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बस्तर में नक्सलियों की गोलियों की गड़गड़ाहट की जगह विकास की बह रही पुरवाई, खौफ के सन्नाटे के बाद सामान्य होने लगा अब जनजीवन

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार की कोशिशों से बस्तर के कैनवास पर विकास की नई तस्वीर दिखाई पड़ रही है। आत्मसमर्पित माओवादियों को मिल रहा रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण। कृषि एवं पशुपालन की आधुनिक तकनीकों से बदलेगा जीवन।

बस्तर में नक्सलियों की गोलियों की गड़गड़ाहट की जगह विकास की बह रही पुरवाई, खौफ के सन्नाटे के बाद सामान्य होने लगा अब जनजीवन
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By Sandeep Kumar

रायपुर। राज्य शासन द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापना एवं समावेशी विकास को दृष्टिगत रखते हुए छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की गई है। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने युवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार पुनर्वास और विकास को लेकर पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। आत्मसमर्पण करने वालों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 केवल आत्मसमर्पण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन युवाओं को नवजीवन देने का प्रयास है, जो कभी भटकाव के रास्ते पर चले गए थे। हमारा उद्देश्य है कि वे आत्मनिर्भर बनें, सम्मानजनक जीवन जिएं और समाज के लिए प्रेरणा बनें।

सुकमा जिले में कलेक्टर देवेश कुमार धु्रव के मार्गदर्शन में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) के माध्यम से 20 आत्मसमर्पित युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र, सुकमा में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण तीन माह की अवधि का है जिसमें उन्हें ड्रिप इरिगेशन, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, जैविक खेती, सब्जी उत्पादन, डेयरी, मुर्गी और मत्स्य पालन जैसी आजीविका आधारित तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय साक्षरता तथा लघु उद्यम स्थापित करने की विधियों पर भी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात इन युवाओं को सिलाई तथा मोटर ड्राइविंग जैसे अन्य रोजगारमूलक विषयों में भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। कलेक्टर देवेश कुमार धु्रव ने बताया कि यह केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि मुख्यधारा में लौटे युवाओं के लिए स्थायी आजीविका की दिशा में एक ठोस कदम है। लाइवलीहुड कॉलेज की नोडल अधिकारी सुश्री मधु तेता ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण के बाद इन युवाओं को स्वरोजगार हेतु शासन से आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाएगी। राज्य शासन की यह पहल न केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित कर रही है, बल्कि युवाओं को एक सकारात्मक भविष्य की ओर अग्रसर कर रही है।

सरकारी सेवा में नियुक्ति का प्रावधान

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नक्सल क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इस नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले सक्रिय ईनामी नक्सलियों और उनके परिवारजनों को शिक्षा, रोजगार एवं वित्तीय सहायता जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। यदि किसी आत्मसमर्पित नक्सली ने नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग दिया है और इसके कारण उसकी जान व संपत्ति को खतरा उत्पन्न हुआ है, तो ऐसे प्रकरणों में उसे पुलिस विभाग के आरक्षक या समकक्ष पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। अन्य विभागों में नियुक्ति हेतु जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी। साथ ही, 5 लाख रूपए या उससे अधिक के ईनामी नक्सली के आत्मसमर्पण की स्थिति में, पात्रता रखने पर नक्सली अथवा उसके परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय सेवा में नियुक्ति का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी कारणवश सेवा नहीं दी जा सकती, तो ऐसे आत्मसमर्पित को एकमुश्त 10 लाख की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी। यह राशि 3 वर्षों के अच्छे आचरण के पश्चात एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी।

शिक्षा एवं छात्रवृत्ति की विशेष व्यवस्था

छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी व्यापक प्रावधान किए हैं। बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क एवं प्राथमिकता आधारित शिक्षा शासकीय एवं आवासीय विद्यालयों में दी जाएगी। छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी। यदि आत्मसमर्पित नक्सली या उनके बच्चे निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहें, तो उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीट में प्रवेश एवं अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। इच्छुक आत्मसमर्पित स्वयं भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, जिसके लिए संबंधित विभागों की योजनाओं के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। यह नई नीति राज्य में शांति एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारजनों के भविष्य को भी सुरक्षित किया जा सकेगा।

