Begin typing your search above and press return to search.

CG Vidhansabha Mansoon session: घोटाले पर हंगामा: कल विधानसभा में गूंजेगा 1131 करोड़ का अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा घोटाला

CG Vidhansabha Mansoon session: सोमवार से छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है। 1131 करोड़ के अरपा भैंसाझार परियोजना में घोटाले का मामला गूंजेगा। नहर निर्माण में राजस्व अफसरों व जल संसाधन विभाग के अधकारियों ने मिलकर लोरमी के एक व्यापारी को फायदा पहुंचाने के लिए नहर का एलाइमेंट ही बदल दिया है।

CG Vidhansabha Mansoon session: घोटाले पर हंगामा: कल विधानसभा में गूंजेगा 1131 करोड़ का अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा घोटाला
X
By Ragib Asim

CG Vidhansabha Mansoon session: सोमवार से छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है। 1131 करोड़ के अरपा भैंसाझार परियोजना में घोटाले का मामला गूंजेगा। नहर निर्माण में राजस्व अफसरों व जल संसाधन विभाग के अधकारियों ने मिलकर लोरमी के एक व्यापारी को फायदा पहुंचाने के लिए नहर का एलाइमेंट ही बदल दिया है। 200 मीटर दायरे को बढ़ाकर 12 करोड़ का फायदा उन लोगों को पहुंचाया है जिसकी जमीन नहर निर्माण के दायरे में ही नहीं है। फर्जीवाड़े ही हद ये कि जिन किसानों की जमीनों पर नहर का निर्माण हो गया है उनको अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

बिलासपुर। अरपा भैंसाझार नहर निर्माण परियोजना में घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार ने मामला EOW को सौंप दिया है। घोटाले में अब तक राजस्व विभाग के दो पटवारियों और एक राज्य सेवा संवर्ग के अधिकारी के खिलाफ राज्य शासन ने कार्रवाई की है। एक पटवारी को बर्खास्त कर दिया है। एसडीएम आनंदरुप तिवारी व एक पटवारी को राज्य शासन ने निलंबित किया है। सोमवार से छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो रहा है। मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में अरपा भैंसाझार घोटाले की गूंज होगी। विधायकों ने इसे लेकर सवाल दागा है।

1131 करोड़ की अरपा-भैंसाझार नहर परियोजना में 48 गुना रेट से मुआवजा देने का मामला छत्तीसगढ़ के सबसे तेज और भरोसेमंद न्यूज वेबसाइट एनपीजी न्यूज ने लगातार उठाया। पिछले महीने भर में एनपीजी ने विभिन्न एंगल से सात खबरें प्रकाशित की। इसका असर हुआ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसकी ईओडब्लू से जांच कराने का आदेश दिया है। सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में उन्होंने इसके निर्देश दिए। कलेक्टर की जांच में इस केस में दो एसडीएम समेत राजस्व विभाग के छह कर्मचारी और सिंचाई विभाग के पांच इंजीनियर दोषी पाए गए हैं। जाहिर है, नहर निर्माण में एसडीएम और सिंचाई अधिकारियों ने ऐसा गड़बड़झाला किया कि जिन किसानों की जमीनें नहर में गई, वे भटक रहे हैं और उनका मुआवजा फर्जी तौर पर व्यापारी तथा बिल्डर को खड़ा कर दे दिया गया।

अरपा-भैंसाझार नहर परियोजना में करीब 400 करोड़ का खेला राजस्व और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने मिलकर कर दिया। मुआवजा वितरण में अपने लोगों को फायदा पहुंचाने कागजों में नहर का डिजाइन बदल दिया दिया गया कि उनकी जमीन नहर में आ रही और करोड़ों रुपए के मुआवजे की बंदरबांट कर दी गई। एनपीजी न्यूज के लगातार कवरेज करने पर सरकार ने इसे संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री ने ईओडब्लू से इसकी जांच कराने का आदेश दिया है।

