Bijapur Malaria Outbreak 2025: बीजापुर में मलेरिया और डायरिया का कहर! 30 बिस्तरों वाले अस्पताल में 114 मरीज एडमिट, फर्श पर हो रहा इलाज
Bijapur Malaria Outbreak 2025: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बारिश शुरू होते ही बीमारियों ने पैर पसार दिया है. बारिश के बाद जलभराव, गंदगी और दूषित पानी के सेवन के कारण इन दिनों मलेरिया और उल्टी-दस्त (डायरिया) जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. रोज उल्टी और दस्त के मरीज अस्पताल पहुंचे रहे हैं.

Bijapur Malaria Outbreak 2025
Bijapur Malaria Outbreak 2025: बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बारिश शुरू होते ही बीमारियों ने पैर पसार दिया है. बारिश के बाद जलभराव, गंदगी और दूषित पानी के सेवन के कारण इन दिनों मलेरिया और उल्टी-दस्त (डायरिया) जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. रोज उल्टी और दस्त के मरीज अस्पताल पहुंचे रहे हैं.
बीजापुर में बढ़ी मलेरिया और उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या
दरअसल, बारिश के शुरू होते ही बीजापुर के इलाकों में मलेरिया और उल्टी दस्त से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. अस्पताल में मरीजों की लाइन लगी हुई है. सबसे ज्यादा मरीज बीजापुर जिला मुख्यालय समेत भैरमगढ़ और आवापल्ली से सामने आ रहे हैं. मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि अस्पताल में बैड की कमी पड़ गयी है. मरीजों का इलाज फर्श पर बिस्तर लगाकर इलाज किया जा रहा है.
फर्श पर लिटाकर हो रहा इलाज
जानकारी के मुताबिक़, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) भैरमगढ़ में मलेरिया से पीड़ित 13 छात्रों का फर्श पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है. ये सभी छात्रावास में रहने वाली छात्राएं हैं. बताया जा रहा है वर्तमान में जिले में मलेरिया और उल्टी-दस्त (डायरिया) के करीब 114 एक्टिव मरीज है. जिसके कारण अस्पताल में बैड की कमी पड़ गयी है. ऐसे में मरीजों को अस्पताल के आँगन में लिटाकर इलाज किया जा रहा है.
अस्पताल में केवल 30 बिस्तर
इस सम्बन्ध में ब्लॉक मेडिकल ( BMO) डॉ. रमेश तिग्गा ने बताया कि भैरमगढ़ और भोपालपटनम ब्लॉक में कमोबेस मलेरिया और बुखार क़े पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. भैरमगढ़ का हेल्थ सेंटर में केवल 30 बिस्तर है. लेकिन 100 से ज़्यादा मरीज़ एडमिट हैं. फिर किसी तरह मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
क्यों होता है मलेरिया
मामूली सा लगने वाला "मलेरिया" आर्गन फेल्योर से लेकर मौत तक का कारण बन सकता है. मलेरिया तब फैलता है जब मच्छर पैरासाइट से संक्रमित किसी व्यक्ति को काटने के बाद बीमारी से संक्रमित हो जाता है, और फिर यही मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काट लेता है. तब मलेरिया के पैरासाइट इस व्यक्ति के शरीर में भी पहुंच जाते हैं. इस तरह मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता जाता है. सभी मच्छर मलेरिया के वाहक नहीं होते हैं. मलेरिया का वाहक मच्छर मादा एनाफिलिस होती है जो प्लाज़मोडियम पैरासाइट फैलाती है. एक बार मानव शरीर में घुस जाने के बाद ये पैरासाइट लिवर में पहुंच जाते हैं और वहीं विकसित होते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ पैरासाइट अविकसित अवस्था में ही लिवर में बने रहते हैं और साल भर बाद तक भी धीरे-धीरे विकसित हो शरीर को बीमार करते रहते हैं. वहीं विकसित हो चुके पैरासाइट लिवर से निकलकर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर देते हैं. इसके बाद ही व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण दिखाई देना शुरू होते हैं.
मलेरिया के लक्षण
ठंड लगकर बुखार आना
कंपकंपी लगना
तेज सिरदर्द
पेट में दर्द,उल्टी-दस्त
दवाई से बुखार उतरना,रिपीट होना
मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द
थकान-कमजोरी
असहजता महसूस होना
पसीना आना
खून की कमी होना
हालत बिगड़ने पर मल में खून आना
कोमा में जाना
ब्रेन डैमेज
आर्गन फेल्योर
बचाव के उपाय
अपने घर के आस-पास पानी जमा न होने दें. मादा मच्छर पानी में अंडे देती है.
कूलर, फ्रिज की ट्रे, कबाड़, गमले के नीचे की ट्रे, खुले बर्तनों आदि में पानी न भरा रहने दें.
मॉस्किटो रिपेलेंट का प्रयोग करें.
शरीर पर मच्छरों से बचाने वाली क्रीम लगाएं. इसकी गंध से मच्छर त्वचा पर नहीं बैठते हैं.
मच्छरों से बचाव के लिए पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए.
बच्चों को देर शाम में बाग-बगीचों में खेलने से रोकें, वहां मच्छर ज्यादा होते हैं.
रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें.
घर में और आसपास नीम के पत्ते का धुआं किया जा सकता है.
