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Bastar Loksabha Chunav: 5 निर्दलियों को संसद में पहुंचाने वाली बस्तर देश की इकलौती लोकसभा सीट! सर्वाधिक मतों से जीत कर रिकार्ड भी बस्तर से, पढ़िये NPG की स्पेशल रिपोर्ट

Bastar Loksabha Chunav: ये ठीक है कि बस्तर देश का सर्वाधिक नक्सल हिंसाग्रस्त इलाका है। मगर इससे अलग बस्तर की कई और सामाजिक, सांस्कृतिक और सियासी पहचान है। आदिवासी इलाका होने के बाद भी वहां के वोटर अपने अधिकारों को लेकर कहीं अधिक सर्तक होते हैं। नोटा के सबसे अधिक वोट बस्तर में मिलते हैं। बस्तर के वोट जिस किसी भी पार्टी को पड़ते हैं, एकतरफा मिलते हैं। बस्तर के मतदाता अभी तक पांच बार निर्दलियों को जीता कर लोकसभा में भेज चुके हैं।

Bastar Loksabha Chunav: 5 निर्दलियों को संसद में पहुंचाने वाली बस्तर देश की इकलौती लोकसभा सीट! सर्वाधिक मतों से जीत कर रिकार्ड भी बस्तर से, पढ़िये NPG की स्पेशल रिपोर्ट
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By Sandeep Kumar

अनिल तिवारी@npg.news

Bastar Loksabha Chunav: बस्तर, रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान बस्तर लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को होगा। बस्तर का सियासी इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि इस सीट पर कभी निर्दलीय, तो कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी का दबदबा रहा। करीब दो दशक तक तो बस्तर पर एक ही परिवार का कब्जा रहा। निर्दलीय, भाजपा, कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय दलों के नेताओं को भी अपना भाग्यविधाता चुनने वाले बस्तर का राजनीतिक इतिहास क्या फिर से पलटेगा? या यहां के वोटर फिर से कोई नया इतिहास लिखने के लिए तैयार हैं? क्या भाजपा अपनी पुरानी बादशाहत को वापस बरकरार रखने के लिए कांग्रेस से ये सीट छीन लेगी या फिर कांग्रेस इसे अपना गढ़ बनाने की परिपाटी तैयार कर रहा है?

देश की आजादी के बाद पहला चुनाव 1952 में हुआ। तभी से अस्तित्व में आई बस्तर की लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है। बस्तर लोकसभा सीट में अब तक 18 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इस सीट को कांग्रेस अपना गढ़ बताती है। क्योंकि 1952 से लेकर 1998 तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी की ही जीत होती रही। पहले लोकसभा चुनाव से लेकर वर्ष 1996 तक यह कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही। लेकिन वर्ष 1996 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी को यहां के लोगों ने चुना। फिर 1998 से लगातार पांच बार ये सीट भाजपा के पास रही। दो दशक तक कश्यप परिवार के सदस्य यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे। बलिराम कश्यप यहां से लगातार 1998 से 2009 तक 4 बार सांसद रहे। वहीं, 2011 और 2014 में बीजेपी के दिनेश कश्यप यहां से सांसद बने। मतलब पिछले डेढ़ दशक तक इस सीट पर कश्यप परिवार का दबदबा रहा है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जब पूरा देश मोदी लहर पर सवार था कांग्रेस के दीपक बैज ने यहां जीत दर्ज की थी।

1952 से अब तक बस्तर में 18 सांसद

पहले चुनाव में हारी थी कांग्रेस

वर्ष

1952

1957

1962

1967

1971

1977

1980

1984

1989

1991

1996

1998

1999

2004

2009

2011

2014

2019


लोकसभा सदस्य

मुचाकी कोसा

सुरति किस्तैया

लखमू भवानी

झाड़ू राम सुंदर लाल

लम्बोदर बलियार

दृगपाल शाह

लक्ष्मण कर्मा

मनकू राम सोढ़ी

मनकू राम सोढ़ी

मनकू राम सोढ़ी

महेंद्र कर्मा

बलिराम कश्यप

बलिराम कश्यप

बलिराम कश्यप

बलिराम कश्यप

दिनेश कश्यप

दिनेश कश्यप

दीपक बैज

राजनीतिक दल

निर्दलीय

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

निर्दलीय

निर्दलीय

निर्दलीय

जनता पार्टी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

निर्दलीय

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस


अविभाजित मध्यप्रदेश में रही बस्तर लोकसभा में पहला चुनाव 1952 में हुआ। देश के पहले चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने कांग्रेस उम्मीदवार सुरती किसतिया को हराया। मुचाकी कोसा ने कुल 1 लाख 77 हजार 588 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सुरती को 36 हजार 257 वोट ही मिले। 1957 में जब बस्तर में दूसरी बार चुनाव हुए, तो कांग्रेस ने सुरती किसतिया को टिकट दी। जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार बोदा दादा को हराया। सुरती को कुल 1 लाख 40 हजार 961 वोट मिले, जबकि बोदा को 41 हजार 684 वोट ही मिले।