कोविड महामारी के समय लोगों के बदहवासी का फायदा उठाते हुए बिलासपुर के कोटा एसडीएम और पटवारी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों का हकों पर डाका डाल दिया। अफसरों ने किसानों की जगह एक व्यापारी को कागजों में भूस्वामी बनाकर 48 गुना अधिक रेट से 3.42 करोड़ रुपए मुआवजा दे दिया। जिन किसानों की जमीन पर नहर बनी, वे मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।

बिलासपुर जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है, अरपा-भैंसाझार नहर के मुआवजे में 30 करोड़ से उपर का इसी तरह का खेल हुआ। भंडा तब फूटा जब एक भूस्वामी की जमीन पर खुदाई के लिए जेसीबी पहुंच गई। वो भागते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा कि मुझे न मुआवजा मिला और न ही मुझे जमीन अधिग्रहण के बारे में कुछ बताया गया। इस पर कोहराम मचा। चूकि मामला कागजों में अपराधिक कृत्य का था, इसलिए बचाना संभव नहीं था। लिहाजा, जिला स्तर पर इसकी जांच कराई गई। जांच में कोटा के एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी समेत राजस्व विभाग के छह और सिंचाई विभाग के पांच अधिकारी दोषी पाए गए।

एसडीएम, पटवारी का कमाल

अरपा भैंसाझार नहर निर्माण में गजब का घोटाला हुआ है। घोटाला करने वाले तत्कालीन कोटा एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी ने कागज में नहर बना दिया और किसानों की जमीन हड़प ली। किसान आज भी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। जमीन भी गई और मुआवजा भी नहीं मिला। किसानों की जमीन को पटवारी मुकेश साहू ने अपनी कलम की करामात से व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल के नाम चढ़ा दी और 3 करोड़ 42 लाख रुपए का वारा-न्यारा कर दिया।

कलेक्टर और कमिश्नर ने लिखा पत्र

इसमें और क्या सबूत चाहिए कि बिलासपुर कलेक्टर ने बिलासपुर कमिश्नर को सभी 11 अधिकारियों, कर्मचारियों के नामजद दोषी लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। कलेक्टर के पत्र को कमिश्नर ने अपनी अनुशंसा के साथ राजस्व विभाग को कार्रवाई के लिए भेज दिया। मगर राजस्व विभाग ने पटवारी पर कार्रवाई कर मामले का दबा दिया। सिंचाई विभाग भी इसे नोटिस में नहीं लिया। आज तक किसी मुलाजिम के खिलाफ विभागीय जांच तक शुरू नहीं हुई।

गजब का खेल

अरपा-भैंसाझार नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में पटवारी मुकेश साहू, कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी के अलावा राजस्व अमला और जल संसाधन विभाग के अफसरों ने गजब का खेल किया है। एनपीजी के पास उपलब्ध दस्तावेजों में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे। पटवारी मुकेश साहू ने नहर के एलाइमेंट को ही कागजों में बदल दिया। नहर को 200 मीटर आगे खिसका दिया और व्यवसायी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की बंजर जमीन से नहर निकलना बताते हुए 3 करोड़ 42 लाख रुपए का खेला कर दिया है।

मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस जमीन पर नहर निर्माण होना बताया जा रहा है वह नहर से तकरीबन 200 मीटर दूर है। नहर का एलाइमेंट बदलकर 200 मीटर पहले बने नहर को कागजों में 200 मीटर दूर बता दिया और मनोज अग्रवाल के स्वामित्व वाली जमीन खसरा नंबर 1/4, 1/6 की कुल 29 डिसमिल जमीन का पहले अधिग्रहण किया और फिर मुआवजा प्रकरण बनाकर 3 करोड़ 42 लख रुपए का भुगतान कर दिया। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए बंजर जमीन को पटवारी ने दोफसली बता दिया। झोपड़ी को कागज में मकान बना दिया।

किसान भटक रहे, व्यापारी को जबरिया मुआवजा मिल गया

राजस्व अधिकारी और सिंचाई अधिकारियों ने एक व्यापारी से मिलकर और खेल किया। जिन किसानों की जमीन नहर निर्माण की जद में आई और वर्तमान में नहर बन गया है उन किसानों को आजतलक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ये किसान आज भी मुआवजा के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अशोक कुमार संतोष कुमार की खसरा नंबर 4/1, 4/2 की 12 डिसमिल जमीन और तुलसीराम व अन्य किसानों की 17 डिसमिल जमीन का भुगतान नहीं किया गया।

