Baloda bazar: बारनवापारा अभयारण्य में 21 से 23 अक्टूबर तक बटरफ्लाई मीट, आम लोग भी जान सकेंगे तितलियों का संसार
बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में 21 से 23 अक्टूबर तक बटरफ्लाई मीट का आयोजन किया जाएगा। इसका मकसद बारनवापारा अभयारण्य के विभिन्न आवासों में तितलियों की विविधता का पता लगाना है।
बलौदाबाजार। जिले के बारनवापारा अभयारण्य में 21 से 23 अक्टूबर तक बटरफ्लाई मीट का आयोजन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ वन विभाग की ओर से यहां तीसरी बार बटरफ्लाई मीट हो रही है। बटरफ्लाई मीट का मकसद बारनवापारा अभयारण्य के विभिन्न आवासों में तितलियों की विविधता का पता लगाना है। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ ही आगे के अध्ययनों के लिए प्रमुख हॉट स्पॉट स्थापित करने में मदद मिलेगी।
बटरफ्लाई मीट के जरिए आम लोग भी विभिन्न प्रजातियों की तितलियों को देख सकेंगे। इससे उन्हें तितलियों को करीब से जानने-पहचानने का मौका मिलेगा। एक्सपर्ट्स लोगों को तितलियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे।
क्यूआर कोड के जरिए भी रजिस्ट्रेशन, आखिरी तारीख 18 अक्टूबर
बटरफ्लाई मीट के लिए 18 अक्टूबर 2024 तक आवेदन किया जा सकता है। इसमें शामिल होने के लिए प्रतिभागी वन विभाग द्वारा जारी क्यूआर कोड को स्कैन कर भी डिटेल जानकारी ले सकते हैं। क्यू आर कोड के जरिए भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। वन विभाग और अभयारण्य प्रबंधन ने बटरफ्लाई मीट की तैयारी पूरी कर ली है।
रजिस्ट्रेशन फीस 1500 से लेकर 2000 रुपए
रजिस्ट्रेशन फीस स्टूडेंट्स के लिए 1500 और दूसरे लोगों के लिए 2000 रुपए रखा गया है। इसके साथ ही भाग लेने के लिए 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु तय की गई है।
जरूरी योग्याताएं
सभी प्रतिभागियों को रोजाना 10 से 15 किलोमीटर चलने में सक्षम होना अनिवार्य है। उन्हें तितलियों की प्रजाति का बुनियादी ज्ञान होना जरूरी है। प्रतिभागियों का चयन बारनवापारा अभयारण्य बटरफ्लाई मीट 2024 टीम करेगी। इस टीम का निर्णय अंतिम और मान्य होगा। सभी प्रतिभागियों को वन विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देश का पालन करना होगा।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य के बारे में जानें
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित है। यह अभयारण्य 244.66 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह छत्तीसगढ़ के आकर्षक और मनमोहक वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यहां 150 प्रजाति की तितलियां और मोथ पाई जाती हैं।
अभयारण्य के घने जंगलों को चाय, साल और मिश्रित वनों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये अभयारण्य भारतीय बाइसन (गौर) चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर के लिए प्रसिद्ध है। बारनवापारा में 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षी हैं।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य का नाम बार और नवापारा वन गांवों के नाम पर रखा गया है, जो इसके केंद्र में हैं। यह रायपुर जिले के उत्तर-पूर्वी कोने में कई कम और ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ एक ऊबड़-खाबड़ इलाका है। महानदी की सहायक नदियों से पानी की आपूर्ति होती है। बालमदेही नदी पश्चिमी सीमा बनाती है और जोंक नदी अभ्यारण्य की उत्तर-पूर्वी सीमा बनाती है।