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भ्रष्टाचार पर नकेलः छत्तीसगढ़ में घर बैठे जमीनों और संपत्ति की रजिस्ट्री सुशासन की दिशा में बड़ा कदम, भ्रष्ट दलालों को झटका

छत्तीसगढ़ में पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी की कोशिशों से जमीन जायदाद की रजिस्ट्री सिस्टम में सुधार के कई कार्य किए गए हैं। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है।

भ्रष्टाचार पर नकेलः छत्तीसगढ़ में घर बैठे जमीनों और संपत्ति की रजिस्ट्री सुशासन की दिशा में बड़ा कदम, भ्रष्ट दलालों को झटका
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By Sandeep Kumar

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब जमीन और घर खरीदने पर रजिस्ट्री का सदियों पुराना नियम-कायदा पूरी तरह बदल गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने टोकन के स्पेशल स्लॉट में वसूली का सिस्टम खत्म कर दिया है। इससे जमीन की रजिस्ट्री में दलाली करने वालों के हाथ-पांव फूल गए हैं। क्योंकि इस नए नियम से भ्रष्टाचार पर पूरी तरह नकेल कस गया है। पंजीयन मंत्री का दायित्व संभालने ही ओपी चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि पंजीयन विभाग के सालों पुरानी व्यवस्था में बदलाव करके जनता को सुविधाएं दी जाएगी। भ्रष्टाचार पर चोट करते हुए घर बैठे रजिस्ट्री शुरू कर दी गई है। पंजीयन विभाग में 25 हजार रुपए जमा कर घर बैठे रजिस्ट्री कराई जा सकती है। 25 हजार रुपए जमा करने के बाद पंजीयन विभाग के अधिकारी आपके घर आकर रजिस्ट्री कराएंगे।

इसी तरह टोकन के स्पेशल स्लॉट के लिए पंजीयन विभाग ने 15 हजार रुपए रेट तय कर दिया है। पहले बड़े भूमाफिया, बिल्डर या रसूखदार लोग दलालों से संपर्क कर विजिट का केस बना घर बुला रजिस्ट्री करा लेते थे। इसी तरह टोकन का नियम आने के बाद स्पेशल स्लॉट की आड़ में बड़ी वसूल हो रही थी। जिन्हें जल्दी होती थी। मसलन, कोई बाहर से आया है, और उसे फ्लाइट पकड़नी है या फिर कहीं बाहर जाना है तो उसे दलाल रास्ता बताते थे, साहब इतना लगेगा। आप कहों तो रजिस्ट्री अधिकारी से बात करूं। स्पेशल स्लॉट में 25 से 30 हजार तक में सौदा होता था। आदमी के इमरजेंसी के हिसाब से दलाल रेट बढ़ा-घटा देते थे। जिससे करोड़ों का वारा-न्यारा होता था। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के प्रयासों से इस पर पूरी तरह अंकुश लग गया है। विभाग में उपर से नीचे तक व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मंत्री ओपी चौधरी ने 20-20 साल से एक ही जगह पर जमे अधिकारियों, कर्मचारियों को बदल दिया। खासकर, रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग का पूरा स्टाफ बदल गया।

केंद्र सरकार ने भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण प्रयासों को सराहा

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण के लिए किए गए प्रयासों की केंद्र सरकार ने सराहना की है। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल और इसके दूरगामी सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को 225 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की है। छत्तीसगढ़ सरकार को भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया को ऑनलाइन करने और इसे भूमि रिकॉर्ड से जोड़ने के लिए 150 करोड़ रुपये तथा विरासत रजिस्ट्री को डिजिटल कर आम जनता के लिए सर्च सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 75 करोड़ रुपये दिए गए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य में भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण कार्य की सराहना और इसके लिए दी गई प्रोत्साहन राशि हमारे लिए उत्साहवर्धक है। यह राशि हमारे डिजिटलीकरण प्रयासों को और तेज करेगी, जिससे नागरिकों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ सुगमता से प्राप्त हो सकेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के तहत भू-आधार (विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या) जारी करने, कैडेस्ट्रल नक्शों का सर्वेक्षण और डिजिटलीकरण तथा कृषक रजिस्ट्री तैयार करने का कार्य किया जा रहा है। इससे किसानों को बैंकिंग सेवा, ऋण और सरकारी योजनाओं का सहजता से लाभ मिलेगा। शहरी क्षेत्रों में ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने के लिए जीआईएस मैपिंग के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण किया जा रहा है। यह प्रक्रिया शहरी नियोजन में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के साथ ही मास्टर प्लान तैयार करने में सहायता करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण परियोजना छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी नागरिकों को सशक्त बनाने के साथ ही राज्य में विकास कार्यों को नई दिशा प्रदान करेगी। केंद्र सरकार द्वारा मिली यह सराहना राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इस प्रोत्साहन राशि का उपयोग नागरिकों के जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाने में किया जाएगा।

