Begin typing your search above and press return to search.

बलौदाबाजार: 12 अक्टूबर को गुरुदर्शन मेला, जानिए तेलासी बाड़ा का ऐतिहासिक महत्व, गुरू घासीदास के बारे में भी जानें खास बातें

बलौदाबाजार जिले में 12 अक्टूबर को गुरुदर्शन मेला आयोजित होने वाला है। आज 9 अक्टूबर को कलेक्टर दीपक सोनी और एसपी विजय अग्रवाल ने पलारी विकासखंड के ग्राम तेलासी में पहुंचकर गुरुदर्शन मेले के लिए की जा रही प्रशासनिक तैयारियों का जायजा लिया।

बलौदाबाजार: 12 अक्टूबर को गुरुदर्शन मेला, जानिए तेलासी बाड़ा का ऐतिहासिक महत्व, गुरू घासीदास के बारे में भी जानें खास बातें
X
By Pragya Prasad

बलौदाबाजार। जिले के पलारी विकासखंड के तेलासी गांव में गुरुदर्शन मेला आयोजित होने वाला है। आज 9 अक्टूबर को कलेक्टर दीपक सोनी और एसपी विजय अग्रवाल ने ग्राम तेलासी में पहुंचकर गुरूदर्शन मेले के लिए की जा रही प्रशासनिक तैयारियों का जायजा लिया। तेलासी गांव में तेलासीबाड़ा है, जहां मेला आयोजित होने वाला है।

तेलासीबाड़ा बाबा गुरू घासीदास की कर्मभूमि

तेलासीबाड़ा बाबा गुरू घासीदास की कर्मभूमि है। यहां आयोजित होने वाले मेले में भारी संख्या में प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु जुटते हैं। कलेक्टर-एसपी ने विभिन्न स्थलों को दौरा करके बारीकी से व्यवस्था का जायजा लिया और जरूरी निर्देश अधिकारियों-कर्मचारियों को दिए।


तेलासीबाड़ा का ऐतिहासिक महत्व

जिला मुख्यालय बलौदाबाजार से लगभग 40 किलोमीटर दूर भैंसा से आरंग मार्ग पर ग्राम तेलासी स्थित है। यहां पर बाबा गुरू घासीदास की कर्मभूमि और सतनामी पंथ के संत अमर दास की तपोभूमि है, जिसे स्थानीय लोग तेलासी बाड़ा भी कहते हैं। सतनाम पंथ के लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

गुरू घासीदास के दूसरे बेटे बालक दास ने बनाया था तेलासी बाड़ा

1840 के लगभग तेलासी बाड़ा को गुरू घासीदास के दूसरे बेटे बालक दास ने बनाया था। गुरु बालक दास आजीवन तेलासी बाड़ा में ही रहे। गुरू बालक दास की मौत के बाद साल 1911 में तेलासी के साथ 273 एकड़ जमीन गिरवी पर काबिज कर ली गई थी। इस मामले में समाज के सर्वोच्च गुरु असकरणदास और राजमहंत नैन दास कुर्रे के नेतृत्व में 103 लोग जेल गए थे। 27 अप्रैल 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने जमीन समाज को देने का निर्णय लिया था। आज भी यह ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मौजूद है।


गुरू घासीदास के बारे में खास बातें

गुरू घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को ग्राम गिरौदपुरी तहसील बलौदाबाजार जिला रायपुर में (वर्तमान में बलौदाबाजार अलग जिला है) हुआ था। अभी वर्तमान में गिरौदपुरी बलौदाबाजार जिले के कसडोल तहसील के अंतर्गत आता है। उनके पिता का नाम महंगुदास और मां का नाम अमरौतिन था।

भीषण अकाल के समय गए ओडिशा के कटक

उनकी शादी सफुरा बाई से हुई थी, जिनसे उनके 5 बच्चे हुए। एक बार क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा और रोजी-रोटी की तलाश में वे परिवार के साथ ओडिशा के कटक चले गए। यहां उनकी मुलाकात बाबा जगजीवन दास से हुई, उनसे सतनाम की शिक्षा ग्रहण कर वे वापस छत्तीसगढ़ लौटे और सोनाखान के जंगलों में जोंक नदी के किनारे तप करने लगे। इसके बाद समाज कल्याण और सतनाम के प्रचार में अपना पूरा जीवन लगा दिया।

महिलाओं और हरिजनों के सामाजिक उत्थान के लिए किए कई काम

छत्तीसगढ़ में गुरू घासीदास ने हरिजनों के सामाजिक उत्थान के लिए कई काम किए। उन्हें सतनाम का मार्ग दिखाया। उन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने की दिशा में भी कई काम किए। उस समय में हरिजन ऊंची जाति के लोगों की अनुमति के बिना पूजा-पाठ नहीं कर सकते थे। गुरु घासीदास ने हरिजनों को संगठित कर यह बताया कि ईश्वर पर विश्वास और अच्छे कर्म ही उन तक पहुंचने का सर्वोत्तम रास्ता है। इस के लिए किसी धार्मिक क्रिया कलाप या पूजा-अनुष्ठान जरूरी नहीं हैं।

गुरू घासीदास की याद में बनी कुतुब मीनार से भी ऊंची इमारत

गुरू घासीदास की याद में उनके जन्म स्थान गिरौदपुरी में कुतुब मीनार से भी ऊंचे जैतखाम का निर्माण करवाया गया है। करीब 52 करोड़ की लागत से बने इस जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 5 मीटर अधिक है। गुरू घासीदास के योगदान को देखते हुए 1983 में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने बिलासपुर में गुरू घासीदास विश्वविद्यालय की स्थापना की। जनवरी 2009 में इस विश्व विद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

कलेक्टर-एसपी ने लिया मेले की तैयारियों का जायजा

आज 9 अक्टूबर को कलेक्टर और एसपी गांव पहुंचे और मंदिर परिसर, बाड़ा, जैतखाम, पार्किंग एरिया, सुरक्षा, लाइटिंग, हाईमास्क, पेयजल की व्यवस्था का निरीक्षण किया और पुराने अनुभवों के आधार पर इससे और अच्छी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही विभिन्न विषयों पर मेला प्रबंधन से जुड़े लोगों से भी विचार-विमर्श किया। इसके अलावा वीवीआईपी मूवमेंट को देखते हुए हेलीपैड तैयार करने के लिए कहा गया है।

सफाई की व्यवस्था को पहले बेहतर करने के निर्देश सीएमओ पलारी और जनपद पंचायत सीईओ पलारी को दिए गए हैं। इस अवसर पर मेला समिति से जुड़े सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि, जिला पंचायत सीईओ दिव्या अग्रवाल, एसडीएम सीमा ठाकुर मौजूद रहे।

Pragya Prasad

पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव। दूरदर्शन मध्यप्रदेश, ईटीवी न्यूज चैनल, जी 24 घंटे छत्तीसगढ़, आईबीसी 24, न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम, ईटीवी भारत, दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद अब नया सफर NPG के साथ।

Read MoreRead Less

Next Story