी पाया गया। 11 सितंबर 2012 को उन्हें दो साल के लिए निचले वेतनमान पर भेजने की सजा सुनाई गई। हाइड ने इस फैसले के खिलाफ अपील और रिवीजन याचिका लगाई, लेकिन दोनों को खारिज कर दिया गया। इसके बाद केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में आवेदन किया। प्राधिकरण ने भी 20 अक्टूबर 2023 को दिए गए फैसले में फैसले को बरकरार रखा।

दोषपूर्ण और अस्पष्ट आरोप लगाए गए

जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता हाइड की ओर से तर्क दिया गया कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 141 के तहत बिना किसी उचित कारण के चेन खींचना ही अपराध माना जाता है। इस मामले में उस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया था। याचिका के अनुसार उसके खिलाफ आरोप-पत्र अस्पष्ट और दोषपूर्ण था, क्योंकि इसमें यह आरोप नहीं लगाया गया था कि बिना किसी उचित और पर्याप्त कारण के चेन खींची थी।

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोप को अस्पष्ट पाया। आरोप पत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि बिना किसी उचित कारण के चेन खींची गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित न हो जाए कि चेन खींचने का काम बिना किसी उचित कारण के किया गया था, तब तक यह कदाचार या अपराध नहीं है।

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