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Bastar Dussehra 2025: बस्तर दशहरा 2025: फूल रथ परिक्रमा की रस्म में हुई देरी, ग्रामिणों और प्रशासनिक अधिकारियों में हुआ विवाद, 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरु करने की मांग

Phool Rath Parikrama Rasm: जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व जारी है। बस्तर दशहरे में 14 से ज्यादा रस्म निभाई जाती है। इसी कड़ी में बुधवार को फूल रथ परिक्रमा की रस्म निभाई गई। लेकिन पहली बार यह रस्म 4 घंटे की देरी से निभाई गई, जिसकी वजह 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरु करने की थी। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला।

Bastar Dussehra 2025: बस्तर दशहरा 2025: फूल रथ परिक्रमा की रस्म में हुई देरी, ग्रामिणों और प्रशासनिक अधिकारियों में हुआ विवाद, 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरु करने की मांग
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Bastar Dussehra 2025

By Chitrsen Sahu

Phool Rath Parikrama Rasm: जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व जारी है। बस्तर दशहरे में 14 से ज्यादा रस्म निभाई जाती है। इसी कड़ी में बुधवार को फूल रथ परिक्रमा की रस्म निभाई गई। लेकिन पहली बार यह रस्म 4 घंटे की देरी से निभाई गई, जिसकी वजह 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरु करने की थी। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला।

राज परिवार के सदस्य को रथारूढ़ करने की मांग

फूल रथ परिक्रमा बस्तर दशहरा की सालों पुरानी परंपरा में से एक है। यह परंपरा बुधवार को निभाई गई। लेकिन पहली बार यह परंपरा 4 घंटे की देरी से निभाई गई। इसके पीछे की वजह 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरु करने की थी। दरअसल, बस्तर में जिस रथ की परिक्रमा कराई जाती थी, उसमें राजा प्रवीरचंद भंजदेव और रानी बैठते थे। 1966 में राजा की मृत्यु और देश में राजशाही प्रथा खत्म होने के बाद इस परंपरा को बंद कर दिया गया था।

ग्रामिणों और प्रशासनिक अधिकारियों में हुआ विवाद

ऐसे में बुधवार शाम को फूल रथ परिक्रमा की रस्म निभाई जानी थी। लेकिन रथ खिंचने से पहले ग्रामिणों और प्रशासन के बीच जमकर विवाद हुआ। ग्रामिणों की मांग थी कि राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और उनकी पत्नी को मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ रथ पर बिठाया जाए। इधर प्रशासन ने इसे शासन स्तर का मामला बता दिया।

तहसीलदार ने बताया साशन स्तर का मामला

राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव की समझाइश के बाद बुधवार रात 11 बजे रथ की परिक्रमा कराई गई। कमलचंद भंजदेव ने कहा कि माई के सम्मान में कोई कमी नहीं आनी चाहिए, इलसिए आप रथ की परिक्रमा कराइए। इसके बाद ग्रामिणों ने प्रशासन को चेताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में अगर रथारूढ़ नहीं होते हैं तो रथ को नहीं खींचा जाएगा। वहीं इस मामले में तहसीलदार का कहना है कि यह साशन स्तर का मामला है। हमने मामला आगे भेज दिया है। वहीं से निर्णय लिया जाएगा।

विश्व भर में प्रसिद्ध है बस्तर दशहरा

बता दें कि छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा देश ही नहींं बल्कि पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। बस्तर दशहरा पूरे 75 दिन चलता है। इस दौरान 14 से ज्यादा रस्मे निभाई जाती है। बस्तर में मनाए जाने वाला दशहरा बुराई पर अच्छाई का प्रतिक नहीं, बल्कि यह आराध्य देवी दंतेश्वरी के प्रति श्रद्धा और शक्ति की उपासना का पर्व है।

बस्तर दशहरे में नहीं होता रावण काे पुतले का दहण

बस्तर दशहरे की शुरुआत भाद्रपद की हरेली अमावस्या से होती है और आश्विन मास की तुतिया या फिर देवी कि विदाई के बाद इसका समापन होता है। बस्तर दशहरे में रावण काे पुतले का दहण नहीं किया जाता, बल्कि बस्तर की आराध्यदेवी दंतेश्वरी के क्षत्र को रथारूढ़ करके विशालकाय रथ में पूरे शहर में घुमाया जाता है।

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