बगैर प्रकाशन कर दिया भुगतान

लोरमी निवासी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस 29 डिसमील जमीन का मुआवजा देने के लिए नहर का एलाइमेंट बदला गया है, उस जमीन का अधिग्रहण के लिए शासन स्तर पर राजपत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ है। राजस्व अमले और अफसरों ने एक मनोज अग्रवाल नाम के व्यापारी को फायदा पहुंचाने के लिए कागजों में पूरा खेल कर दिया और सरकारी खजाने को चूना लगा दिया।

हर बार दी अलग-अलग जानकारी, एक डिसमिल को बना दिया तीन और 15 को बना दिया 26 डिसमिल

पटवारी ने बाद के प्रतिवेदन में खसरा नंबर 1/4 में अर्जित रकबा को 0.03 एकड़ एवं खसरा नंबर 1/6 को डायवर्टेट भूमि रकबा 0.26 एकड़ बताया है। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कोटा एवं अवार्ड पत्रक में हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों द्वारा रिपोर्ट / तथ्यों का परीक्षण किये बगैर एवं बगैर विधिवत सूचना या प्रकाशन के अरपा-भैंसाझार परियोजना के अंतर्गत चकरभाठा वितरक नहर का अवार्ड पत्रक भू-अर्जन पत्रक-22 (मुआवजा देयक पत्रक) में खसरा नंबर 1/4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ (सिंचित दोफसली/अन्य पहुंच मार्ग के साथ मकान निर्मित बताया जाकर) के विरुद्ध मुआवजा राशि रूपये 37,37,871/- एवं खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ भूमि के विरूद्ध मुआवजा राशि रूपये 3,04,80,049/- मनोज अग्रवाल, पिता पवन अग्रवाल को भुगतान किया गया है। अभिलेख अवैधानिक रूप से सुधार किये जाने के कारण शासन को आर्थिक हानि हुई है और अनावश्यक रूप में मुआवजा के रूप में राशि रूपये 3,42,17,920/- का भुगतान किया गया है।

किसानों की जमीन पर बन गया नहर, मुआवजा हड़प लिया बिल्डर्स ने

शत्रुहन पिता मोतीलाल की 41 डिसमील व मेंड्रा निवासी किसान लक्ष्मण पिता रामफल की 27 डिसमील जमीन नहर निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी। इनके नाम से मुआवजा प्रकरण भी बना। पटवारी मुकेश साहू ने मुआवजा पत्रक व भूअर्जन दस्तावेजों में कांट-छांट कर दोनों किसानों के नाम को गायब कर दिया। दोनों किसानों के बजाय 41.32 लाख का फर्जी भुगतान आसमां बिल्डर्स के नाम मुआवजा बना दिया और राशि का भुगतान भी कर दिया है। जिसका फर्जी प्रतिवेदन पटवारी मुकेश साहू ने जुलाई 2020 में बनाया। खास बात ये कि 29 जून 2020 को मुकेश साहू को पटवारी पद से भार मुक्त कर दिया गया था।

इसलिए बदल दिया नहर का एलाइमेंट

लोरमी निवासी वर्तमान में बिलासपुर के सत्ताइस खोली निवासी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की 29 डिसमील जमीन का मुआवजा देने के लिए पटवारी व राजस्व अफसरों ने नहर का एलाइमेंट बदल दिया है। 29 डिसमील जमीन के अधिग्रहण के लिए शासन स्तर पर राजपत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ है। राजस्व अमले और अफसरों ने एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए कागजाें में पूरा खेल कर दिया और सरकारी खजाने को जमकर नुकसान पहुंचाया है। बिलासपुर साकेत एक्सटेंशन निवासी पवन अग्रवाल पिता राधेश्याम अग्रवाल का मुआवजा पत्रक से नाम काटकर लोरमी निवासी शारदा देवी पति पवन अग्रवाल व मनोज पिता पवन अग्रवाल के नाम 88.76 लाख का फर्जी मुआवजा बना दिया और भुगतान भी कर दिया।