अब गाइडलाइन मूल्य पर ही रजिस्ट्री शुल्क

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पहल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने संपत्ति खरीदने वाले मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत दी है। अब किसी भी प्रापर्टी की खरीद-बिक्री में गाइड लाइन दर से सौदे की रकम अधिक होने पर भी रजिस्ट्री शुल्क गाइड लाइन दर के अनुसार ही लिया जाएगा। इससे बैंक लोन पर निर्भर मध्यम वर्गीय परिवार को वास्तविक मूल्य के आधार पर ऋण मिल सकेगा। उल्लखेनीय है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले से विशेषकर उन नागरिकों को लाभ होगा, जो बैंक ऋण के माध्यम से संपत्ति खरीदते हैं। पूर्व में संपत्ति की खरीद-बिक्री में गाइड लाइन दर और सौदे की राशि में जो भी अधिक होता था, उस पर रजिस्ट्री शुल्क देना आवश्यक था। उदाहरण के लिए यदि किसी संपत्ति का गाइड लाइन मूल्य 10 लाख रुपये है और उसका सौदा 15 लाख में हुआ, तो रजिस्ट्री शुल्क 15 लाख पर 4 प्रतिशत के हिसाब से 60 हजार रुपये देना पड़ता था।

नहीं लगेगा एक्स्ट्रा रजिस्ट्री शुल्क

इस नियम में संशोधन के बाद संपत्ति खरीदने वाले अब सौदे की रकम गाइड लाइन दर से अधिक होने पर भी वास्तविक मूल्य को अंकित कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई रजिस्ट्री शुल्क नहीं देना होगा। 10 लाख रुपये की गाइड लाइन मूल्य वाली प्रॉपर्टी का सौदा 15 लाख में होता है, तो भी रजिस्ट्री शुल्क 10 लाख के 4 प्रतिशत के हिसाब से 40 हजार रुपये देय होगा। इस तरह 20 हजार रुपये की बचत होगी। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि इस संशोधन से मध्यम वर्गीय परिवारों को वास्तविक मूल्य के आधार पर अधिक बैंक ऋण प्राप्त करने में सहूलियत होगी। इसके अलावा यह निर्णय संपत्ति बाजार में पारदर्शिता व स्पष्टता को बढ़ाने में भी सहायक होगा और इससे वास्तविक मूल्य दर्शाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। देश के अन्य राज्यों में जमीन की गाइडलाइन कीमत या सौदा मूल्य दोनों में से जो ज्यादा हो उस पर पंजीयन शुल्क लगता है। केवल मध्य प्रदेश में गाइडलाइन कीमत से अधिक सौदा मूल्य दर्शाने पर उसमें पंजीयन शुल्क में छूट दी गई है। इसके कारण वहां लोगों में वास्तविक सौदा मूल्य को रजिस्ट्री पेपर में लिखने की प्रवृत्ति में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

मध्यमवर्गीय परिवारों को मिलेगा फायदा

वर्तमान में किसी संपत्ति का सौदा मूल्य सामान्यतः गाइडलाइन मूल्य से बहुत ज्यादा होता है। लेकिन लोग गाइडलाइन मूल्य या इसके आसपास का ही सौदा मूल्य अंकित करते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि अगर वास्तविक सौदा राशि अंकित कर देंगे, तो पंजीयन शुल्क गाइडलाइन मूल्य या वास्तविक सौदा राशि दोनों में से जो ज्यादा हो उस पर लगेगा। अधिक पंजीयन शुल्क से बचने के लिए लोग गाइडलाइन कीमत या इसके आसपास पूर्णांकित करते हुए सौदा मूल्य डाल देते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल का सीधा लाभ राज्य के सभी मध्यमवर्गीय परिवारों को मिलेगा क्योंकि अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवार संपत्ति खरीदने के लिए बैंक लोन पर निर्भर रहते हैं। बैंक लोन रजिस्ट्री पेपर में दिखाए गए सौदे के रकम के आधार पर मिलता है, लोग पंजीयन शुल्क से बचने के लिए गाइडलाइन कीमत के बराबर सौदा मूल्य दिखाते हैं। कम सौदा कीमत दिखाएं जाने से बैंक लोन भी कम मिलता है। इस नीति से आमजनों को न्यायिक प्रकरणों में भी संपत्ति का वास्तविक मूल्य प्राप्त होगा। यदि कभी संपत्ति में कुछ धोखाधड़ी पायी गई तो व्यक्ति विक्रेता से वही मुआवजा पाने का हकदार होता है, जो रजिस्ट्री पेपर में लिखा हुआ। संपत्ति का सही मूल्य रजिस्ट्री में अंकित होने से प्रभावित व्यक्ति को उसका सही मुआवजा प्राप्त हो पायेगा।