बस्तर में पांच निर्दलीय बने थे बाजीगर

1952 से लेकर अब तक बस्तर लोकसभा सीट पर पांच निर्दलीय सांसद बन चुके हैं। यानी पांच बार ऐसा हुआ है, जब बस्तर की जनता ने भाजपा, कांग्रेस, जनसंघ, सीपीआई से अलग निर्दलीय को अपना भाग्यविधाता चुना है। पहला चुनाव ही निर्दलीय मुचाकी कोसा ने साल 1952 में जीता। इसके बाद 1962 में लखमू भवानी, 1967 में झाड़ूराम सुंदर लाल, 1971 में लम्बोदर बलियार और 1996 में महेंद्र कर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में यहां जीते। इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा ऐसा चुनाव रहा, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे।

चार चुनाव हारने के बाद 1080 में जीती कांग्रेस

कांग्रेस जैसी किसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए जब वो सीट बनने के बाद दूसरा ही चुनाव जीत चुकी हो, चार बार लगातार एक ही लोकसभा सीट से चुनाव हारना झटके से कम नहीं था। लेकिन रणनीति बदलकर 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लक्ष्मण कर्मा को नए उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतारा। उन्होंने जनता पार्टी के समारु राम परगनिया को हराकर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। कांग्रेस ने इसके बाद अगले तीन लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीता। 1984 से लेकर 1996 तक के तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मनकूराम सोढ़ी यहां से से प्रत्याशी बने और तीनों ही बार यहां से जीत दर्ज की। 1984 में सीपीआई नेता महेंद्र कर्मा, 1989 में बीजेपी के संपत भंडारी और 1991 में बीजेपी उम्मीदवार राजाराम तोडेम को मनकूराम सोढ़ी ने हराया।

जब कांग्रेस से छीनकर बीजेपी ने बनाया अपना गढ़

1977 में जनता पार्टी के दृगपाल शाह बस्तर लोकसभा से सांसद रहे। लेकिन भाजपा की पहली बार एंट्री सही तरीके से 1998 में रहुई। जब पार्टी ने अपनी पहली जीत हासिल की। पार्टी ने बलिराम कश्यप पर दांव लगाया और फिर वे बस्तर के सबसे बड़े बाजीगर बन गए। बस्तर में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा रहे बलिराम कश्यप और उनके बेटे दिनेश कश्यप ने लगातार 1998, 1999, 2004, 2011 का उपचुनाव और 2014 में जीत दर्ज की। लेकिन 2019 के चुनावों में बस्तर सीट पर भाजपा का लंबे समय से चला आ रहा कब्ज़ा ख़त्म हो गया। कांग्रेस के दीपक बैज ने भाजपा के बैदुराम कश्यप पर 38,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल कर कांग्रेस का सूखा खत्म किया।

ऐसा था 2019 का नतीजा

कभी कांग्रेस, कभी भाजपा का गढ़ रही बस्तर लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दीपक बैज ने भारतीय जनता पार्टी के बैदूराम कश्यप को हराया था। भारतीय जनता पार्टी के बैदूराम कश्यप को 38,982 हजार वोटों से हराया था। दीपक बैज को 402,527 लाख यानी 44 फीसदी वोट मिले थे जबकि बैदूराम कश्यप को 363,545 (40 फीसदी) लाख वोट मिले थे। वहीं, तीसरे नंबर पर सीपीआई के रामू राम रहे थे। उन्हें 38,395 हजार वोट मिले थे। कुल मिलाकर पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला रहा है।

2019 का नतीजा

दल

कांग्रेस

बीजेपी

नोटा

भाकपा

बसपा

उम्मीदवार

दीपक बैज

बैदूराम कश्यप

इनमे से कोई भी नहीं

रामू राम मौर्य

आयतू राम मंडावी

वोट

402,527

3,63,545

41,667

38,3954

30,449


वोट प्रतिशत

44.10

39.83

4.56

21

3.34

इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में भारी आंकड़े

बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 13 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। 7 लाख 15 हजार 672 पुरुष मतदाता तो वहीं, 6 लाख 63 हजार 509 महिला वोटर्स हैं। बस्तर लोकसभा क्षेत्र कुल आठ विधानसभाओं से मिलकर बना हुआ है। इन विधानसभाओं में कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, चित्रकोट, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोटा क्षेत्र आते हैं। चार महीने पहले कांग्रेस ने छह विधानसभा सीटों पर और कांग्रेस ने दो विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। विधानसभा चुनाव में 10 लाख 35 हजार 585 वोटर्स ने मतदान किया था। इनमें से 4 लाख 87 हजार 399 ने बीजेपी और 4 लाख 5 हजार 753 वोटर्स ने कांग्रेस को वोट दिया था।

बस्तर के 8 विधानसभा में ये हैं विधायक

नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। ये सीटें हैं- कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा। इनमें चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले विधायक ये हैं.

विधानसभा चुनाव 2023

विधानसभा क्षेत्र

कोंडागांव (एसटी)

नारायणपुर (एसटी)

बस्तर (एसटी)

जगदलपुर (सामान्य)

चित्रकोट (एसटी)

दंतेवाड़ा (एसटी)

बीजापुर (एसटी)

कोंटा (ST)

मौजूदा विधायक

लता उसेंडी (बीजेपी)

केदार नाथ कश्यप (बीजेपी)

लखेश्वर बघेल (कांग्रेस)

किरण सिंह देव (बीजेपी)

विनायक गोयल (बीजेपी)

चैतराम अटामी (बीजेपी)

विक्रम मंडावी (कांग्रेस)

कवासी लखमा (कांग्रेस)


Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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