29 डिसमिल जमीन और 3 करोड़ 42 लख रुपए का भुगतान,इसके लिए बदला नहर का अलाइमेंट

लोरमी निवासी मनोज अग्रवाल पिता पवन अग्रवाल की जिस जमीन पर नहर निर्माण होना बताया जा रहा है वह नहर से तकरीबन 200 मीटर दूर है। नहर का एलाइमेंट बदलकर 200 मीटर पहले बने नहर को कागजों में 200 मीटर दूर बता दिया और मनोज अग्रवाल के स्वामित्व वाली जमीन खसरा नंबर 1/4 , 1/6 की कुल 29 डिसमिल जमीन का पहले अधिग्रहण किया और फिर मुआवजा प्रकरण बनाकर 3 करोड़ 42 लख रुपए का भुगतान कर दिया। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए बंजर जमीन को पटवारी ने दोफसली बता दिया। झोपड़ी को कागज में मकान बना दिया।

तीन किसानों की जमीन पर बन गया नहर, मुआवजा आजतलक नहीं मिल पाया

पटवारी के अलावा राजस्व अधिकारियों व अमले ने एक और गजब किया। जिन किसानों की जमीन नहर निर्माण की जद में आई और वर्तमान में नहर बन गया है उन किसानों को आजतलक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ये किसान आज भी मुआवजा के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अशोक कुमार संतोष कुमार की खसरा नंबर 4/1, 4/2 की 12 डिसमिल जमीन और तुलसीराम व अन्य किसानों की 17 डिसमिल जमीन का भुगतान नहीं किया गया।

राजस्व अफसर जो मिले दोषी

आनंदरुप तिवारी, तत्कालीन एसडीएम कोटा,कीर्तिमान सिंह राठौर तत्कालीन एसडीएम कोटा, मोहरसाय सिदार नायब तहसीलदार,हुल सिंह आरआई, दिलशाद अहमद पटवारी सकरी,मुकेश साहू पटवारी सकरी।

जल संसाधन विभाग के दोषी अफसर

आरएस नायडू कार्यपालन अभियंता, एके तिवारी कार्यपालन अभियंता,राजेंद्र प्रसाद मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी,आरपी द्विवेदी अनुविभागीय अधिकारी,आरके राजपूत सब इंजीनियर

तीन डिसमिल जमीन का साढ़े 12 करोड़ एकड़ की दर से कर दिया भुगतान

तीन डिसमिल जमीन का साढ़े 12 करोड़ रूपये एकड़ के दाम पर मुआवजा दिया है। मुआवजा जिसे दिया है वह भी फर्जी। झोपड़ी को मकान और बंजर जमीन को दोफसली बताने का करामात भी कर दिखाया है। राजस्व दस्तावेजों में पटवारी ने ऐसी कलम चलाई कि एक रकबा को तीन टुकड़ों में बांट दिया। इतना ही नहीं एक नया रकबा बनाया और करोड़ों रुपये एसडीएम के साथ मिलकर पटवारी ने डकार दिया। झोपड़ी के आसपास की जमीन को दोफसली बताकर मुआवजा राशि तय कर दी। मुआवजा की रकम सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। प्रति एकड़ साढ़े 12 करोड़ की दर से झोपड़ी और आसपास की बंजर जमीन को दस्तावेजों में दोफसली बताकर खसरा नंबर 1/4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ बताकर 37,37,871/-लाख रुपये का भुगतान कर दिया है।

जांच रिपोर्ट में खुलासा, ऐसे किया खेला

मुकेश साहू, तत्कालीन पटवारी हल्का नंबर 45 सकरी, तहसील सकरी में पदस्थापना के दौरान भू-अर्जन प्रकरण में गड़बड़ी करने के लिए एक या दो नहीं चार बार प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। हर बार अलग-अलग प्रतिवेदन। प्रतिवेदन पेश करते समय चालाकी के साथ जमीन के रकबों में हेरफेर भी किया। जमीनों में हेरफेर और अलग-अलग प्रतिवेदन में जमीन अधिग्रहण की अलग-अलग जानकारी देने के कारण भू-अर्जन के तहत भूमि का मुआवजा बनाने और भुगतान में भारी गड़बड़ी सामने आई है।