सुगम ऐप से रुक रही धोखाधड़ी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पहल पर प्रदेश में तकनीकी नवाचारों के निरंतर प्रयास से नागरिकों की सुविधा को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी कड़ी में वित्त एवं पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश में रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी और जनता के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से ’सुगम ऐप’ का शुभारंभ किया गया है। सुगम मोबाइल ऐप के माध्यम से छत्तीसगढ़ के सभी पंजीयन कार्यालयों में पंजीयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा रहा है। इसके लिए एनजीडीआरएस (नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) प्रणाली के अंतर्गत नई सुविधा शुरू की गई है। यह पहल धोखाधड़ी की संभावनाओं को रोकने के लिए उठाई गई है, ताकि संपत्ति के दस्तावेज़ पंजीयन को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाया जा सके। सुगम ऐप का उपयोग संपत्ति के तीन कोणों से फोटो अपलोड करने के लिए किया जाएगा, जिससे संपत्ति की वास्तविक भौतिक स्थिति को चिन्हांकित किया जा सके। ऐप स्वचालित रूप से संपत्ति के अक्षांश और देशांतर को कैप्चर कर एनजीडीआरएस प्रणाली के ऑनलाइन आवेदन में स्टोर कर देता है। इस तकनीक के इस्तेमाल से दस्तावेजों की पारदर्शिता और सुरक्षा में वृद्धि होगी। सुगम ऐप अलग से कोई पंजीयन सॉफ्टवेयर नहीं है, बल्कि यह केवल संपत्ति के फोटो और उसकी अवस्थिति (अक्षांश-देशांतर) को एनजीडीआरएस सॉफ्टवेयर में कैप्चर करने के लिए तैयार किया गया है। दस्तावेज लेखक, अधिवक्ता या पक्षकार इस ऐप का उपयोग करते हुए एनजीडीआरएस प्रणाली के माध्यम से दस्तावेजों का पंजीयन पहले की तरह ही कर सकते हैं।

भू-स्वामियों को मिलेगा भू-आधार कार्ड

छत्तीसगढ़ में राजस्व प्रशासन में नई तकनीकों के माध्यम से नवाचार शुरू किया गया है। इसी तारतम्य में राजस्व प्रशासन को चुस्त-दुरूस्त करने जियो-रिफ्रेसिंग का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस नई तकनीक के लिए राज्य सरकार ने 150 करोड़ रूपए का प्रावधान करने के साथ-साथ राजस्व से जुड़े अमलों की व्यवस्था और उनके प्रशिक्षण की रणनीति बनाई गई है। जियो-रिफ्रेसिंग से भू-स्वामियों को जमीन संबंधी विभिन्न विवादों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ राज्य में किसानों द्वारा लगाई गई फसल का डिजिटल क्रॉप सर्वे होने से ई-गिरदावरी में आसानी होगी। जियो रिफ्रेसिंग के माध्यम से भूमि के नक्शों के लिए खसरा के स्थान पर यू.एल. पिन नंबर दिया जाएगा। इसके साथ ही भूमिधारक को भू-आधार कार्ड भी मिलेगा।

19 जिलों के 10,243 ग्रामों का जियो रिफ्रेसिंग

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में सुशासन के लिए पारदर्शी और बेहतर प्रशासन के लिए शासकीय काम-काज में अधिक से अधिक आईटी का उपयोग करने के निर्देश सभी विभागों को दिए हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने राजस्व अधिकारियों को भूमि के जियो-रिफ्रेसिंग का कार्य तेजी से पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं। जियो रिफ्रेसिंग तकनीक में छोटी से छोटी भूमि का लांगीट्यूड और एटीट्यूड के माध्यम से वास्तविक भूमि का चिन्हांकन करना आसान हो जाएगा। जमीन सीमांकन के दौरान होने वाले विवाद को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के सभी ग्रामों के कैडेस्ट्रल मैप का जियो रिफ्रेसिंग कार्य मार्च 2024 प्रारंभ किया जा चुका है।

राज्य के 33 जिलों के कुल 20,222 ग्रामों में से 19 जिलों के 10,243 ग्रामों का जियो रिफ्रेसिंग कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा शेष ग्रामों का जियो रिफ्रेसिंग कार्य प्रगतिरत है। राज्य में डिजिटल फसल सर्वेक्षण खरीफ वर्ष 2024 का कार्य सितंबर-2024 से प्रारंभ किया गया है। राज्य के 20,222 ग्रामों में से पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में 2700 ग्रामों के कुल 26,05,845 खसरों का डिजिटल फसल सर्वेक्षण का लक्ष्य रखा गया था। निर्धारित लक्ष्य में से 24,22,897 खसरा नंबरों का सर्वे पूर्ण किया जा चुका है एवं 23.96,793 खसरा नंबरों का सत्यापन कार्य किया जा चुका है। इस प्रकार निर्धारित लक्ष्य अनुसार 93 प्रतिशत खरीफ फसल का डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया गया है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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