Bastar Flood : क्योंकि पढ़ना भी तो जरूरी है...जोखिमों भरा स्कूल का सफर, सीढ़ी और केबल तार से स्कूल पहुँच रहे बच्चे
Bastar Flood : बच्चे सीढ़ी या लकड़ी और केबल तार की मदद से पुल चढ़ और उतर रहे हैं और जोखिम भरा स्कूली सफर तय कर रहे हैं.

Bastar Flood : बस्तर में जल प्रलय ने जैसे सब कुछ ख़त्म कर दिया है. कई गांवों से संपर्क टूटने के साथ ही कई घर जमींदोज हो गए हैं. वहीँ कई गांवों की सड़कें और पूल भी पूरी तरह ख़त्म हो गई है. पूरे बस्तर संभाग में 25 और 26 अगस्त को बारिश ने रौद्र रूप ले लिया. जिससे पूरे संभाग के अधिकांश जिलों में भयंकर बाढ़ आई. लेकिन इन सबके बीच अबूझमाड़ के बच्चे अपने पढ़ाई पर असर नहीं पड़ने दे रहे हैं, क्योंकि अगर सरकार सुदूर नक्सली इलाके में भी शिक्षा का अलख जगा रही है, तो वे भी उसका भरपूर सदुपयोग करना चाह रहे हैं. साथ ही समाज में कदम से कदम मिलाना चाहते हैं.
आलम यह है की बड़ों से लेकर बच्चों तक को जोखिमों भरा रास्ता नापना पड़ रहा है. कई पुल-पुलिए पानी में बह गए. इसका असर अब आम जनजीवन के साथ बच्चों की पढा़ई पर भी पड़ रहा है. बच्चे सीढ़ी या लकड़ी और केबल तार की मदद से पुल चढ़ और उतर रहे हैं और जोखिम भरा स्कूली सफर तय कर रहे हैं.
इस जल के जलजले में बस्तर के बीजापुर के माडर नाला पर बना वर्षों पुराना पुल का आधा हिस्सा बह गया. यहां रेका गांव से स्कूली बच्चे 2KM दूर रेकावाया स्थित प्राइमरी स्कूल में पढ़ने जाते हैं. स्कूल आने जाने के बीच यह माडर नाला पड़ता है. पुलिया टूटने पर गांव वालों ने जुगाड़ जमाते हुए बल्लियों के साथ केबल तार को खींच रखा है. इन्हीं के सहारे बड़े ही नहीं बच्चे भी चढ़ और उतर रहे हैं. यह जोखिम भरा है, बावजूद बच्चे स्कूल ऐसे ही जोखिम उठाकर जा रहे हैं.