तीन खसरा नंबर की जमीनों में जमकर गड़बड़ी की। खसरा नंबर 01. 09 व 10 की जमीनों को टुकड़ों में बांट दिया। ऐसा करते वक्त सक्षम अधिकारी की सहमति के बगैर इसे राजस्व दस्तावेज में शामिल कर दिया। तीन खसरा नंबर की जमीनों में करोड़ों का खेला किया गया है।

एक खसरा में 90 डिसमील जमीन थी। इसे दो टुकड़ाें में बांट दिया। एक हिस्से में 40 डिसमील और दूसरे हिस्से में 50 डिसमील कर दिया। ऐसा कर एक ही जमीन को तीन टुकड़ों में बांटकर सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया है। तीन टुकड़ों का भूमि अधिग्रहण करना बताते हुए तीनों का अलग-अलग मुआवजा बना दिया। नहर निर्माण की जद में आना बताते हुए 15 डिसमील जमीन का भूअर्जन और मुआवजा प्रकरण बना दिया। खसरा नंबर 1/4 रकबा 0.01 एकड़ एवं 1/6 रकबा 0.15 एकड़ को शामिल कर लिया।

कलेक्टर की जांच में ये दोषी

जांच में दो तत्कालीन एसडीएम समेत पांच राजस्व कर्मी दोषी पाए गए।

1. तत्कालीन एसडीएम कोटा आनंदरुप तिवारी।

2. तत्कालीन एसडीएम कोटा कीर्तिमान सिंह राठौर।

3. नायब तहसीलदार मोहरसाय सिदार।

4. आरआई हुल सिंह।

5. पटवारी दिलशाद अहमद।

6. पटवारी मुकेश साहू सकरी।

सिंचाई विभाग के पांच अधिकारियों की इस केस में भूमिका रही। इन्हें भी जांच में दोषी पाया गया।

1. तत्कालीन ईई कोटा आरएस नायडू।

2. ईई कोटा एके तिवारी।

3. तत्कालीन एसडीओ कोटा राजेंद्र प्रसाद मिश्रा।

4. तत्कालीन एसडीओ तखतपुर आरपी द्विवेदी।

5. सब इंजीनियर तखतपुर आरके राजपूत।

विधानसभा में लगा सवाल: अरपा भैंसाझार परियोजना अंतर्गत वित्तीय अनियमितता के दोषियों पर कार्यवाही

क्या यह सही है कि बिलासपुर जिले की अरपा भैंसाझार परियोजना के चकरभाठा व अन्य वितरक नहर के ग्राम सकरी व अन्य ग्राम में 18 या अधिक खसरों की 5.96 एकड़ या अधिक कम भूमि, जो कि नहर निर्माण से प्रभावित ही नहीं थी, उस हेतु करोड़ों रुपए के गलत भुगतान की गंभीर वित्तीय अनियमितता के लिए कर्मचारी व अधिकारी को दोषी पाया गया था? यदि हाँ तो किन-किन को क्यों दोषी पाया गया था ? नाम, पदनाम एवं कारण सहित बतावें तथा इनके विरूद्ध अब तक क्या-क्या विभागीय एवं आपराधिक कार्यवाही की गई है एवं दोषी भू-माफियाओं के विरुद्ध अब तक क्या-क्या आपराधिक कार्यवाही की गई है? (ख) क्या यह सही है कि सकरी ग्राम के मुआवजा प्रकरण में ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 224 में 21 खसरे की पड़त एवं एक फसली भूमियों को दो फसली भूमि होना दिखाकर अधिक दर से भुगतान कराकर करोड़ों रुपए के अतिरिक्त भुगतान किए जाने के संबंध में ध्यानआकर्षित किये जाने पर या अन्य कारणों से कलेक्टर बिलासपुर द्वारा दिनांक 24 जुलाई 2024 को कितने सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी? (ग) क्या यह सही है कि एसीबी/ईओडब्ल्यू को प्रकरण जांच हेतु दे दिया गया है? यदि हाँ तो कब व किस-किस के विरूद्व व इसकी अद्यतन स्थिति क्या है?

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

Read MoreRead Less

Next Story