कभी रहा नक्सलगढ़, अब विकास का नया गढ़

छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सीमावर्ती इलाके जिनकी पहचान कभी नक्सलियों के गढ़ के रूप में हुआ करती थी, अब वह तेजी से विकास के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। बस्तर के कैनवास पर अब एक नई तस्वीर उभर कर सामने आ रही है। यह राज्य के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़-संकल्प के चलते संभव हो पाया है राज्य के घोर नक्सल प्रभावित जिलों में विकास की नई रेखाएं खींच रही हैं। कभी पिछड़ेपन और भय का पर्याय माने जाने बस्तर क्षेत्र में आज विकास की नई इबारतें लिखी जा रही हैं। विष्णु देव सरकार की जनहितैषी नीति, नक्सलवाद उन्मूलन अभियान और समग्र विकास ने इन क्षेत्रों में सकारात्मक और परिणाममूलक परिवर्तन की शुरुआत कर दी है। राज्य के सात घोर नक्सल प्रभावित जिलों में से छह जिले कांकेर, बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर बस्तर संभाग के अंतर्गत आते हैं तथा एक जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी दुर्ग संभाग का हिस्सा है। इन जिलों में पिछले 15 महीनों में नक्सल उन्मूलन अभियान और विकास की रणनीति को समानांतर रूप से लागू करते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के पैर उखाड़ने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।

मुख्यधारा से जुड़े सैकड़ों गांव

मुख्यमंत्री की जनकल्याणकारी नीतियों और योजनाओं की बदौलत अब आमजनता तेजी से विकास मुख्यधारा से जुड़ रही है। शासन-प्रशासन की सक्रियता, जनसंपर्क और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से अब इन क्षेत्रों में विश्वास और उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है। इन जिलों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं बड़ी तेजी से उपलब्ध कराई गई हैं। योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों तक सुनिश्चित पहुंचाने का प्रयास भी लगातार जारी है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनमन, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसी योजनाओं से न केवल इन क्षेत्रों में सरकारी उपस्थिति मजबूत हुई है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी आमजन का सशक्तिकरण हुआ है। मनरेगा के तहत 29,000 नए जॉब कार्ड जारी हुए हैं, जिनमें 5,000 कार्ड ‘‘नियद नेल्ला नार‘‘ योजना में शामिल गांवों में बने हैं।

7 जिलों में एक लाख आवास स्वीकृत

प्रधानमंत्री आवास योजना में सातों जिलों में लगभग एक लाख आवास स्वीकृत हुए हैं, जो लक्ष्य का 107 प्रतिशत है। 15 महीनों में नियद नेल्ला नार के गांवों में 1100 आवास स्वीकृत हुए, जिसमें 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। आयुष्मान कार्ड के लाभार्थियों की संख्या 19.24 लाख से बढ़कर 21.05 लाख हो गई है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से लाभान्वितों की संख्या में 20.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की संख्या 3.61 लाख से अधिक हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल से नक्सल प्रभावित जिलों में 46 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जिनके दायरे में आने वाले 145 गांवों में ‘नियद नेल्ला नार’ योजना चलाई जा रही है। इन गांवों में विशेष शिविर लगाकर लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है।

नियद नेल्ला नार योजना के 124 गांव सड़क मार्ग से जुड़ चुके हैं, शेष 31 पर कार्य प्रगति पर है। 145 गांवों में मार्च 2024 तक 122 स्कूल क्रियाशील थे, जो अब बढ़कर 144 हो गए हैं। विद्यार्थियों की संख्या में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है। क्रियाशील आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 193 से बढ़कर 202 हो गई है, और पंजीकृत बच्चों की संख्या में 30 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है। विशेष केंद्रीय सहायता योजना के अंतर्गत बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में 1302 कार्य योजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 308 कार्य पूर्ण हो चुके हैं और 999 कार्य प्रगति पर हैं।

छत्तीसगढ़ के भविष्य को सुरक्षित करने का मिशनः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में प्रदेश को नक्सलमुक्त बनाने के संकल्प के साथ दृढ़ता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का समूल उन्मूलन करना हमारा लक्ष्य है और इस दिशा में हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सुरक्षा बलों के अधिकारियों और जवानों के अदम्य साहस, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि उनकी बहादुरी के कारण आज प्रदेश के कई क्षेत्र नक्सल प्रभाव से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने सुरक्षा बलों के मनोबल को और ऊंचा बनाए रखने के लिए उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि अंतिम सफलता अब बहुत निकट है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से यह निर्देश दिया कि नक्सल विरोधी अभियानों में आपसी समन्वय और सूचना संकलन तंत्र को मजबूत किया करते हुए प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने कहा कि नक्सल उन्मूलन केवल एक अभियान नहीं, बल्कि बस्तर और छत्तीसगढ़ के भविष्य को सुरक्षित करने का मिशन है, जिसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता स्वीकार्य नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में सुरक्षा और विकास दोनों को साथ लेकर चलना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्थानीय समुदायों का विश्वास जीतने के लिए संवाद बढ़ाया जाए और क्षेत्र में विकास कार्यों को तेज गति से पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ अब निर्णायक मोड़ पर है। उन्होंने सभी अधिकारियों से आह्वान किया कि वे पूरी निष्ठा, सजगता और प्रतिबद्धता के साथ इस ऐतिहासिक लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका निभाएँ। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त और विकासोन्मुख प्रदेश के रूप में पूरे देश में एक नई पहचान मिलेगी।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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